Tuesday, October 21, 2025
Homeउत्तराखंडपंचायती राज संस्थाएँ लोकतंत्र का सबसे मजबूत स्तंभ हैं : लोक सभा...

पंचायती राज संस्थाएँ लोकतंत्र का सबसे मजबूत स्तंभ हैं : लोक सभा अध्यक्ष।

पंचायती राज संस्थाएँ लोकतंत्र का सबसे मजबूत स्तंभ हैं : लोक सभा अध्यक्ष।

लोक सभा अध्यक्ष ने उत्तराखंड की जिला पंचायतों के लिए “पंचायती राज व्यवस्था : विकेंद्रीकृत लोकतन्त्र का सशक्तीकरण” विषय पर आयोजित कार्यक्रम का उद्घाटन किया।

भारत में सत्ता हस्तांतरण हमेशा सुचारू रूप से और लोकतांत्रिक पंरपराओं के अनुसार ही हुआ है : लोक सभा अध्यक्ष।

कार्यपालिका की जवाबदेही के लिए स्टैण्डर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर तैयार हो : लोक सभा अध्यक्ष।

पंचायतें आज लोकतंत्र की मूलभूत इकाइयां है जो सामाजिक न्याय के साथ आर्थिक विकास में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है : मुख्य मंत्री, उत्तराखंड।

देहरादून (हि. डिस्कवर)।

लोक सभा अध्यक्ष ओम बिरला ने आज देहरादून में उत्तराखंड की पंचायती राज संस्थाओं की जिला पंचायतों के लिए “पंचायती राज व्यवस्था : विकेंद्रीकृत लोकतन्त्र का सशक्तीकरण” विषय पर आउटरीच और परिचय कार्यक्रम का उद्घाटन किया। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत; उत्तराखंड विधान सभा के अध्यक्ष प्रेम चन्द्र अग्रवाल, उत्तराखंड सरकार के पंचायती राज मंत्री अरविन्द पाण्डेय और लोक सभा के महासचिव उत्पल कुमार सिंह ने उद्घाटन सत्र में भाग लिया।

इस अवसर पर ओम बिरला ने कहा कि हमारे लोकतंत्र की अवधारणा बहुत मजबूत एवं सशक्त है और वैदिक काल से ही चली आ रही है। आजादी के बाद लोकतंत्र को मजबूत, सशक्त, जवाबदेह और पारदर्शी बनाने के लिए निंरतर प्रयास किए गए हैं। उन्होंने कहा कि हमारे देश में चाहे लोक सभा का चुनाव हो या विधान सभा का चुनाव हो, चुनाव परिणाम के पश्चात् सत्ता हस्तांतरण हमेशा सुचारू रूप से और लोकतांत्रिक पंरपराओं के अनुसार हुआ है।

ओम बिरला ने कहा कि पंचायती राज संस्थाएं लोकतंत्र के सबसे मजबूत स्तम्भ हैं। इनके सदस्य जनता द्वारा चुन कर आते हैं और इनसे जनता की अत्यधिक अपेक्षाएं और आकांक्षाएं होती है। उन्होंने सुझाव दिया कि ग्राम सभा की बैठक को और प्रभावी बनाने के लिए कुछ नियमों का विकास करने की आवश्यकता है। जैसे ग्राम सभा की बैठक की अग्रिम सूचना गांव के सभी लोगों को सात दिन या जितनी अवधि आवश्यक हो, पहले दी जाए। ग्राम सभा की साल में कम से कम चार बैठकें आयोजित हों, साथ ही गांव के विकास के लिए एक साल की अल्पकालिक एवं पाँच साल की दीर्घकालिक योजनाओं का निर्धारण किया जाए।

उन्होंने कहा कि एक ग्राम पंचायत में विशेषकर उन गांवों का चुनाव किया जाए जो पिछडे हों तथा जहां सुविधाओं का अभाव हो । इसके अतिरिक्त निधियों के उपयोग के संबंध में भी व्यापक चर्चा के बाद निर्णय लिए जाएं कि विकास के किन महत्वपूर्ण कार्यों पर धन का व्यय करना है। बिरला ने सुझाव दिया कि प्रत्येक बैठक के बाद उसमें लिए गए निर्णयों में हुई प्रगति की अगली बैठक में समीक्षा की जाए । उन्होंने ग्रामीण पर्यटन के प्रोत्साहन हेतु ग्राम पंचायतों की भूमिका पर बल दिया। उन्होने यह सुझाव भी दिया कि क्षेत्रीय पंचायत की बैठक का पहला घंटा – उच्च सदन के प्रश्न काल की तरह होना चाहिए। श्री बिरला ने इस बात पर बल दिया कि अपने-अपने क्षेत्रो में किए जा रहे नवाचारों को एक दूसरे से साझा करें ताकि उन सफल नवाचारों को दूसरी ग्राम पंचायतों में भी दोहराया जा सके।

