पौड़ी गढ़वाल (हि. डिस्कवर)
क्या अब जनता जनार्दन इस तरह से स्वयं ही फैसले लेने लगेगी? यदि नहीं तो इंसान ज्यादा कीमती या फिर नरभक्षी जानवर..! मुद्दा बहुत बड़ा है और इस पर यकीनन बड़ी चर्चा होनी चाहिए। एक ओर जंगल धूं धूंकर जल रहे हैं। वन्य प्राणी जान बचाकर गांवों के नजदीक पहुंच रहे हैं। व भूख से बिलबिलाए ये जानवर कब इंसान को निवाला बना दें इसकी कोई गारंटी नहीं है। दूसरी ओर गांव में बसे ग्रामीण का कहाँ गुनाह है वह तो आये दिन आम जिंदगी में अपनी दैनिक दिनचर्या के कार्य निर्भय होकर निबटाएँगे ही..! अब उन्हें क्या पता किस झाड़ी में दुबका बाघ अपनी भूख मिटाने को आतुर है। ऐसा ही किस्सा सपलोड़ी गांव का भी है।
पौड़ी जनपद के पाबौं विकास खण्ड के सपलोड़ी गांव में बीती 15 मई को काफल लेने जंगल गई एक महिला को गुलदार ने मार डाला था। सोमवार रात को गुलदार ने सपलोड़ी पास ही कुलमोरी गांव में भी एक महिला पर हमला कर दिया। वन विभाग ने तत्परता दिखाते हुए ही क्षेत्र में पिंजड़ा लगा दिया था। सोमवार की रात को गुलदार सपलोड़ी गांव में लगाए गए पिंजरे में कैद हो गया था।
महिला की मौत पर गुस्साए सपलोड़ी गांववासियों आक्रोशित भीड़ ने पिंजरे में फंसे गुलदार को जिंदा ही जलाकर मार डाला। आरोप है कि मौके पर मौजूद वन महकमे की टीम के काफी समझाने के बावजूद भीड़ ने वारदात को अंजाम दिया। सीसीएफ गढ़वाल सुशांत कुमार पटनायक ने डीएफओ से मामले में मुकदमा दर्ज कराने को कहा है।
पौड़ी के वन क्षेत्राधिकारी अनिल भट्ट ने बताया कि, पिंजरे में कैद गुलदार को लोगों ने मौके से नहीं ले जान दिया और पिंजरे के ऊपर घास आदि डालकर आग लगा दी। डीफओ गढ़वाल मुकेश कुमार ने बताया कि पीएम रिपोर्ट के बाद एफआईआर दर्ज की जाएगी।