Friday, July 26, 2024
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पहली गढ़वाली फीचर फ़िल्म “बथौं” को क्षेत्रीय भाषा का दादा साहेब फ़ाल्के फ़िल्म पुरस्कार

गैर सरकारी प्लेटफार्म पर क्षेत्रीय भाषा की पहली गढ़वाली फ़िल्म "बथौं" (सुबेरो घाम-2) को मिला 'दादा साहब फाल्के फ़िल्म पुरस्कार'

* गैर सरकारी प्लेटफार्म पर क्षेत्रीय भाषा की पहली गढ़वाली फ़िल्म “बथौं” (सुबेरो घाम-2) को मिला ‘दादा साहब फाल्के फ़िल्म पुरस्कार’

(मनोज इष्टवाल)

एक अल्हड़ सी युवती… उम्र बमुश्किल 20-21 बर्ष! पिता थे फ़ूड इंस्पेक्टर एक भाई व चार बहनों का परिवार…। दो बहनें बड़ी व वह तीसरे नंबर की। सबसे बड़ी बहन श्रीमति उषा रावत व उनके पति इंद्र सिंह रावत पेशे से सेवानिवृत्त अध्यापिका/अध्यापक हैं। दूसरे नंबर की बहन श्रीमति सुन्दरी सिलमाना सुप्रसिद्ध गढ़वाली गीतकार व निर्देशक गणेश वीरान सिलमाना की अर्धांगिनी (पेशे से अध्यापिका), दूसरे और सबसे छोटी बहन शीला…। अचानक पौड़ी जैसे छोटे से शहर से पहुँच जाती हैं मुंबई (तब की बम्बई) मायानगरी में….। छोटे से शहर में शोर तो मचना ही था कि उर्मि फिल्मों में काम करने के लिए मुंबई गई है बल…। फिर ये भी होना ही था – द कख लगाणई छवीँ, मगज खराब व्हेगे वीँकु..। कन कना छन वख जुत्ता – चप्पल घिसणा… और न जाने क़्या क़्या!

यह विगत सदी के अस्सी के दशक के अंतिम सालों की बात थी। बात आई गई हो गई लेकिन अचानक 1982 में फिर पौड़ी में शोर सुनाई दिया। अरे बल फलाने की लड़की देवानंद जैसे सुपर स्टार की फ़िल्म “स्वामी दादा” में है बल। फिर वही बत्तंगड बोलने लगे कि – सुन भुला मैं नहीं बोलता था कि उसकी लड़की देखना एक दिन अपना नाम रोशन करेगी। अरे हमन त कभि सिनेमा त क़्या टीवी भी नी देखी… पर हाँ भै.. पूरु पौड़ी कु नाम रोशन करि याली वीँन…।

और यही सच भी है। इसी को कहते हैं जिद और हठ के साथ अपनी मुहिम पर डटे रहना। आज की सुप्रसिद्ध अभिनेत्री, पटकथा लेखक, निर्देशक, आले दर्जे की डबिंग आर्टिस्ट, एंकर और जाने क़्या क़्या उर्मि नेगी ने तब तक पलटकर नहीं देखा जब तक उन्होंने बुलंदियाँ न छू ली।

एक सुपर स्टार के बाद फिर दूसरे सुपर स्टार राजेश खन्ना व पूनम ढिल्लो अभिनीत फ़िल्म “सौतन” (बर्ष 1983),  फिर हिंदी धारावाहिक रामायण सीरियल में सूर्पनखा, गढ़वाली फीचर फ़िल्म घरजवें (निर्माण बर्ष 1986) में सौतेली माँ की भूमिका , गढ़वाली फ़िल्म कौथिग (निर्माण बर्ष 1988)में  मुख्य अभिनेत्री के किरदार के बाद उर्मि नेगी ने अपने प्रोडक्शन में पहली गढ़वाली फीचर फ़िल्म फ्योळी, फिर दूरदर्शन के लिए अपना हिंदी सीरियल “हिमालय के आँचल में”  गढ़वाली सिनेमा के 15 साल का अकाल खत्म करने के लिए फिर उर्मि नेगी ने उस दौर में अपनी गढ़वाली फ़िल्म “सुबेरो घाम” का निर्माण किया जब गढ़वाली फ़िल्म बनाने वाले सभी निर्माता निर्देशक लुटे पिटे थे। फ़िल्म हिट हुई तो सुबेरो घाम सीक्वल “बथौं” बर्ष 2023 में सिनेमा हाल पर आ लगी। फिर क़्या था जो नहीं होना था वह भी हो गया क्योंकि गैर सरकारी प्लेटफार्म पर क्षेत्रीय भाषा की पहली गढ़वाली फ़िल्म “बथौं” (सुबेरो घाम-2) को “दादा साहब फाल्के फ़िल्म पुरस्कार” नवाजा गया।

इस पुरस्कार के प्राप्त होने पर सुप्रसिद्ध फ़िल्म अभिनेत्री व फ़िल्म की निर्माता निर्देशक उर्मि नेगी ने अपने सोशल साइट पर लिखा -“दोस्तों. *इस प्रतिष्ठित समारोह में जब हमारी फ़िल्म बथौं सुबेरो घाम २* का चयन हुआ , तो इस उपलब्धि से अपार ख़ुशी के साथ साथ रोमांचित भी हो उठी थी , पर जब प्रादेशिक फ़िल्मों की श्रेणी में इस फ़िल्म के लिये मुझे सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का पुरस्कार मिला तो ….. कंठ रुंध गया था , और मैं थी शब्द विहीन …

