Saturday, July 27, 2024
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बिज्जु रेs…! घौर ऐजा बाबा.. घौर ऐजा। बाघ.. आग और भाग की गाथा के प्रश्न उठाती उर्मि नेगी की फ़िल्म “बथौं” का ट्रेलर रिलीज।

बिज्जु रेs…! घौर ऐजा बाबा.. घौर ऐजा। बाघ.. आग और भाग की गाथा के प्रश्न उठाती उर्मि नेगी की फ़िल्म “बथौं” का ट्रेलर रिलीज।

(मनोज इष्टवाल)

बाघ = नरभक्षी बाघ =आदमी व प्रकृति जन्य आपदा, आग = दहकते जंगल व खेत, आग = पर्यावरणीय असंतुलन की जननी व पहाड़ के लिए पहाड़ में संघर्ष करती मातृशक्ति की पीड़ा, भाग = भाग्य, भाग = पलायन की जद में आये उत्तराखंड के ज्यादात्तर गाँवों से शहरों की ओर दौड़ लगाती एक ऐसी भागम-भाग जिसका कोई अंत फिलहाल नजर नहीं आता!

अक्सर सोचता हूँ पूरी दुनिया की सैर करती व देश दुनिया की खबरों से डिस्कवरी जैसे वर्ल्ड वाइड चैनल की एंकर उर्मि नेगी को कब इतना समय मिलता होगा कि वह पहाड़ की नब्ज टटोलकर उसकी पीड़ा को उकेरते गंभीर बिषयों को इतनी बारिकी से कब देखती होंगी जो अपनी फ़िल्म की पटकथा में वह सब शामिल किये देती हैं। मूल रूप से पौड़ी गाँव में जन्मी उर्मि नेगी युवावस्था में कदम रखते ही मुंबई फ़िल्म इंडस्ट्री में अपना भाग्य आजमाने निकल गई थी, लेकिन पौड़ी की जलधारा का पानी व गोरिल कंडोलिया देवता के आशिर्वाद ने उन्हें वह कला तो अवश्य प्रदान की है जिससे वह माटी छू लें तो सोना बन जाय।
लेखक,निर्माता -निर्देशक उर्मि नेगी पूर्व में यूँ तो दर्जनों हिंदी फिल्मों में काम कर चुकी हैं, लेकिन गढ़वाली फीचर फ़िल्म ‘घरजवें’ व “कौथिग” ने उन्हें उत्तराखंड में अलग पहचान दी। उर्मि नेगी ने विगत बर्ष अपने प्रोडक्शन हाउस से अपने निर्देशन में सुपर हिट गढ़वाली फीचर फ़िल्म “सुबरो घाम” दी, जिसे शो सिर्फ हिंदुस्तान में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी कई स्थानों में प्रदर्शित हुए। और तो और यह फ़िल्म मराठी सिनेमा के वैटिलेटर पर भी काउंट हुई।

सुबरो घाम का ही सीक्वल कहें या फिर पार्ट-2 के रूप में उर्मि नेगी ने विगत वैशाखी के अवसर पर “बथौं” फ़िल्म का प्रोमो जारी किया है, जिसकी शूटिंग गंगा व यमुना घाटी की खूबसूरत लोकेशन में की गई है।
प्रोमो के आधार पर स्पष्ट लग रहा है कि यह फ़िल्म पहाड़ की नारी के उस संघर्ष की कहानी है जिसमें वह पूरी जद्दोजहद से पहले अपने घर परिवार को संभालने संवारने में, फिर अपने बेटे “बिजु” के सपनों को साकार करने में लगी रहती है। फिर सरसब्ज गाँव को खाली होते देखती है व निराश, वीरान आँखों से बंजर होते घर खलिहान खेत व सामान उठाकर गाँव छोड़ते लोगों की कथा -व्यथा सुनाती इस फ़िल्म का यह डायलॉग कि अरे.. तुमारो यु बोड (बछड़ा) छूट गया है! और जबाब मिलता है कि अब यह हमारे किस काम का?

लगता है यह फ़िल्म न सिर्फ़ पहाड़ की पीड़ा उकेरती दिखेगी बल्कि उत्तराखंड की अनियंत्रित विकास नीति पर भी कई प्रश्नचिह्न खडे कर प्रश्न पूछती नजर आएगी। उत्तराखंड के स्टार कलाकारों से सजी फ़िल्म का गीत संगीत कर्णप्रिय है जिसमें लोकगायक नरेन्द्र सिंह नेगी, पद्मश्री प्रीतम भरतवाण, रजनीकान्त सेमवाल व स्वर कोकिला अनुराधा निराला ने गीत गाये हैं। फ़िल्म अगले माह मई के प्रथम सप्ताह उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में रिलीज होगी।

सुप्रसिद्ध हास्य कलाकार अभिनेता घनानंद ने उर्मि नेगी की फ़िल्म रिलीज होने से पूर्व उन्हें अपने अंदाज में शुभकामनायें देते हुए कहा कि “फ़िल्म रिलीज से पूर्व ही पूरे देहरादून ही नहीं बल्कि उत्तराखंड में बथों (तूफ़ान) आना शुरू हो गया है। यह तो आगाज है, फ़िल्म का अंदाज फ़िल्म को सुपरहिट बनायेगा ऐसी आशा है। उर्मि नेगी ज़ी को मेरी ढेरों शुभकामनायें।”

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35 बर्षों से पत्रकारिता के प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक व सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर सामाजिक, आर्थिक, राजनैतिक, धार्मिक, पर्यटन, धर्म-संस्कृति सहित तमाम उन मुद्दों को बेबाकी से उठाना जो विश्व भर में लोक समाज, लोक संस्कृति व आम जनमानस के लिए लाभप्रद हो व हर उस सकारात्मक पहलु की बात करना जो सर्व जन सुखाय: सर्व जन हिताय हो.
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