Saturday, July 27, 2024
Homeउत्तराखंडपहाड़ का दर्द...4 जवान बेटों की मां ने तड़पते हुए दम तोड़ा

पहाड़ का दर्द…4 जवान बेटों की मां ने तड़पते हुए दम तोड़ा

इलाज मिलना तो दूर, बेटा भी तब पहुंचा जब मां परलोक सिधार गयी

* बंदरों से बचने की हड़बड़ाहट में गिरी, 6 घंटे आंगन में खून से लथपथ बेहोश रही
* इलाज मिलना तो दूर, बेटा भी तब पहुंचा जब मां परलोक सिधार गयी

(गुणानंद जखमोला)

पलायन, सूने होते पहाड के गांव और शहर में रह रहे बेटों की बुजुर्ग मां-बाप की उपेक्षा का इससे बड़ा उदाहरण कहीं नहीं मिल सकता, जब एक 80 वर्षीय महिला सुबह दस बजे घर की नीमदरी से नीचे गिरी और खून से लथपथ हो गयी। चोट गहरी थी कि सिर से गूदा बाहर निकल गया। शायद किसी नुकीले पत्थर से टकराई थी।

यह घटना पौड़ी के एकेश्वर ब्लाक के एक गांव की है। सिर पर चोट लगने के बाद जो वो बचाव का एक गोल्डन आवर्स होता है, उसकी मियाद कब पूरी हो गयी, पता ही नहीं चला। यहां से अस्पताल भी आठ-दस किलोमीटर दूर है। अज्ञानतावश घायल महिला को प्राथमिक चिकित्सा भी नहीं दी जा सकी। गांव वाले घटनास्थल पर पहुंचे तो घायल महिला लंबी इकहरी सांस ले रही थी। 11 बजे तक उसके बेटे को खबर कर दी गयी। गांव में घायल को उठाकर अस्पताल तक ले जाने के लिए पर्याप्त संख्या में पुरुष नहीं थे। जो हैं, वह बूढ़े और बीमार हैं, तो बुजुर्ग महिला के बेटे का इंतजार किया जाने लगा। कुछ ग्रामीणों ने महिला को पानी पिलाने की कोशिश की लेकिन मुंह के रास्ते भी खून आ रहा था। इस बीच महिला के सिर और मुंह से खून की नदी बहती रही।

बेटा भी गजब का निकला। कोटद्वार से गांव तक का सफर महज दो घंटे में तय हो जाता है। लेकिन अगला व्यक्ति शाम चार बजे के बाद पहुंचा, तब तक मां दम तोड़ चुकी थी। उसकी बिना इलाज के मौत हो गयी। यह बदल रहे रिश्तों और बदल रहे सामाजिक परिवेश की सनसनीखेज और दुखभरी कहानी है।
ग्रामीण बताते हैं कि इस गांव में बंदरों के लगातार हमले हो रहे हैं। बंदर किचन तक घुस जाते हैं। सुबह भी बंदर ने इसी महिला का गूंथा हुआ आटा झपट लिया था। इसके बाद महिला भूखे पेट ही खेतों में चली गयी थी। लौट कर घर आई तो बंदर के हमले से डर से नीमदरी से नीचे गिर गयी। यह पहाड़ की नंगी सच्चाई है। ़

Himalayan Discover
Himalayan Discoverhttps://himalayandiscover.com
35 बर्षों से पत्रकारिता के प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक व सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर सामाजिक, आर्थिक, राजनैतिक, धार्मिक, पर्यटन, धर्म-संस्कृति सहित तमाम उन मुद्दों को बेबाकी से उठाना जो विश्व भर में लोक समाज, लोक संस्कृति व आम जनमानस के लिए लाभप्रद हो व हर उस सकारात्मक पहलु की बात करना जो सर्व जन सुखाय: सर्व जन हिताय हो.
RELATED ARTICLES

ADVERTISEMENT