Sunday, July 13, 2025
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कहीं आकाशवाणी नजीबाबाद से यह आखिरी रिकॉर्डिंग न हो…!

कहीं आकाशवाणी नजीबाबाद से यह आखिरी रिकॉर्डिंग न हो…!

(मनोज इष्टवाल 26 अप्रैल 2016)

सच कहिये तो इसी भय से मैंने ये कुछ फोटो क्लिक की हैं कि हो न हो यह मेरी यहाँ आखिरी रिकॉर्डिंग हो क्योंकि देहरादून आकाशवाणी में पूरा स्टाफ़ आ गया है बस देरी है तो वहां से अपलिंक होने में…..।

 

सन 1978 से अब तक आकाशवाणी नजीबाबाद का 200 किलोवाट क्षमता का यह रेडिओ स्टेशन का सफर अपने आप में अद्भुत रहा है। इसने अपनी फ्रीक्वेंसी की जबर्दस्त पकड़ से न समूचा उत्तराखंड बल्कि हिमाचल व अरुणाचल के कुछ हिस्से में भी अपनी दखल दी है।

आकाशवाणी नजीबाबाद से पूर्व ऐसा नहीं कि मैंने आकाशवाणी के किसी केंद्र में कविता पाठ, विचार गोष्ठी, वार्ता, कहानी इत्यादि में हिस्सा न लिया हो लेकिन उन केन्द्रों से प्रसारण बंद हो ऐसा नहीं सुना। आपको बता दें कि कुछ समय बाद हमें आकाशवाणी नजीबाबाद से गढ़वाली कुमाउनी का न गीत सुनाई देगा न वार्ता, क्योंकि यहाँ से गढ़वाल कुमाऊं का अस्तित्व मिटाकर अब इसे देहरादून से प्रसारित करने की तैयारी हो रही है। अब देहरादून में आकाशवाणी का केंद्र खुल गया है जो मात्र १० किलोवाट की क्षमता का है !

मैं फोटो खींच ही रहा था कि एक हल्की सी डपट पड़ी- सर यहाँ फोटो खींचना मना है! फिर भी आप फोटो खींच रहे हैं। मैंने पलटकर देखा तो पाया आकाशवाणी की उदघोषिका रेनू कोटनाला हैं। मैंने कहा- मैडम ये बातें अब दादा-आदम के जमाने की हो गयी हैं क्योंकि जब से गूगल अर्थ का अविष्कार हुआ है तब से क्या बिजली घर और क्या सरकारी संस्थान हर जगह गूगल पर मौजूद है। आकाशवाणी नजीबाबाद की कई फोटो आपको गूगल में मिल जायेंगी। हाँ मैं यह मानता हूँ कि आप जानते हुए भी अपना फर्ज पूरा कर रही हैं।

रेनू जी ने अनमने ढंग से रोका तो लेकिन जब मैंने उन्हें कन्विस किया कि आकाशवाणी की रिकॉर्डिंग स्टूडियो की फोटो तो आपको हर जगह मिल जायेंगी जो रिकॉर्डिंग करके जाता है वो अपने साथ यादें लेके जाता है, दूसरा अब सरकार द्वारा भी इसे ज्यादा से ज्यादा प्रसारित करने का माध्यम बनाया है ताकि हम दुबारा से अपनी जड़ों से जुड़ सकें।

रेनू कोटनाला की सुमधुर आवाज आपने रेडिओ में सुनी ही होगी । नहीं सुनी तो याद दिलाये देते हैं –मीडियमवेब 314.47 मीटर यानि 954 किलो हर्ट्स पर यह आकाशवाणी का नजीबाबाद केंद्र है। अभी आप सुन रहे थे सुगम संगीत अब सुनिए शास्त्रीय संगीत …!

