(हिमालयन डिस्कवर स्पेशल)
विगत 09 फरवरी 2024 को अपने केस की पैरवी में पुणे पहुंची उत्तराखंड की मशरूम गर्ल दिव्या रावत महाराष्ट्र पुलिस द्वारा उनके भाई राजपाल रावत सहित गिरफ्तार कर दो दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है। दिव्या रावत पर पर एक स्थानीय कारोबारी के साथ धोखाधड़ी करने, धमकी देने, पैंसा हड़पने सहित कई आरोप लगाए गए हैं।
उत्तराखंड में दिव्या रावत मशरूम गर्ल के नाम से विख्यात है व अपने भाई राजपाल के साथ मिलकर सौम्या फूड नाम की कंपनी संचालित करती है। दिव्या रावत व उनके भाई की गिरफ्तारी के पीछे जो कहानी सामने आयी है वह एकाएक नहीं है बल्कि यह मामला 2019 का बताया जाता है, जब पुणे के पास के एक गाँव के परामर्श फर्म के मालिक जितेंद्र नंदकिशोर भाखड़ा ने 27 दिसंबर 2022 को पुणे ग्रामीण के थाना पौंड में दिव्या रावत और उसके भाई के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था। जितेंद्र नंदकिशोर भाखड़ा का कहना था कि वह 2019 में अपनी फर्म के लिए कोई काम देख रहे थे। इस दौरान उनका संपर्क दिव्या रावत से हुआ। दिव्या रावत ने कहा था कि वह अपने भाई राजपाल के साथ मिलकर कॉर्डिसेस फिटनेस के नाम से एक प्रोडक्ट शुरू करने जा रही है। इसके लिए वह एक शोरूम भी बनाना चाहती है। इस प्रस्ताव पर भाखड़ा ने हां कर दी और महाराष्ट्र से कारीगर बुलाकर काम शुरू करा दिया।
सब कुछ ठीक चल रहा था लेकिन जैसे ही पैंसा बीच में आया पूरा खेला ही बिगड़ गया और परामर्श फर्म के मालिक जितेंद्र नंदकिशोर भाखडा नामक व्यक्ति को 2022 में उत्तराखंड में गिरफ्तार कर जेल जाना पड़ा। यहाँ सितंबर 2022 में पता चला कि दिव्या रावत के भाई राजपाल रावत ने भाखड़ा के खिलाफ नेहरू कॉलोनी में मुकदमा दर्ज करा दिया। भाखड़ा पर आरोप लगाया कि उन्होंने 77 लाख रुपये की ठगी की है।
उधर दूसरी ओर बेल पर वापस घर लौटे जितेंद्र नंद किशोर भाखडा ने दिव्या रावत व उनके भाई राजपाल रावत पर पुणे के ग्रामीण थाना क्षेत्र के पौंड में क्रॉस एफआईआर दर्ज कर दिव्या रावत की कम्पनी सौम्या फ़ूड्स व उनके दोनों मालिकों पर केस दर्ज करवा दिया। जितेंद्र नंदकिशोर भाखडा ने अपनी तहरीर में बताया कि जब उन्होंने कॉर्डिसेस फिटनेस प्रोडक्टस नाम से काम शुरू किया तब उस वक्त सभी काम में उनका एक करोड़ रुपये से ज्यादा का खर्च हुआ। इसका बिल उन्होंने दिव्या रावत को भेजा तो उन्होंने केवल 57 लाख रुपये ही देने के लिए कहा। बाद में जब उन्होंने दिव्या रावत से पैसा मांगा तो वह गाली-गलौज और झूठे मुकदमे में फंसाने की धमकी देने लगी। पौंड पुलिस ने अपने मुकदमे में जब जांच शुरू की तो पता चला कि दिव्या रावत ने जो भाखड़ा के नाम से शपथपत्र बनवाया था वह मेरठ में झूठा बनवाया गया था। विश्वस्त सूत्रों की माने तो पौंड थाना ग्रामीण क्षेत्र की पुलिस ने उस दौरान भी दिव्या रावत की गिरफ्तारी के प्रयास किये थे लेकिन दिव्या रावत ने अग्रिम ज़मानत ले ली थी।
लेकिन पौंड पुलिस का कहना है कि दिव्या रावत द्वारा मेरठ उत्तर प्रदेश से बनाया गया जाली शपथ-पत्र सीधे-सीधे धोखाधड़ी से जुड़े होने को प्रमाणित करता है और इसी आधार पर दिव्या रावत और राजपाल रावत के खिलाफ जालसाजी की धाराएं भी जोड़ दी गईं। पौंड थाना प्रभारी इंस्पेक्टर मनोज यादव ने बताया कि दिव्या रावत और राजपाल रावत को गत नौ फरवरी को गिरफ्तार किया गया है। दोनों को दो दिन की पुलिस कस्टडी में भी लिया गया है।
सूत्रों का कहना है कि दिव्या रावत देहरादून में भाखड़ा के खिलाफ दर्ज मुकदमे में बचाव के लिए उनसे पैसे मांग रही थी। कुल 32 लाख रुपये मांगे गए। इस पर भाखड़ा ने 10 लाख रुपये देने को कहा। उन्होंने दिव्या रावत और राजपाल रावत को 10 लाख रुपये का ड्राफ्ट देने के लिए पुणे बुलाया। जितेंद्र नंदकिशोर भाखड़ा ने जब दिव्या रावत को ड्राफ्ट दिया तो पौंड पुलिस ने दिव्या को उनके भाई के साथ गिरफ्तार कर लिया।
ज्ञात हो कि पुणे की जिम्मेदारी इस समय एक ऐसे बड़े पुलिस अधिकारी के पास है जो पूर्व में उत्तराखंड पुलिस में अपनी सेवाएं दे चुके हैं, तब स्वाभाविक है कि वे दिव्या रावत के बारे में समस्त जानकारी रखते होंगे। लेकिन सूत्र तो ये भी कहते हैं कि पौंड ग्रामीण क्षेत्र पुणे निवासी जितेंद्र नंदकिशोर भाखड़ा की परामर्श फर्म पर महाराष्ट्र के एक राजनेता का पैंसा लगा हुआ था और यही दिव्या रावत व राजपाल की गिरफ्तारी का सबब बनी। इन दोनों बातों में कितनी सच्चाई है यह विस्तृत जांच का बिषय है।