(भारत सिंह चौहान)
जिस प्रकार प्रसिद्ध केदारनाथ मन्दिर गढ़वाल में स्थित है उसी प्रकार का एक केदारनाथ मन्दिर जौनसार के खत बौन्दूर के भटाड गांव में भी स्थित है।
कास्ट कला का अद्भुत नमूना जो आप इस मंदिर में देख रहे हैं शायद ही जौनसार बावर में अन्य किसी दूसरे मंदिर में देखने को मिलेगा। जिस प्रकार की मान्यता एवं पूजा पद्धति केदारनाथ धाम में है, उसी प्रकार का मन्दिर एवं पूजा पद्धति इस गांव के केदारनाथ मन्दिर में भी होती है।
जौनसार बावर के लाखामंण्डल से 12 कि मी० की दूरी पर खत बौन्दूर का भटाड गांव है। कुल 40 परिवार यहां निवास करते हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि यहां के मन्दिर का इतिहास भी उतना ही पुराना है जितना केदारनाथ मन्दिर का।
ऐसी मान्यता है जो लोग इस क्षेत्र से केदारनाथ धाम यात्रा पर जाते थे, वह पहले इस मन्दिर के दर्शन करते थे उसके बाद आगे की यात्रा प्रारम्भ करते थे। यह भी मान्यता थी कि जो लोग केदारनाथ नहीं जा सकते थे वह इस मंदिर में आकर पूजा अर्चना करते थे और उन्हें भी वही लाभ प्राप्त होता था जो गढ़वाल के केदारनाथ मंदिर में जाकर प्राप्त होता था
इस स्थान पर पिड़ दान भी होते है। और अपने पित्रो का श्राद्ध भी यहां किया जाता है। जिसकी बहुत मान्यता है।
विगत कुछ महा पूर्व हम लोग भटाड गांव में गए थे, तब मुझे लोगों ने बताया कि 15-16 जून 2013 को जब केदारनाथ में भीषण आपदा आयी थी उसी दौरान भटाड गांव के इस केदारनाथ मन्दिर की एक दीवार भी ध्वस्त हुई थी।
लाखामंडल क्षेत्र का पाण्डवों से सम्बन्ध रहा है। इस प्राचीन मन्दिर केदारनाथ की स्थापना को लेकर अनेक कहानियां भीम से जुड़ी हुई भी बतायी जाती है। इस मन्दिर में प्रतिदिन प्रातः प्राचीन शिवलिंग पर जल चढ़ाया जाता है। 11 से 12 बजे दिन मे पूजा की जाती है। संध्या के समय यहां आरती होती है। यहां के
पुजारीयों को तामसी प्रवृति का भोजन वर्जित है।
केदारनाथ मंदिर के पुराने स्वरूप को रखते हुए नवीन रूप से जीणोद्धार किया गया। शुद्ध रूप से देवदार के लकड़ी से निर्मित यह मंदिर अद्भुत है, दर्शन और अध्ययन करने योग्य है। इस मंदिर में 9 जून 2025 को भव्य व दिव्य रूप से प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा।