क्या नए बर्ष में “मेक इन इंडिया” की तर्ज पर आगे बढ़ेगी सीएम धामी की ड्रीम स्कीम “हाउस ऑफ़ हिमालयाज”?
(मनोज इष्टवाल)
- मोदी मन्त्र और मुख्यमंत्री धामी का विजन लाया रंग। 40,272 महिलाएं बन चुकी लखपति दीदी।
नव बर्ष के शुभारम्भ के साथ साथ प्रदेश के मुखिया के दृष्टिकोण में क्या प्रदेश भारतीय अर्थव्यवस्था के साथ कदमताल करता नजर आएगा? क्या उत्तराखंड सचमुच मोदी मन्त्र के साथ अपने इस दशक के बाकी इन छ: बर्षों को विकास के शिखर पर ले जाएगा? क्या मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी प्रदेश के लाखों बेरोजगार युवाओं को रोजगार दिलाने के लिए देश विदेश की बहुराष्ट्रीय कंपनियों को प्रदेश में ला पाएंगे? क्या पलायन की मार से निष्प्राण हुए उत्तराखंड के 10 पहाड़ी जनपदों में रिवर्स माइग्रेशन (घर वापसी) हो पाएगी? क्या देवभूमि की हरी भरी वादियां सरसब्ज हो पाएंगी? क्या खेतों में फसलें लहलहायेंगी ? क्या घर आंगनों में बहार आएगी, ढोल मशकबीन की आवाज व माँ बहनों के थिरकते कदम व गीतों की लय फिर से जादू बिखेरेंगी? क्या मेले-कौथिग जिन्दा हो पाएंगें? या फिर अब भी लोग सिर्फ देव पूजन तक ही अपनी थाती-माटी का संबंध रखेंगे? ऐसे दर्जनों प्रश्न आज भी हर पहाड़वासी के दिलो-दिमाग में तैरते हैं। लेकिन इस सबसे ऊपर एक प्रश्न यह उठता है कि क्या मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की यह सरकार “मेक इन इंडिया” की तरह अपने निजी प्रोडक्ट “हाउस ऑफ़ हिमालयाज” की पैठ अंतर्राष्ट्रीय बाजार तक बना पायेगी ?
वैसे विगत 31 दिसम्बर 2023 को मुख्यमंत्री धामी ने भू-क़ानून पर एक बेहतरीन पहल की घोषणा करते हुए प्रदेशवासियों को नवबर्ष का तोहफा देते हुए घोषणा की है कि अब प्रदेश की कृषि भूमि को कोई भी बाहरी व्यक्ति नहीं खरीद पायेगा। यह घोषणा इसलिए भी प्रशंसनीय है क्योंकि पलायन की जद में आये पहाड़ी जिलों की जमीनें जिस बेतहाशा हिसाब से मैदानी भू-भाग के धन्ना सेठ खरीद रहे हैं, उस पर लगाम लगेगी व आपराधिक तत्वों की प्रदेश में घुसपैठ की संभावनाएं कम रहेंगी। अब बंजर भूमि के लिए सरकारी स्तर पर बड़ी कार्य योजना की आवश्यकता नजर आती है ताकि कृषि भूमि पर नगदी वाले जैविक उत्पाद पैदा किये जा सकें व सरकार ऐसी कृषि बंजर भूमि को आबाद करने हेतु बिना ब्याज के उस भूमि के खाता-खतौनी धारक को भू-मृदा के हिसाब से फसल उत्पादन हेतु बीज ही न दे अपितु उसे नगद धनराशि भी दे ताकि वह अपना व अपने परिवार का जीविकोपार्जन तब तक कर सके जब तक उसके जैविक उत्पाद बाजार में नहीं पहुँचते व उसकी आमदनी का हिस्सा नहीं बनते। धामी सरकार अवश्य इस बात को कार्य योजना में लाने पर विचार कर रही होगी क्योंकि “हाउस ऑफ़ हिमालयाज” की थीम व ड्रीम ही इस सबको देखकर तैयार की गयी लगती है। ऐसे में क्या धामी सरकार पहाड़ सरसब्ज्ज कर पाएगी? यह बड़ी चुनौती का बिषय है।
उत्तराखंड के 65000 से अधिक महिला स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी 5.25 लाख महिलाओं के सामने अब उनके द्वारा तैयार उत्पादों की पहचान का संकट नहीं रहेगा। राज्य सरकार ने लंबी कसरत के बाद इन उत्पादों के लिए अंब्रेला ब्रांड “हाउस ऑफ हिमालयाज” बनाया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसकी लांचिंग की। इसके साथ ही अब समूहों के उत्पादों को वैश्विक स्तर पर पहचान मिलने के साथ ही वृहद स्तर पर बाजार भी उपलब्ध होगा। प्रथम चरण में इसमें भौगोलिक संकेतक प्राप्त राज्य के उत्पादों को रखा गया है और शीघ्र ही महिला समूहों के अन्य उत्पाद इसमे शामिल करने की योजना है।
राज्य के गठन से लेकर इसके विकास में यहां की मातृशक्ति का योगदान किसी से छिपा नहीं है। इसे देखते हुए सरकार ने महिलाओं के सशक्तिकरण के दृष्टिगत उन्हें महिला स्वयं सहायता समूहों से जोड़ने का क्रम शुरू किया। ग्राम्य विकास विभाग के अंतर्गत राष्ट्रीय व राज्य आजीविका मिशन में इन समूहों के गठन का क्रम जारी है। इनसे जुड़ी महिलाएं स्थानीय कृषि एवं औद्यानिकी उत्पादों के साथ ही हस्तशिल्प समेत अन्य उत्पाद तैयार कर अपनी आजीविका को सशक्त कर रही हैं।
हाउस ऑफ हिमालयाज” में संवरेगी किस्मत
यह ग्रामीणों के लिए अच्छी खबर है कि अब उनके उत्पादों के खरीददार बाजारों में नहीं बल्कि खुद चलकर उनके पास आएंगे व उत्पाद की गुणवत्तता के आधार पर उन्हें रकम देकर उसे खरीद कर बाजार तक पहुचनाने का काम करेंगे और इसे बाजार देने का काम अब “हाउस ऑफ़ हिमालयाज” करेगा। महिला समूहों के सामने अपने उत्पादों के ब्रांडिंग की दिक्कत आ रही थी। वजह यह कि सभी अलग-अलग नाम से उत्पादों की बिक्री कर रहे थे। प्रधानमंत्री मोदी ने पिछली बार अपनी माणा यात्रा के दौरान सुझाव दिया था कि स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए ब्रांड होना चाहिए। राज्य सरकार ने इस पर अमल करते हुए समूहों के उत्पादों का अंब्रेला ब्रांड बनाने का निश्चय किया। उच्च स्तर पर गहन मंथन के बाद ब्रांड के लिए “हाउस ऑफ हिमालयाज” नाम को अंतिम रूप दिया गया।
पीएम मोदी ने किया लांच
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों इस अंब्रेला ब्रांड (हाउस ऑफ़ हिमालयाज) की लांचिंग होने से अब समूहों द्वारा तैयार उत्पाद इसी नाम से बाजार में आएंगे। साथ ही इनकी गुणवत्ता, पैकिंग आदि पर भी विशेष ध्यान केंद्रित किया गया है। देहरादून के एफआरआई में आयोजित ग्लोबल इन्वेस्टर समिट -2023 में प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी ने इन जैविक उत्पादों को अंतर्राष्ट्रीय बाजार में उसकी ब्रांडिंग के साथ-साथ पूरी गुणवत्तता के साथ उतारना चाहते हैं ताकि उत्तराखंड के ये प्रोडक्ट इंटरनेशनल मार्केट में तहलका मचा सकें।
40,272 महिलाएं बन चुकी लखपति दीदी
देश भर 02 करोड़ करोड़पति दीदी बनाने के प्रधानमन्त्री मोदी के लक्ष्य का पीछा करते हुए उत्तराखंड में अब तक महिला स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी महिलाओं की वार्षिक आय एक लाख रुपये करने के उद्देश्य से लखपति दीदी योजना शुरू की गई है। राज्य में अब तक 40,277 महिलाएं लखपति दीदी बन चुकी हैं।इस लक्ष्य को और आगे बढ़ाने के लिए प्रदेश सरकार अपने स्तर पर कितनी कर्मठता के साथ आगे बढ़ रही है यह आने वाले समय में पता लग पायेगा। फिलहाल की स्थिति को देखकर तो यही लगता है कि सेल्फ हेल्प ग्रुप के माध्यम से प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी के नक़्शे-कदम पर कदमताल करते हुए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने “हाउस ऑफ़ हिमलयाज ” को लोकल फॉर वोकल और वोकल फॉर ग्लोबल बनाने के लिए पूरी तरह कमर कस ली है।
पीएम मोदी ने की महिला समूहों से चर्चा
विगत 08 -09 दिसम्बर 2023 को आयोजित हुए ग्लोबल इन्वेस्टर समिट में “हाउस ऑफ़ हिमालयाज ” को लांच करते हुए अपने संबोधन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सबसे पहले माँ बहनों को प्रणाम से अपने सम्बोधन की शुरुआत करते ही अपने इरादे जतला दिए थे कि वह यह बर्ष माँ बहनों के नाम करना चाहते हैं। सूत्रों की माने तो इस बार आगामी 26 जनवरी को राजपथ की झांकियों में पुरुषों की तुलना में महिलायें ज्यादा शामिल हो सकती हैं। उन्होंने लोकल फॉर वोकल व वोकल फॉर ग्लोबल के मूल मन्त्र की अपनी अवधारणा को मजबूती के साथ रखते हुए कहा था कि उत्तराखंड का मसाला, पहाड़ी नमक, पहाड़ी दालें , मिलेट्स, हस्तशिल्प, एक्रोमैटिक उत्पाद, थुल्मा का विपणन की ब्रांडिंग विभिन्न माध्यमों से हो रही है। अम्ब्रेला ब्रांड की अनुपम पहल से अब ये ब्रांड एक रूप में दिखने को मिलेंगे जो “हाउस ऑफ़ हिमालयाज” के रूप में राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय मार्केट में उत्पादों की सुनिश्चित उत्कृष्टता के साथ अपनी पहचान बनाएंगे। ग्रामीण परिवारों की आमदनी बढ़ाने के लिए हाउस ऑफ़ हिमालयाज अपनी अहम् भूमिका निभाएगा। शुरआती दौर में प्रदेश के जी आई उत्पादों को हाउस ऑफ़ हिमालयाज के माध्यम से प्रोत्साहन मिलेगा जिसमें सेल्फ हेल्प ग्रुप की माँ-बहनें जुड़कर काम करेंगी व प्रदेश के उत्पादों को गुणवत्ता के आधार पर उसका बाजार बनाने में अपना अहम् योगदान देंगी।
प्रधानमंत्री मोदी ने महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण के दृष्टिगत महिला स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी महिलाओं को लखपति दीदी बनाने के संकल्प का उल्लेख किया। इससे पहले उन्होंने उत्तराखंड की प्रगति पर केंद्रित प्रदर्शनी में महिला समूहों के स्टाल पर जाकर उनसे बातचीत की। पौड़ी जिले के जय अंबे महिला स्वयं सहायता समूह व अलकनंदा महिला स्वयं सहायता समूह के मिलेट बेकरी स्टॉल में पहुंचकर इस बारे में जानकारी ली।
लखपति दीदी बनने का बताया मंत्र
प्रदेश की लखपति दीदियों में शामिल हुई जय अंबे समूह की गीता रावत व अलकनंदा समूह की उमा देवी ने प्रधानमंत्री को बताया कि पहले उनके समूह अन्य उत्पाद तैयार करते थे। बाद में सरकार ने श्रीअन्न को प्रोत्साहित किया तो उनके द्वारा मिलेट बेकरी पर ध्यान केंद्रित किया गया। प्रधानमंत्री ने उनसे पूछा कि क्या आप लखपति दीदी बन गई हो, इस पर गीता रावत व उमा देवी ने बताया कि उनके समूह हर माह मिलेट बेकरी से दो से ढाई लाख रुपये कमा लेते हैं। ऐसे में समूहों से जुड़ी महिलाओं को प्रतिमाह 12 से 15 हजार की आय हो रही है। इस आय सृजन के कारण कई गरीब परिवारों को घर बैठे आमदनी व परिवार का गुजारा चलाने में आसानी हो रही है। यह ऐसा तरीका है कि मजबूरी में गाँवों से रोजगार की तलाश में शहरों में पलायन कर रहे ग्रामीणों के कदम अपनी थाती माटी में थम सकेंगे व गाँव सरसब्ज रहेंगे।