Saturday, July 27, 2024
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हेलंग प्रकरण पर नया खुलासा..! पुलिस -प्रशासन व जिला प्रशासन की दलीलों क़ो तार-तार करता ग्रामीणो का मुख्यमंत्री धामी क़ो संबोधित पत्र!

• कम्पनी पर लगाया वन अधिनियम का खुला उल्लंघन करने का आरोप!

• घसेरी मंदोदरी देवी व अन्य ने मुख्यमंत्री धामी क़ो पत्र लिख बताई जल, जंगल, जमीन के हक़ -हकूक की पीड़ा।

• उत्तराखण्ड में जल विद्युत परियोजनाओं के नाम पर हजारों हजार नाली नाप भूमि, जंगल, चरागाह की भूमि, पनघट, मरघट, पंचायत की भूमि, कम्पनियों को पहले ही दे दी।

•डंपिंग यार्ड होने के बाद भी कम्पनी रोज अलकनंदा में बहा रहे है कई टन मलवा ।

चमोली /देहरादून (हि. डिस्कवर)

आख़िरकार वह सच सामने आ ही गया जिस पर चमोली जिला प्रशासन व पुलिस प्रशासन पर्दा डालने की कोशिश कर रहा था । हम सभी ने वह वीडिओ भी देखा जिसमें पुलिस व सीआरपीएफ के जवान हेलंग की एक महिला के कंधे से घास का बोझ जोर-जबरदस्ती उतारने की कोशिश कर रहे थे। वीडिओ वायरल होने के बाद जिला मुख्यालय चमोली के जोशीमठ से खबरनवीसों की खबर सोशल मीडिया पर वायरल हुई कि श्रीमति मंदोदरी देवी व अन्य क़ो बेवजह 4घंटे तक पुलिस ने पहले जीप व फिर थाने में बैठाये रखा । जन दबाब के चलते व केस बनाने के लिए कोई उपयुक्त माध्यम न मिलने के बाद इनका चालान काटकर  घर भेज दिया ।

खबर की गूँज राजधानी तक पहुंची तो पूरी सरकारी मशीनरी सक्रिय हुई । इस मुद्दे क़ो लेकर विधायक हरिद्वार जिले के खानपुर विधान सभा क्षेत्र के निर्दलीय उमेश कुमार ने मुख्यमंत्री से भेंट कर पत्र में समस्त प्रकरण पर जांच कर दोषियों के खिलाफ कार्यवाही की मांग की । वन मंत्री सुबोध उनियाल ने उक्त प्रकरण पर जांच के आदेश जारी क्या किये कि जिला प्रशासन चमोली के हाथ पाँव फूल गये। और कुछ इस तरह के बयान अखबारों में छपे :-

बात इन बयानों में ही खत्म हो जाती तो शायद हकीकत दबकर रह जाती लेकिन प्रशासनिक इकाई ने ग्राम प्रधान व अन्य के माध्यम से भी श्रीमति मंदोदरी देवी व अन्य के विरोध पर वीडिओ वायरल कर कम्पनी का पक्ष लेते हुए इन घसियारी महिलाओं पर ही दोष मढना शुरू कर दिया । थक हारकर आख़िर इन महिलाओं के पक्ष में कुछ ग्रामीण खडे हुए और हकीकत बयान करता पत्र मुख्यमंत्री धामी के नाम लिख जिलाधिकारी चमोली क़ो सौंपा । पत्र का मजमून कुछ इस तरह है –

सेवा में,
मुख्यमंत्री, उत्तराखण्ड
देहरादून ।

द्वारा : जिलाधिकारी / उपजिलाधिकारी ।

विषय : जोशीमठ प्रखंड के हेलंग गांव में घास ला रही महिला के साथ हुई बदसलूकी की घटना व इसके परिपेक्ष्य में जनता को उनके जल जंगल जमीन के परम्परागत अधिकारों पर हमला करने तथा वंचित करने के संदर्भ में ।

महोदय, उपरोक्त विषय के संदर्भ में कहना है कि 15 जुलाई 2022 को जोशीमठ प्रखंड के हेलंग गांव में जंगल से घास ला रही महिलाओं से न सिर्फ उनके घास के गट्ठर छीनते पुलिस व केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल के जवान दिख रहे हैं बल्कि वीडियो में ही दिखता है कि एक महिला रो रही है, दूसरी के साथ छीना झपटी हो रही है । यह दृश्य इस राज्य में, जो कि महिलाओं के आंदोलन व उनकी शहादत व कुर्बानियों के बदौलत बना, देखना बहुत शर्मनाक है दुर्भाग्यपूर्ण है । इसकी कोई सफाई नहीं हो सकती ।

