(प्रमोद शाह)
प्रह्लाद मेहरा जो की अपनी जड़ों से बेहद गहराई से जुड़े कुमाऊं के प्रसिद्ध लोक गायक थे ,उनकी मात्र 53 वर्ष की आयु में हृदय गति रुक जाने से मृत्यु का समाचार प्राप्त हो रहा है। यह सम्पूर्ण कला जगत को स्तब्ध कर देने वाली घटना है। अब जबकि श्री मेहरा जी की रचनाओं में वेग के साथ , एक गंभीर ठहराव दिखाई दे रहा था, जब वह लोक और लोक की खुशहाली के लिए संगीत और उसकी परंपरा के महत्व को बड़ी शिद्दत से समझ रहे थे।
“तू एजा मेरा दानपुरा’ जिसमें कर्ण प्रिय गीत से अधिक , हमारे ऐतिहासिक दानपुर क्षेत्र की समृद्ध लोकसंस्कृति के साथ ही , क्षेत्र की वर्तमान प्राथमिकताओं का मार्मिक आह्वान भी छिपा था ।
साथ ही श्री प्रहलाद मेहरा जी पिछले दिनों क्षेत्र में हो रहे विभिन्न रचनात्मक कार्यक्रमों, जैसे किताब कौतिक आदि में भी एक लोक कलाकार के रूप में उनकी लगातार सक्रियता इस बात का संकेत दे रही थी की भविष्य में उनकी प्रतिभा के पिटारे से कुछ बेहद महत्वपूर्ण लोक महत्व की रचनाएं निकलने वाली हैं। मैं बीते 25 वर्षों से श्री प्रहलाद मेहरा जी से बेहद आत्मीय रूप से जुड़ा था और उनकी रचना यात्रा को नजदीक से देख रहा था ।
तभी हृदय गति रुकने से उनकी जीवन यात्रा समाप्त होने का बेहद दुखद समाचार प्राप्त हो रहा है, इस दुखद समाचार के साथ ही सार्वजनिक जीवन में बेहद सक्रिय रहे उन बहुत से मित्रों एंव आदरणीय जनो का भी स्मरण स्मृति में उभर रहा है, जिन्होंने अपनी सक्रियता के कारण अपने स्वास्थ्य के कारणो की उपेक्षा की ,जिस कारण समाज की बेहद महत्वपूर्ण पूंजी समय से पहले हमने खो दी।
बीते कुछ वर्षों में जिन महत्वपूर्ण शख्सियतों की स्वास्थ्य के कारणों से हमसे बिछोह लिया , उनमें पूर्व में भिक्यासैण के विधायक रहे प्रताप बिष्ट , विपिन त्रिपाठी, शमशेर सिंह बिष्ट, गिरीश तिवारी गिर्दा के नाम पहली झलक में स्मृति में उभर रहे हैं।
हालांकि जीवन और मृत्यु विधि के हाथ है ,यह भी परम सत्य है ।
लेकिन सार्वजनिक जीवन की हमारी व्यवस्तता हमें स्वास्थ्य के कारणो की उपेक्षा करने का अभ्यस्त बना देती है… जिस कारण हमारे मन में एक पश्चाताप रह जाता है कि समाज की यह महत्वपूर्ण पूंजी कहीं उपेक्षा के कारण समय से पहले काल कल्वित तो नहीं हो गई ?
एक बहुत महत्वपूर्ण, ख्यातिलब्ध लोक गायक की मात्र 53 वर्ष की आयु में इस प्रकार विदाई बेहद दुखद है, मैं हृदय की गहराई से उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं और उन तमाम सामाजिक विभूतियो और सक्रिय व्यक्तित्वो से अनुरोध करता हूं, स्वास्थ्य के प्रति तनिक सचेत रहें , और समझे आप स्वयं से ज्यादा समाज की जरूरत और धरोहर हैं ।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने उनके निधन पर गहरा शोक ब्यक्त करते हुए कहा कि ”
प्रदेश के सुप्रसिद्ध लोक गायक श्री प्रह्लाद मेहरा जी का निधन लोक संगीत जगत के लिए अपूरणीय क्षति है।
प्रह्लाद दा ने लोक संगीत के माध्यम से हमारी संस्कृति को नई पहचान देने का अविस्मरणीय कार्य किया। आपके द्वारा गाए गए गीत सदैव देवभूमि की संस्कृति को आलोकित करेंगे।
ईश्वर से पुण्यात्मा को श्रीचरणों में स्थान एवं शोक संतप्त परिजनों व प्रशंसकों को यह असीम कष्ट सहन करने की शक्ति प्रदान करने की कामना करता हूं। विनम्र श्रद्धांजलि !”
