Monday, December 23, 2024
Homeउत्तराखंडबहुत दिनों बाद एक रीजनल फिल्म "कन्यादान" रिलीज हुई…..।

बहुत दिनों बाद एक रीजनल फिल्म “कन्यादान” रिलीज हुई…..।

(फ़िल्म समीक्षक जयदेव भट्टाचार्य की कलम से)

“पलायन”के अभीशप्त विषय से मुक्त एक कहानी को पर्दे पर दिखाया गया है।फिल्म शुरू मे थोड़ा ओवर एक्टिंग के साथ चलती है और जब दिनेश बौड़ाई जी एकल अभिनय के साथ फ्रेम मे आते हैं तो लगने लगा,अब अभिनय से मुखातिफ हुआ।बेहतरीन अदाकारी बौड़ाई जी का पात्र को सजीव करना और उसे जीना इसी को कहते हैं। फिल्म मे अब होता है, मुख्य अभिनेता रमेश रावत (लुहार) और मुख्य अभिनेत्री गीता उनियाल का प्रवेश। मेरे पास शब्द नहीं है मै क्या लिखू।यहां कैमरामैन खेल सकता था लेकिन चूक गया। रमेश रावत और गीता उन्यायल ने पात्र को ऐसे जिया मानो असल जिन्दगी मे जी रहे हों। यहां निर्माता से मैं थोड़ा नाराज हूँ क्योंकि पोस्टर मे इन दोनों कलाकारों को अहमियत नही दी गयी। पोस्टर ऐसे बना जैसे मुहल्ले में जागरण का बैनर है।

फिल्म के इसी भाग में गीता उनियाल का एक गाना है और चौकाने वाली बात कि एकदम प्लेबैक सिगिंग। मधुर आवाज और सटीक संगीत। इस गाने मे जो फील है,संवेदना है,वो सोनिया आनन्द रावत ने उढ़ेल दिया, क्योंकि वो एक मां है, और गीता उनियाल भी एक मां है। सलाम आप दोनों को। इस गाने के लिये डायरेक्टर देबू रावत जी का मैं अभिनंदन करता हूं………!

फिल्म का दूसरा भाग कॉलेज सीन से शुरू होता है, जो कुछ खास नही है, लेकिन यहां एक कलाकार रूबरू होता है रणवीर सिंह चौहान । कमाल का संवाद संपेषण+भाव ! यहां से अंत तक रनवीर ने मुझे प्रभावित किया। थोड़ा फाइट सीन का डायरेक्शन इस कलाकार को मिल जाता तो ये अभिनय का बंम फोड़ता। यहीं करती हैं रीता गुसाईं भंडारी …मां की भूमिका मे अभिनय अच्छा रहा ” अच्छा रहा” ! पर बात खत्म नही होती है, मुझे लगा जब वो अभिनय कर रही थी तो कैमरा फ्री थी। एक बात और मैने गौर किया कि कुछ कलाकारों की आखें बोलती हैं, रीना मैम उनमे से एक है।फिल्म के इस भाग मेें एक बा फिर रमेश रावत और गीता उनियाल ने अपने अभिनय का लोहा मनवाया। रमेश रावत जी पे फिल्माया गया सैड सौंग+ सत्य प्रकाश अधिकारी जी की आवाज ने एक मिथक को तोड़ा। आवाज में कोई नाक का या डी-टोन का परयोग नही हुआ।

फिल्म है तो हीरो हीरोईन तो होगे और हैं भी ! लेकिन वे कुछ कर नही पाये। सुन्दर लोकेशन मे एक लव सौंग है लेकिन कैमरा मैन निर्णय नही ले पाया कि लोकेशन दिखाऊँ या हीरोइन,,,,?? इस भाग मेें एक सीन है जब बाप अपनी बेटी से मिलता है- मदन डुकलान जी आप याद किये जाओगे।हॉल से निकलते समय एक परिचत ने कहा-“दादा ,,,”याद आली टिहरी” में यही थे न ? इस फिल्म मे एक कलाकार नीशा भण्डारी भी है । इसे नायिका की मुख्य में लेना चाहिये था।

फिल्म का अंत एक अच्छा संदेश देते हुये खत्म होती है।वास्तव मे फिल्म का निर्देशन अशोक चौहान जी ने किया है जो कबीले तारीफ है। ये पहली बार हुआ फिल्म 90℅ओके है। जरूर देखिये इस फिल्म को। ₹150/- अपनी बोली भाषा के लिये खर्च कर सकते हैं आप। आज मुझे दुख भी हुआ कि हॉल हाउस फुल नही हुआ। मैं तहे-दिल से कह रहा हूं एक बार जरूर देखे। यदिआपको फिल्म अच्छी न लगे तो मेरे पोस्ट पर आकर मुझे जो मन मे आये कह सकते है। धन्यवद आप सभी सम्मानित साथियों का।

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35 बर्षों से पत्रकारिता के प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक व सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर सामाजिक, आर्थिक, राजनैतिक, धार्मिक, पर्यटन, धर्म-संस्कृति सहित तमाम उन मुद्दों को बेबाकी से उठाना जो विश्व भर में लोक समाज, लोक संस्कृति व आम जनमानस के लिए लाभप्रद हो व हर उस सकारात्मक पहलु की बात करना जो सर्व जन सुखाय: सर्व जन हिताय हो.
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