उत्तराखण्ड में जल विद्युत परियोजनाओं के नाम पर हजारों हजार नाली नाप भूमि, जंगल, चरागाह की भूमि, पनघट, मरघट, पंचायत की भूमि, कम्पनियों को पहले ही दे दी गयी है । इसके बाद भी कम्पनियों की नीयत लोगों की सामूहिक हक- हकूक की भूमि को भी हड़प लेने की है । इससे आम ग्रामीणों के सम्मुख घास चारा लकड़ी का संकट पैदा हो गया है । यह घटना इसी का परिणाम है ।

विष्णुगाड-पीपलकोटी परियोजना के तहत हेलंग में सुरंग बनाने का कार्य कर रही कम्पनी द्वारा खेल मैदान बनाने के नाम पर जहां डम्पिंग ज़ोन बनाया जा रहा है, वह लोगों के पास चारागाह का अंतिम विकल्प बच गया है, वहां लोगों ने वृक्षारोपण कर इस भूमि को हरा भरा बनाया था । डम्पिंग ज़ोन के नाम पर वहां हरे पेड़ काट दिए गए व चारागाह के इस अंतिम विकल्प को भी खत्म किया जा रहा है । जबकि कम्पनी के पास मलबा डम्पिंग के लिए विकल्प उपलब्ध हैं । यहां से तो सारा मलबा सीधे अलकनन्दा नदी में चला जाएगा । जिस तरह की ढालदार भूमि यह है वह यदि भूस्खलन से बची है तो सिर्फ वृक्षारोपण के कारण ही बची है। यह विडंबना ही है कि उत्तराखण्ड के राजकीय पर्व हरेला के अवसर पर न सिर्फ हरियाली नष्ट की गई बल्कि उस हरियाली के रक्षकों पोषकों के साथ भी बदसलूकी की गई, उन्हें गिरफ्तार किया गया और उनका चालान किया गया ।
महोदय, उत्तराखण्ड आपदा के लिहाज से संवेदनशील राज्य है, इसमें चमोली जिला तो और भी संवेदनशील है । साल भर पहले की रैणी आपदा अभी हम भूले नहीं हैं । ऐसे में जलविद्युत परियोजनाओं की मनमानी व अराजक कार्यशैली आपदा को और अधिक भीषण बना देती है ।विभिन्न विशेषज्ञों की रिपोर्ट में पूर्व की आपदाओं में इनकी इस कार्यशैली को चिन्हित किया गया है । अतः डम्पिंग के नाम पर पर्यावरण के मानकों की अनदेखी करते हुए, नदी के ठीक ऊपर आबादी के नजदीक ऐसे कार्य की स्वीकृति देना खतरनाक है ।
महोदय जिला प्रशासन द्वारा कंपनी के साथ मिलकर,
1- वन अधिकार कानून 2006
2 – वन पंचायत नियमावली 2012
3 – वन सरक्षण अधिनियम 1980
का खुला उल्लंघन किया गया है
अतः आपसे मांग है कि इस घटना की उच्चस्तरीय जांच की जाये । दोषियों पर तत्काल सख्त से सख्त कार्यवाही की जाय । जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्यवाही हो । जलविद्युत परियोजना बनाने वाली कम्पनी के कार्यो की भी जांच हो , उनकी मनमानी पर रोक लगे और उनकी नियमित निगरानी की जाए

भवदीय

मंदोदरी देवी , शांति देवी विपिन भंडारी अतुल सती , राहुल भंडारी , आदि।

बहरहाल सोशल मीड़िया में वायरल हुआ यह पत्र जिलाधिकारी चमोली के माध्यम से मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी तक देर सबेर पहुँच  ही जाएगा लेकिन देखना यह ज्यादा रोचक होगा कि जल जंगल जमीन की असल चौकीदार इन ग्रामीण महिलाओं के पक्ष में फैसला जाएगा या फिर कम्पनी के पक्ष में!

Himalayan Discover
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35 बर्षों से पत्रकारिता के प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक व सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर सामाजिक, आर्थिक, राजनैतिक, धार्मिक, पर्यटन, धर्म-संस्कृति सहित तमाम उन मुद्दों को बेबाकी से उठाना जो विश्व भर में लोक समाज, लोक संस्कृति व आम जनमानस के लिए लाभप्रद हो व हर उस सकारात्मक पहलु की बात करना जो सर्व जन सुखाय: सर्व जन हिताय हो.
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