Saturday, July 27, 2024
Homeउत्तराखंडसिलक्यारा टनल...। मुख्यमंत्री के विवेक, निर्णय क्षमता, धैर्य व सुशासन की अग्नि...

सिलक्यारा टनल…। मुख्यमंत्री के विवेक, निर्णय क्षमता, धैर्य व सुशासन की अग्नि परीक्षा का सुखद परिणाम।

सिलक्यारा टनल…। मुख्यमंत्री के विवेक, निर्णय क्षमता, धैर्य व सुशासन की अग्नि परीक्षा का सुखद परिणाम।

(मनोज इष्टवाल)

वह दिन मुझे आज भी याद है जब पूर्व मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत के शपथ ग्रहण समारोह के दौरान सब इन्तजार कर रहे थे कि विधायक धामी अब उप मुख्यमंत्री की शपथ लेंगे। जब यह सब नहीं हुआ तब मैंने धामी जी को पूछा था कि हम तो आपकी शपथ का इन्तजार कर रहे थे। मुस्कराते हुए तब उन्होंने कहा था कि राजनीति है, जो है सब अच्छा है।

फिर वह दिन भी आया कि अचानक मुख्यमंत्री के रूप में पुष्कर सिंह धामी के नाम की घोषणा हुई। बड़े बड़े राजनीति के महारथी कहे जाने वाले नेताओं के चेहरे देखे तो लगा काटो तो खून नहीं। तब मुझे भी लगा था कि क्या धामी जी राजनीति के उस चक्रव्यूह को भेद पाएंगे जिस राज्य में अब तब हर दिन राजनीति अस्थिरता के दौर से आगे बढ़ती है व हर रोज दूसरे मुख्यमंत्री की तलाश होने लगती है लेकिन मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने धीरे -धीरे सधे क़दमों से जिस तरह राजनीति की चौखट्ट पर चहलकदमी की उसने अपने विरोधियों को चारों खाने चित्त कर दिया। उन्होंने सबसे कमजोर कड़ी लोक से लोग जोड़ने वाले की जंजीर हाथ में पकड़ी। उस जनता के साथ कदमताल करना प्रारम्भ किया जो रोजमर्रा की जिंदगी के उतार चढाव को झेलती हुई आगे बढ़ती है। और यही उनकी राजनीति व कूटनीति की शानदार कड़ी रही है। उन्होंने विवेकपूर्ण निर्णय लेकर जिस तरह कई महत्वपूर्ण निर्णय राज्यवासियों के पक्ष में लिए वह उनकी राजनैतिक क्षमता व दूरदर्शिता को दर्शाता है।

इगास…। अर्थात दिवाली के 11वें दिन! वे आश्वस्त थे कि आज सिलक्यारा सुरंग में फंसे सभी श्रमिक सकुशल बाहर निकल जाएंगे। उन्होंने सारे प्रदेश में इगास के जश्न को मनाने की घोषणा करवाई लेकिन विधि को कुछ और ही मंजूर था। धर्म परायण मुख्यमंत्री धार्मिक मान्यताओं के साथ आगे बढे। उन्होंने उत्तरकाशी में ही अपना कैंप कार्यालय रखा व वहीं से समस्त प्रदेश को देखते रहे। रोजाना जो अपडेट्स होते प्रधानमन्त्री जी को ब्रीफ करते। केंद्रीय टीम, फ़ौज, एसडीआरएफ, एनडीआरएफ व प्रदेश सरकार के विभिन्न तन्त्रों के साथ सलाह मशविरा करते। रोज मजदूरों को बाहर निकालने के लिए नई पहल होती। नई सुबह की किरणों के साथ नई आशाओं का सूरज उदय होता व शाम के अँधेरे के साथ सबके कंधे झूल जाते लेकिन ऐसा एक पल भी मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अपने बुद्धि विवेक आत्मीय बल के दौरान आने नहीं दिया जब हर शाम उन्होंने अगली सुबह को गुलजार बनाने की हिम्मत न भरी हो। सच कहें वह सिलक्यारा सुरंग में अपने आप को कभी न थकने वाले सिपाही के तौर पर मज़बूत इरादों के साथ आगे बढ़ते रहे। ऐसा तो हो नहीं सकता कि एक मुख्यमंत्री के पास सोशल मीडिया के धूर्त लोगों की अपडेट्स नहीं पहुँच रही होगी। जिसमें उन्होंने बाबा बौखनाग व काली माता के आगे नतमस्तक हुए मुख्यमंत्री धामी पर प्रश्न न दागे हो। ऐसा हो नहीं सकता कि विजुअल में सुरंग के अंदर मजदूरों से बात करते मुख्यमंत्री पर यह प्रश्न न उठा रहे लोगों को उन्होंने न झेला हो जो कहते फिर रहे थे कि मात्र दो तीन श्रमिकों को बार बार दिखाया जा रहा है और क्या जिन्दा हैं भी कि नहीं?