रेनू जी यादें साझा इसलिए कर रहा हूँ कि हो न हो इन्हें आकाशवाणी अपने अनुभवों में संग्रहित करें। मैं आनंदित इसलिए भी हूँ कि इसी केंद्र के प्रसारण को हम तब से सुनते आये हैं जब हम पढ़ते थे और लोकगायक चन्द्र सिंह राही का गीत हिट बळदा सरसरी रे, तिल हाल मा जाणा रे, या फिर लोकगायक नरेंद्र सिंह नेगी का घुघूती घुराण लगी मेरा मैत की…या फिर राम रतन काला जी की आवाज  ब्योला बणै द्या मीकु ब्योली खुझे द्या, वहीँ लोकगायक गोपाल बाबू गोस्वामी की जादुई आवाज  हाय तेरी रुमाल गुलाबी मुखडी इसके अलावा मूर्धन्य लोक प्रसिद्ध लोक कलाकार जीत सिंह नेगी, केशव अनुरागी, कपोतरी देवी, कन्हैयालाल डन्डरियाल, हीरा सिंह राणा सहित कई हस्तियों की आवाज आज भी लगभग पांच दशक से अभी तक गूंजती रहती है।

मुझे आज भी वह दिन याद है जब वरिष्ठ पत्रकार गणेश खुगशाल गणी के साथ मैं अनिल भारती जी के आवास पर गया था और बातों-बातों में उन्होंने मुझे आकाशवाणी के किसी कार्यक्रम में सहभागिता के लिए कहा। मैं सहर्ष तैयार हुआ और पहली वार्ता आकाशवाणी में दी। उन्होंने मेरा उत्साह बर्द्धन किया तब वह आकाशवाणी में शायद ड्यूटी अफसर हुआ करते थे। आज कार्यक्रम अधिकारी हैं और बरेली में पोस्टेड हैं। मित्र आपकी तरक्की की हमेशा कामना है। अनिल भारती आकाशवाणी लखनऊ व नजीबाबाद के आइकन रहे केशव अनुरागी जी के भतीजे हुए जिन्होंने हमें लोकगायक नरेंद्र सिंह नेगी जैसा बड़ा नाम दिया व मृतप्रायः पड़े ढोल सागर को संजीविनी दी। अनिल भारती जी की कार्यक्षमतायें व अपने कार्य के प्रति ईमानदार छवि व कार्यकुशलता इस व्यक्ति के प्रति आपको सचमुच इनका मुरीद बना देगी।

आकाशवाणी नजीबाबाद में अपनी सेवाएं देने वाले अग्रज चक्रधर कंडवाल जी को भला कैसे भुलाया जा सकता है जिन्होंने कई बर्ष तक आकाशवाणी नजीबाबाद को अपने सुदृढ़ कन्धों पर ढोया है। उनकी आवाज सुनाई देती थी- ग्राम जगत कार्यक्रम सुणदरा भै बैणओ थैंs चक्रधर कंडवाल कु नमस्कार..! विनय ध्यानी जी भी ने भी कई बर्षों तक आकाशवाणी नजीबाबाद के कार्यक्रम प्रस्तुत किये। विनय ध्यानी से मेरी पहली मुलाकात “ब्वारी होत इनि” गढ़वाली फीचर फिल्म के मुहूर्त शॉट पर हुई थी सिद्धबलि मन्दिर कोटद्वार में। लोकसंगीत के प्रसारण की बात रही हो और हम सुभाष थलेड़ी जी (वर्तमान में निदेशक दूरदर्शन देहरादून) व श्रीमती माधुरी बडथ्वाल दीदी को भुला दें यह भला कैसे हो सकता है क्योंकि इन्होंने अपने कार्यकाल में उत्तराखण्ड के कई गायक कलाकारों को आकाशवाणी नजीबाबाद में मौका देकर उनका भविष्य सँवारा है। इसके अलावा कई और भी नाम हैं जो अभी याद नहीं आ रहे हैं, उन सबको मेरा साधुवाद !

भारत के प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी जी को सलूट कि उन्होंने फिर से रेडिओ क्रान्ति को जीवित करने की कोशिश की है।

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35 बर्षों से पत्रकारिता के प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक व सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर सामाजिक, आर्थिक, राजनैतिक, धार्मिक, पर्यटन, धर्म-संस्कृति सहित तमाम उन मुद्दों को बेबाकी से उठाना जो विश्व भर में लोक समाज, लोक संस्कृति व आम जनमानस के लिए लाभप्रद हो व हर उस सकारात्मक पहलु की बात करना जो सर्व जन सुखाय: सर्व जन हिताय हो.
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