उन्होंने जोर देकर कहा कि यह पंचायतों सहित सभी लोकतांत्रिक संस्थाओं का दायित्व है कि कार्यपालिका के कार्यों पर नियंत्रण रखते हुए उनकी जवाबदेही सुनिश्चित करे। इसके लिए पूरे देश में एक स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसिजर (एसओपी) तैयार किया जाए, जिसका अनुसरण देश की सभी लोकतांत्रिक संस्थाए करें।

उत्तराखंड के मुख्य मंत्री, त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कहा कि पंचायतें आज लोकतंत्र की मूलभूत इकाइयां हैं जो सामाजिक न्याय के साथ आर्थिक विकास में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं। विशेषकर देवभूमि उत्तराखण्ड जैसे ऐतिहासिक, पौराणिक और पर्यावरणीय एवं सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण राज्य में लोगों तक विकास पहुंचाने और उसमें सबकी सहभागिता सुनिश्चित करने में इनकी भूमिका महत्वपूर्ण है। त्रिवेंद्र रावत ने कहा कि भारत एक मजबूत लोकतंत्र है । इसकी सशक्तता का रास्ता ग्राम पंचायत से होकर आता है। इसलिए हमें गांवों के आर्थिक हालातों को और मजबूत करना होगा। ग्राम विकास में भी पंचायतों की विशेष भूमिका है। उन्होने ग्राम प्रधानों को सुझाव दिया कि उत्तराखंड के सीमान्त क्षेत्रों में सुरक्षा करने वाले प्रहरियों से जाकर मिलें और उनका मनोबल बढाएं।

उत्तराखंड विधान सभा के अध्यक्ष प्रेम चन्द्र अग्रवाल ने कहा कि पंचायती राज व्यवस्था के माध्यम से हम विकेंद्रीकृत लोकतंत्र को अत्यधिक बलशाली बना सकते हैं। उन्होंने कहा कि सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी का आज के युग में तेजी से प्रयोग किया जा रहा है। देश की सभी विधायिका में ई-विधान सभा लागू की जा रही है। इसी प्रकार पंचायतों के कार्यों में भी ई-गवर्नेन्स के प्रयोग से यह संस्थाएं और बल प्राप्त करेंगी। उन्होने विश्वास व्यक्त किया कि इस प्रकार के आऊटरीच कार्यक्रम की तरह ही विधायिकाओं के माध्यम से क्षमता विकास कार्यक्रम, प्रबोधन कार्यक्रम एवं प्रशिक्षण कार्यक्रम करने से भी पंचायती राज व्यवस्था के सभी संबंधित तत्वों का विकास होगा।

उत्तराखंड के पंचायती राज मंत्री अरविन्द पाण्डेय ने अपने संबोधन में कहा कि पंचायत से पार्लियामेंट तक लोकतन्त्र में जनप्रतिनिधियों के प्रति लोगो की अपेक्षाएँ एवं आकांक्षाएँ बढ रही हैं और साथ ही उनके दायित्व भी बढ़े हैं। उन्होंने इस बात पर विचार करने का आग्रह किया कि कैसे ग्राम सभा और ग्राम पंचायत की बैठकों में लोगों और जनप्रतिनिधियों की सहभागिता बढ़ाएँ जिससे सदन संयम एवं व्यवस्थापूर्वक संचालित हो सके।

टिहरी जिला पंचायत अध्यक्ष, सुश्री सोना सजवाण ने कहा कि पंचायती राज संस्थाएं ग्रामीण स्तर पर संविधान की प्रस्तावना में वर्णित मूल्यों एवं आकांक्षाओं की प्राप्ति की दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं। उत्तराखंड राज्य में खासकर इसके पर्वतीय क्षेत्रों में विकास के लिए और इसकी सामरिक रणनीतिक जरूरतों के हिसाब से तथा आपदा परिस्थिति के कारण पंचायतों का सशक्त होना बहुत जरूरी है।

इस कार्यक्रम में उत्तराखंड की पंचायती राज संस्थाओं के लगभग 42000 प्रतिभागियों ने भाग लिया और अपने विचार साझा किये।

Himalayan Discover
Himalayan Discoverhttps://himalayandiscover.com
35 बर्षों से पत्रकारिता के प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक व सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर सामाजिक, आर्थिक, राजनैतिक, धार्मिक, पर्यटन, धर्म-संस्कृति सहित तमाम उन मुद्दों को बेबाकी से उठाना जो विश्व भर में लोक समाज, लोक संस्कृति व आम जनमानस के लिए लाभप्रद हो व हर उस सकारात्मक पहलु की बात करना जो सर्व जन सुखाय: सर्व जन हिताय हो.
RELATED ARTICLES