अयोध्या धाम उत्तर प्रदेश (हि. डिस्कवर)
हीरे, पन्ने, गीन माणिक, मोती, नीलमणि से सजा रामलला की मूर्ती पर विराजमान स्वर्ण मुकुट 11 करोड़ की लागत से निर्मित है। इस मुकुट का कुल वजन 6 किलोग्राम है, जिसमें साढ़े 4 किलोग्राम सोने का इस्तेमाल किया गया है। इसमें कई हीरे, माणिक, मोती, मोती, नीलम जड़े हुए हैं। यह 11 करोड़ रुपये का रत्नजड़ित सोने का मुकुट अयोध्या के राम जन्मभूमि मंदिर में ऐतिहासिक प्राण प्रतिष्ठा समारोह की पूर्व संध्या पर, राम लला के लिए सूरत से भेजा गया था। समर्पण और सूक्ष्म शिल्प कौशल का प्रतीक, यह उपहार ग्रीन लैब डायमंड कंपनी के प्रसिद्ध जौहरी मुकेश पटेल द्वारा भेजा गया है।
हीरा व्यापारी मुकेश भाई पटेल बेहद भावुक ह्रदय से जानकारी साझा करते हुए कहते हैं कि “जिस क्षण मैंने भगवान राम को एक आभूषण अर्पित करने की संभावना के बारे में सोचा, मेरी आँखें भर आईं और मेरे दिमाग में यह विचार आया कि जो भी हो, यह शीश मुकुट शानदार होना चाहिए क्योंकि यह राम लला के सिर पर विराजमान होने वाला है, जिन्हें राजाओं का राजा कहा जाता है।”
उन्होंने जानकारी देते हुए कहा कि विश्व हिंदू परिषद के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष दिनेश नावदिया ने पटेल को राम मूर्ति के लिए एक आभूषण बनाने का सुझाव दिया और उनके अनुरोध से अभिभूत होकर, वे व उनका परिवार तुरंत सहमत हो गए और इस अद्वितीय आभूषण का निर्माण शुरू कर दिया।
ऐसे बना श्रीराम के बालरूप का मुकुट
मुकेश भाई पटेल ने कहा, “मूर्ति के अयोध्या पहुँच जाने के पश्चात ही रामलला की मूर्ती के सिर का सटीक माप करने के लिए हमारे दो कुशल कारीगरों को अयोध्या ले जाया गया था। वह सूरत लौट आए और तुरंत मुकुट बनाने की प्रक्रिया शुरू कर दी, उनके काम में समर्पण की भावना स्पष्ट थी। इसलिए इस ताज की आखिरी झलक देखने में ही नहीं बल्कि दिखने में भी खूबसूरत है, जिसकी लागत 11 करोड़ रुपए, वजन 6 किलो और 4.5 किलो का यह शुद्ध स्वर्ण मुकुट अपने आप में अनोखा है।
उन्होंने जानकारी देते हुए बताया कि इसमें बहुत बढ़िया पुष्प शिल्प कौशल है। यह विभिन्न आकारों के हीरे, रंगीन माणिक, मोती, नीलमणि जैसे कई खूबसूरत रत्नों से जड़ा हुआ है। प्रत्येक रत्न को मुकुट में सही स्थान पर इस तरह से लगाया गया है कि उसकी चमक भगवान श्री राम से मेल खाती है।
वहीँ दूसरी ओर विश्व हिन्दू परिषद् के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष दिनेश नवदिया के अनुसार, मुकुट का डिज़ाइन अतीत में कई राजाओं द्वारा पहने जाने वाले पारंपरिक मुकुट के समान है। मुकुट के ऊपरी हिस्से में कमल की बेहतरीन नक्काशी है, जो पारंपरिक मंदिर वास्तुकला, राजत्व और राम की दिव्यता के तीन पहलुओं का प्रतीक है। वह आगे कहते हैं, “यह सिर्फ एक मुकुट नहीं बल्कि भारत के राम भक्तों की राम के प्रति आस्था,अटूट विश्वास और अटूट भक्ति का प्रमाण है। इसमें लाखों लोगों के सपने और उम्मीदें जुड़ी हुई हैं।”