शब्द विहीन अभी भी हूँ , क्योंकि वो शब्द नहीं मिल पा रहे हैं जो मेरी प्रबल कृतज्ञता को ,मेरी भावना को ,मेरे साथी कलाकारों और, technicians के प्रति प्रकट कर सकें … .. क्योंकि कोई भी अवार्ड किसी एक के बलबूते मिलना कदापि सम्भव नहीं का नहीं , ये सम्पूर्ण टीम के विशिष्ट योगदान का ही प्रतिफल होता है .. आप सभी को अनगिनत बधाइयाँ 👏🏻👏🏻👏🏻💐

और आप सभी मित्रों और शुभ चिंतकों की शुभकामनाओं के लिए एक बार फिर से बहुत सारा धन्यवाद परम स्नेह के साथ 🙏🙏

सचमुच उर्मि ने गढ़वाली फ़िल्म जगत के लिए वह कर दिया जिसकी कल्पना नहीं की जा सकती। भले ही यह पुरस्कार भारत सरकार द्वारा प्रदत्त न हो लेकिन इस पुरस्कार का चयन अंतर्राष्ट्रीय सिने जगत के एक बड़े पैनल की देख रेख में चयन प्रक्रिया से गुजरना होता है।

वरिष्ठ पत्रकार सुनील नेगी लिखते हैं कि “स्नोई माउंटेन्स प्रोडक्शंस की प्रबंध निदेशक, उत्तराखंड की गढ़वाली फिल्मों की प्रसिद्ध अभिनेत्री, जिन्होंने मिथुन चक्रवर्ती, राजेश खन्ना, देवानंद और कई अन्य प्रसिद्ध बॉलीवुड अभिनेताओं के साथ भी काम किया है, जिन्होंने तीन लोकप्रिय फिल्मों फ्योंली, सुबेरू घाम, बथौ 2 का निर्माण, निर्देशन और पटकथा लिखी है जिसमें – नौकरी की तलाश में उत्तराखंड के पहाड़ों से बड़े पैमाने पर महानगरों की ओर होने वाले प्रवास और पहाड़ों के युवाओं को खराब करने वाली सामाजिक बुराई अवैध शराब के सेवन के चलन के खिलाफ सामाजिक संदेश के साथ सुबेरू घाम की अगली कड़ी फिल्म बथौ 2 बनाई है, उर्मी नेगी को प्रतिष्ठित “दादा साहेब फाल्के film पुरस्कार” से सम्मानित किया गया है। यह महाराष्ट्र इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल ऑर्गनाइजेशन, एमबी एंटरप्राइजेज की ओर से आयोजित किया गया I

दादा साहेब फाल्के फिल्म पुरस्कार 2023-24 के नाम से जाना जाने वाला प्रतिष्ठित पुरस्कार उर्मी नेगी को सर्वश्रेष्ठ अभिनेता श्रेणी (क्षेत्रीय सिनेमा) बथौं – सुबेरो घाम 2 के लिए प्रदान किया गया।

यह पुरस्कार उन्हें महाराष्ट्र अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव संगठन द्वारा आयोजित एक शानदार समारोह में प्रदान किया गया।

उनके प्रशंसकों और फिल्म प्रेमियों की तालियों की गड़गड़ाहट के बीच उन्हें सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री के रूप में नामित किया गया। इससे पहले उर्मि नेगी की क्षेत्रीय गढ़वाली फिल्म सुबेरू घाम को कनाडा फिल्म फेस्टिवल में सर्वश्रेष्ठ क्षेत्रीय फिल्म चुना गया था। उन्हें अपने अनूठे अभिनय,शांत और सुंदर स्थानों पर शूटिंग, मंत्रमुग्ध कर देने वाले गीत, संगीत और कई क्षेत्रीय गढ़वाली फिल्मों के निर्माण के लिए कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार और मान्यताएँ भी मिली हैं, जिनमें विदेशों से भी ख्याति प्राप्त हुई है।

उनकी फिल्म सुबेरू घाम और इसके सीक्वल बथौं 2 ने देहरादून और मुंबई समेत पौडी, ऋषिकेश, राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली और देश के कई राज्यों के सिनेमाघरों में अच्छा कारोबार किया, जहां उत्तराखंडी अच्छी संख्या में रहते हैं।

वर्तमान मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, पूर्व मुख्यमंत्री, महाराष्ट्र के पूर्व राज्यपाल और पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने भी उनकी फिल्मों की सराहना की और फिल्म निर्माण, पटकथा लेखन, निर्देशन और अभिनय में उनकी उत्कृष्ट प्रतिभा को बढ़ावा देने के लिए उन्हें पुरस्कार प्रदान किए।

इन योगदानों के अलावा उन्होंने कौथिग, फ्योंली और कई भोजपुरी और नेपाली फिल्मों में नायिका के रूप में काम किया है। उन्होंने सौतम, स्वामी दादा और मिथुन चक्रवर्ती के साथ मुख्य भूमिका वाली फिल्म में भी काम किया था। उर्मी अपने नए प्रोडक्शन में एक हिंदी और गढ़वाली फिल्म की शूटिंग आदि में काम कर रही हैं, जो एक या दो साल में शुरू हो जाएगी।

यह बहुत कम लोग जानते होंगे कि उर्मि नेगी दक्षिण भारतीय बड़े बजट की फिल्मों की हिंदी डबिंग में बड़ा नाम हैं जिसके लिए वह अच्छा पैंसा लेती हैं।

 

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