उत्तराखंड के सुप्रसिद्ध लोकगायक नरेन्द्र सिंह ने अपने पेज पर प्रहलाद मेहरा को श्रद्धांजलि देते हुए लिखा कि “दुःखद….लोकगायक प्रह्लाद मेहरा ज्यू हमारे बीच नहीं रहे.
मेहरा ज्यू का निधन लोक संगीत जगत के लिए अपूरणीय क्षति है।
ईश्वर पुण्यात्मा को श्रीचरणों में स्थान दें एवं शोक संतप्त परिजनों व प्रशंसकों को यह असीम कष्ट सहन करने की शक्ति प्रदान करें !विनम्र श्रद्धांजलि !”
कौथिग मुंबई के अध्यक्ष केशर सिंह बिष्ट अपने फेसबुक पेज पर अपने शोक संदेश में लिखते हैं कि ”
#बेहद_दुखद !
सुप्रसिद्ध लोकगायक श्री प्रहलाद मेहरा जी अब हमारे बीच नहीं रहे।
53 वर्ष की आयु में हृदय गति रुक जाने से मृत्यु का समाचार प्राप्त हो रहा है । “तू एजा मेरा दानपुरा’ उनका कर्णप्रिय प्रसिद्ध गीत हैं।
एक बहुत महत्वपूर्ण, ख्यातिलब्ध लोक गायक की मात्र 53 वर्ष की आयु में इस प्रकार विदाई बेहद दुखद है, हृदय की गहराई से श्रद्धांजलि !
ईश्वर उनकी आत्मा को अपने श्रीचरणों में स्थान प्रदान करें ।”
लोकगायिका मीना राणा लिखती हैं कि ‘उत्तराखंड के सुप्रसिद्ध गायक प्रहलाद दा हमारे बीच नहीं रहे बहुत ही दुखद सूचना प्राप्त हुई आप ओर आपके साथ गाए हुए सदाबहार गीत हमेशा हमारी यादों में जिंदा रहेंगे ओम शांति 🙏’
दानपुर लोक कला सांस्कृतिक संगम दानपुर बागेश्वर की अध्यक्षा श्रीमति मीरा आर्या ने कहा कि लोकगायक प्रह्लाद मेहरा जी का अचानक यूँ हमसे विदा लेना हमारी लोक संस्कृति व कला जगत का बड़ा नुकसान है। उन्होंने अपने बोलों में जिस तरह “तू ऐजा मेरा दानपुरा” सजाया था, उसके चलते उनकी लोकप्रियता ने हम सबके मध्य अपनी अनूठी छवि बनाई। उनका लोक व्यवहार भी उनके लोकगीतों जैसा ही रहा। बेहद मृदुभाषी प्रह्लाद मेहरा जी को मैंने हाल ही में देहरादून मुलाक़ात के दौरान अपने घर में आने का न्योता भी दिया था लेकिन क्या पता था कि काल उन्हें हमसे यूँ छीन लेगा।
बागेश्वर भगवान उन्हें अपने चरणों में स्थान दे व उनके परिवार को यह दुःख सहने की शक्ति प्रदान करे। विनम्र श्रद्धांजलि 💐💐
कुमाऊ की सुप्रसिद्ध गायिका ख़ुशी जोशी डिगाड़ी लिखती हैं “यकीन नही हो रहा प्रह्लाद दा।।।।अश्रुपूरित श्रद्धांजलि।।”
सुप्रसिद्ध लोक गायिका हेमा नेगी करासी ने अपने पेज पर ट्वीट किया है कि “उत्तराखंड के प्रसिद्ध लोकगायक श्री प्रह्लाद सिंह मेहरा जी का आकस्मिक निधन अत्यंत कष्टप्रद तथा लोकगायन के लिय अपूरणीय क्षति है।
श्री हरि से प्रार्थना करता हूं की दिवंगत आत्मा को अपने चरणों में स्थान दें
।।ॐ शांति।।”