(मनोज इष्टवाल)
आखिरकार बड़ी मशक्कत के बाद आज भाजपा ने राज्य को बारहवें मुख्यमंत्री के रूप में पुष्कर सिंह धामी के नाम पर अंतिम मुहर लगा ही दी है। यह ताजपोशी यकीनन उस जनता जनार्दन की उम्मीदों को खरा साबित करने का सबब है जिन्होंने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में चुनाव लड़ रही भारतीय जनता पार्टी को प्रदेश से 47 सीटें देकर स्पष्ट बहुमत इतिहास रचने का मौका दिया है क्योंकि इस से पूर्व 22 साल के इस राज्य में कभी भी कोई भी सरकार दोबारा सरकार नहीं बना सकी।
पुष्कर सिंह धामी का मुख्यमंत्री के रूप में चयन राज्य के कई राजनीतिक समीकरणों को ध्यान में रखकर किया गया है क्योंकि 2024 में लोकसभा चुनाव हैं जो अभी से केंद्र की सियासत की दस्तक दे रहे हैं ऐसे में स्पष्ट है कि भाजपा ने संघ और संगठन की राय के साथ साथ पार्टी विधायकों सांसदों व अन्य अपने सोर्स जुटाकर यह निर्णय बहुत ही ऐतिहात बरतकर लिया होगा। तमाम कयासों के बीच राजनीतिक समीकरणों की बात की जाए तो पुष्कर सिंह धामी पहले से ही चर्चा में चल रहे अन्य नामों से आगे ही दिखाई दे रहे थे क्योंकि सोशल साइट पर वे मुख्यमंत्री के रूप में सबसे ज्यादा ट्रेंड हो रहे थे ।
यह तो तभी तय हो गया था जब पुष्कर सिंह धामी सीधे दिल्ली से अपनी विधान सभा खटीमा पहुंचे व जनता का अभिवादन करते दिखे। यह तो तभी स्पष्ट नजर आने लगा था जब त्यागपत्र के बावजूद भी राज्यपाल द्वारा उन्हें तब तक राज्य का मुख्यमंत्री बने रहने की सलाह दी थी। समीकरणों के लिहाज से धामी की मुखिया के रूप में तैनाती तय नजर आ रही थी । केवल गुटबाजी की वजह उनकी राह में रोड़ा था जिसे कल शाम दिल्ली में निपटा लिया गया । यकीन मानिए यह लिफाफा 10 मार्च को ही धामी के नाम की मुहर लगकर सीलबंद हो गया था बाकी सब गुटबाजी को शांत करने की एक लंबी कवायद कही जा सकती है।
ज्ञात हो कि आज प्रातः राज्यपाल द्वारा प्रोटेम स्पीकर के रूप में कालाढूंगी नैनीताल से विधायक वंशीधर भगत को शपथ दिलाई गई । अपराह्न प्रोटेम स्पीकर द्वारा 69 विधायकों को पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई गई । दिन भर रही गहमागहमी के बीच केंद्रीय पर्यवेक्षक राजनाथ सिंह व मीनाक्षी लेखी सहित पुष्कर सिंह धामी व विधायकों के बीच शाम बैठक में शामिल हुए जहां सर्वसम्मति से उनके नाम पर बारहवें मुख्यमंत्री के रूप में मुहर लगी।
देर शाम प्रदेश अध्यक्ष द्वारा राज्यपाल को भाजपा द्वारा सरकार बनाए जाने का पत्र सौपा गया जिसमें पार्टी ने राज्यपाल को अवगत कराया कि भारतीय जनता पार्टी के विधायकों द्वारा पुष्कर सिंह धामी का नाम नेता सदन के रूप में सर्वसम्मति से स्वीकार किया है।पुष्कर सिंह धामी पिछली विधानसभा में लगभग 7 माह बतौर मुख्यमंत्री रहे । देवस्थानम बोर्ड भंग करना उनकी बड़ी उपलब्धि रही।
खटीमा विधान सभा चुनाव में धामी द्वारा जहां चुनाव हारना उनके मुख्यमंत्री बनने में आड़े आ रहा था वहीं दूसरी ओर उनके द्वारा जिस तरह बतौर प्रमुख कम्पैन चुनाव प्रचार किया गया और पार्टी ने बड़ी जीत हासिल की, उन्हें दरकिनार करना आसान काम नहीं था । इसके अलावा क्षेत्रीय समीकरण भी धामी के पक्ष में गए । दो दिन पहले तक तमाम समाचार माध्यमो में अलग अलग नामों पर चर्चाएं चल रही थी । आखिरी राज्य की कमान धामी को सौपने का कल शाम ही केंद्रीय नेतृत्व ने मन बना लिया इस तरह धामी राज्य के बारहवें सी एम होंगे यह देहरादून आकर राजनाथ सिंह और मीनाक्षी लेखी द्वारा विधायकों के बीच साझा की गई ।
हालांकि भाजपा राज्य में भारी बहुमत से चुनाव जीती है । लेकिन धामी के लिए पांच साल चुनोतियाँ कम नहीं होंगी । पहला चुनाव के दौरान किए गए वादों पर खरा उतरना , दूसरे राज्य के भीतर पलायन बेरोजगारी, स्वास्थ्य शिक्षा की दशा दिशा में सुधार करना और नाराज कर्मचारियों की मांग पर यथोचित निर्णय लेने की चुनोती सहित भू कानून बनाना शामिल है । इसके साथ ही पार्टी के भीतर गुटबाजी से निपटान भी बड़ा मसला,और राज्य की स्थायी राजधानी का मुद्दा अहम रहेगा ।
बहरहाल अब देखना यह होगा कि क्या धामी 2024 में लोकसभा चुनाव में पांचों लोकसभा सीट भाजपा की झोली में डालने में कामयाब रहेंगे या फिर पांच साल तक निरंकुश मुख्यमंत्री बनकर इतिहास रचेंगे।