लेकिन…. मुख्यमंत्री तनिक भी विचलित नहीं हुए ना ही उन्होंने आवेश में कोई ऐसा बयान ही दिया जिसका ये लोग इन्तजार कर रहे थे व उसे हाईप बनाने की कोशिश में लगे थे। कभी आगर मशीन निशाने पर तो कभी तंत्र निशाने पर। लेकिन इस बात की प्रशंसा करनी होगी कि मीडिया में लगातार साकारात्मक खबरें चलती रही जिससे देश भर में एक सुखद संदेश प्रसारित होता रहा और जनता हर पल हर क्षण नई सूरज के किरणों के साथ सुरंग में सकुशल फंसे मजदूरों की सकुशल वापसी के विश्वास में अडिग रही। ऐसे सूचना तंत्र के लिए प्रदेश के महानिदेशक सूचना बंशीधर तिवारी व उनका महकमा यकीनन तारीफ करने के काबिल है जिन्होंने यह सकारात्मकता सूचना तंत्र के माध्यम से बनी रहे इसके लिए ऐड़ी चोटी का जोर लगाया।

जिस सिलक्यारा की मॉनिटरिंग स्वयं देश के प्रधानमंत्री कर रहे हों उसका अनुमान लगाया जा सकता है कि एक प्रदेश के मुखिया के ऊपर कितनी जिम्मेदारी का बोझ रहा होगा और जिस तरह मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस चुनौती को स्वीकार करते हुए इसे बेहद ख़ूबसूरती के साथ अमलीजामा पहनाया व एक सकुशल राजनेता की भांति अपनी इगास 17 वें दिन बाद श्रमिकों के परिजनों के साथ मनाई वह अपने आप में अतुलनीय है। अर्थात जहाँ आम नेता की सोच ख़त्म हो जाती है वहां उन्होंने अपनी शुरुआत कर पूरे देश भर में सुर्खियां बटोर प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी की गुड़ बुक में ही नहीं बल्कि आम जन की गुड़ बुक में भी अपना नाम दर्ज करवा लिया है। कभी कभी तो लगता है कि जिस कत्यूरी वंश ने उत्तराखंड में सैकड़ों बर्ष सुशासन के साथ राज किया उसी में जन्मे पुष्कर सिंह धामी भी अपने वंशजों के रक्त को पावन कर सुशासन की एक नई इबाआदत लिख रहे हैं।

सिलक्यारा सुरंग के मुआने पर जिस तरह ग्रामीण माँ बहने हाथ जोड़कर बाबा बौखनाथ से प्रार्थना करती नजर आई। जिस तरह ऑस्ट्रेलियाई वैज्ञानिक पैदल चलकर बाबा बौखनाथ के मंदिर पहुँचे व जिस तरह धामी स्वयं नतमस्तक हुए उसी श्रद्धा विश्वास व आत्मबल के चलते यह सफलता अर्जित हुई। 15 दिन तक लगातार श्रम के बाद रैट माईनर्स की टीम ने बिल खोदकर जो अभूतपूर्व कार्य किया उसने सबका दिल जीत लिया। यहाँ तर्क वितर्क की जगह उस यथार्थ को परोसना जरुरी था जिसने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी सरकार की के विवेक, निर्णय क्षमता, धैर्य व सुशासन की अग्नि परीक्षा के सुखद परिणाम हमारे समक्ष रखे और उन्हें मुख्यमंत्री, राजनेता से भी हटकर एक जननेता का खिताब भी दे डाला।

Himalayan Discover
Himalayan Discoverhttps://himalayandiscover.com
35 बर्षों से पत्रकारिता के प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक व सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर सामाजिक, आर्थिक, राजनैतिक, धार्मिक, पर्यटन, धर्म-संस्कृति सहित तमाम उन मुद्दों को बेबाकी से उठाना जो विश्व भर में लोक समाज, लोक संस्कृति व आम जनमानस के लिए लाभप्रद हो व हर उस सकारात्मक पहलु की बात करना जो सर्व जन सुखाय: सर्व जन हिताय हो.
RELATED ARTICLES

ADVERTISEMENT