Wednesday, February 12, 2025
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फोर्सज का बच्चों की देखरेख के मुद्दे को ग्राम पंचायत डेवलपमेंट प्लान।

देहरादून (हि.डिस्कवर)

देहरादून में 0-6 वर्ष तक के बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए कार्यरत स्वयंसेवी संस्थाओं के संगठन फोर्सज उत्तराखंड द्वारा दो दिवसीय राज्य स्तरीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। जिसमें प्रदेश के सभी जिलों के प्रतिनिधियों के साथ ही संबन्धित सरकारी विभागों के अधिकारियों सहित 50 से अधिक प्रतिभागियों ने भाग लिया। कार्यशाला में बच्चों की देखरेख के मुद्दे को ग्राम पंचायत डेवलपमेंट प्लान में शामिल किए जाने के लिए जनजागरूकता अभियान चलाए जाने की आवश्यकता पर जोर दिया गया।

कार्यशाला का उद्घाटन करते हुए बाल संरक्षण आयोग की अध्यक्ष डॉ. गीता खन्ना ने कहा कि 0 से 6 वर्ष की आयु मानव जीवन का सबसे महत्वपूर्ण समय होता है। इस आयु वर्ग में शारीरिक, मानसिक और सामाजिक विकास की नींव रखी जाती है, इसलिए इस आयुवर्ग के बच्चों पर खासतौर से ध्यान देने की आवश्यकता होती है। डॉ. खन्ना ने बताया कि 2022-23 में उत्तराखंड में भारत सरकार द्वारा बच्चों की उचित देखभाल के लिए 34 क्रेच केंद्र स्वीकृत किए गए थे और 2023-24 में यह संख्या बढ़ाकर 168 कर दी गई है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में अधिकांश क्रेच केंद्र आंगनवाड़ी केंद्रों के साथ संचालित हो रहे हैं ताकि कार्यकर्ताओं को बेहतर प्रशिक्षण और सुपरविजन मिल सके।

फोर्सज उत्तराखंड के संयोजक लखबीर सिंह ने बताया कि क्रेच केंद्र और आंगनवाड़ी केंद्र के कार्यों में बड़ा अंतर है। जहां आंगनवाड़ी केंद्रों का संचालन केवल 4-5 घंटे होता है, वहीं क्रेच केंद्र 7-8 घंटे की सेवाएं प्रदान करते हैं। उन्होने कहा कि औद्योगिक, शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में क्रेच केंद्रों की बढ़ती आवश्यकता को देखते हुए भारत सरकार की गाइडलाइन के अनुसार केंद्र खोले जाने चाहिए।

फोर्सज उत्तराखण्ड द्वारा राज्य के शहरी और औद्योगिक क्षेत्रों में आंगनबाड़ी सह क्रेच केन्द्रों की आवश्यकता आंकलन विषय पर किए गए अध्ययन को डाॅ वीपी बलोदी द्वारा कार्यशाला में प्रस्तुत किया गया, अध्ययन के अनुसार प्रदेश के औद्योगिक क्षेत्रों के साथ ही शहरी क्षेत्रों में भी क्रेच केन्द्रों की आवश्यकता महसूस की गई है। अध्ययन में स्पष्ट पाया गया है कि 0-6 साल तक के बच्चों की उचित देखभाल के लिए के्रच केन्द्रों का संचालन आवश्यक है। डाॅ0 बलोदी ने बताया कि अध्ययन में महिलाओं का कहना था कि यदि उनके बच्चों की देखभाल के लिए के्रच संचालित होते हैं तो वे अपनी आर्थिकी को मजबूत करने के लिए रोजगार के कार्य कर पाएंगी। कार्यशाला में यह भी चर्चा की गई कि समुदाय की मांग के आधार पर केंद्रों को और अधिक प्रभावी बनाया जाएगा।

कार्यशाला में प्रतिभागियों ने सहमति जताई कि बच्चों के विकास के लिए सरकारी और गैर-सरकारी संस्थाओं को मिलकर काम करना होगा और समुदाय की मांग और अध्ययनोें को ध्यान में रखते हुए क्रेच केंद्रों के संचालन और विस्तार की दिशा में तेजी से कदम उठाने होंगे।

कार्यशाला में पंचायती राज उपनिदेशक मनोज तिवारी ने पंचायती राज प्रतिनिधियों को बाल विकास केंद्रों की योजना और संचालन में प्रशिक्षित करने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने आदर्श पंचायतों को बाल हितैषी और महिला हितैषी ग्राम पंचायत बनाने का सुझाव भी दिया। महिला एवं बाल विकास विभाग की विशेषज्ञ नीतू फुलारा ने कहा कि यूनिसेफ और अन्य अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं के अनुसंधानों के अनुसार, 0 से 6 वर्ष की आयु के बच्चों के विकास पर किया गया निवेश दीर्घकालिक लाभदायक साबित होता है, इसलिए इस आयुवर्ग के बच्चों की देखभाल और पोषण पर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए।
कार्यक्रम का संचालन करते हुए फोर्सज उत्तराखण्ड के संयोजक डाॅ0 डीएस पुण्डीर ने उत्तराखण्ड फोर्सेज के उद्देश्यों की जानकारी देते हुए विगत वर्ष की गतिविधियों के बारे में भी जानकारी दी। आगामी वर्ष की कार्ययोजना पर चर्चा करते हुए उन्होने कहा कि इस वर्ष पंचायतों के साथ मिलकर बच्चों के सर्वांगीण विकास पर कार्य करने का पूरा प्रयास किया जाएगा।

दो दिवसीय कार्यशाला में राजबहादुर सैनी (हरिद्वार), सुभाष पंगरिया (पिथौरागढ)़, करन सिहं (उत्तरकाशी), मनोज पाल (हरिद्वार), अशोक कुमार (नैनीताल), नागेन्द्र दत्त (उत्तरकाशी), गिरीश डिमरी (टिहरी), सुधीर भट्ट, रश्मि पैन्यूली (देहरादून), सुनीता भट्ट (पौड़ी), विनिता मेहता (हरिद्वार), लक्ष्मी राणा (चमोली), अर्चना लोहनी (चम्पावत), ज्योति (अल्मोड़ा) आदि ने भी अपने विचार व्यक्त किए।

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