Monday, October 7, 2024
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हिंदुस्तान समाचार पत्र के पत्रकार सती को धकियाने वाला इंस्पेक्टर अरोड़ा सस्पेंड। मुख्यमंत्री व डीजीपी ने दिए जांच के निर्देश।

देहरादून (हि. डिस्कवर)

वर्दी की ऐंठ व जुबान के तल्ख़ बोलों ने आखिर सब इंस्पेक्टर हर्ष अरोड़ा को ज़मीन पर ला ही दिया। विगत दो दिन पूर्व मांगलवार को दशहरा मेले की कवरेज के लिए गए हिन्दुस्तान के वरिष्ठ पत्रकार ओम प्रकाश सती के साथ दरोगा हर्ष अरोड़ा सार्वजानिक रूप से की गई अभद्रता उन्हें महंगी पड़ी। सोशल मीडिया पर वायरल हुए वीडिओ को देख जहाँ आम जनता ने इंस्पेक्टर के रवैय्ये की भर्त्सना की वहीं प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक व सोशल मीडिया के पत्रकारों में इस घटना से आक्रोश दिखा व इस मामले को लेकर पत्रकारों ने बुधवार को डीजीपी से मुलाकात कर कड़ा आक्रोश जताया। पत्रकार ओम सती की लिखित शिकायत पर जहाँ एक ओर डीजीपी अशोक कुमार ने दरोगा हर्ष अरोड़ा को सस्पेंड करने के अलावा उसके खिलाफ जांच के आदेश दिए हैं। वहीं दूसरी ओर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भी मामले का संज्ञान लेते हुए डीजीपी को उचित कार्रवाई के निर्देश दिए। एसएसपी अजय सिंह ने दरोगा हर्ष अरोड़ा को विगत बुधवार शाम सस्पेंड कर दिया।

दैनिक हिंदुस्तान समाचार पत्र के वरिष्ठ पत्रकार ओम सती की लिखित शिकायत के साथ पत्रकारों ने डीजीपी अशोक कुमार से मुलाकात कर समस्त प्रकरण की जानकारी साझा करते हुए कहा कि “परेड ग्राउंड में मंगलवार को रावण दहन का आयोजन था। कवरेज के लिए वरिष्ठ पत्रकार ओम प्रकाश सती भी वहां मौजूद थे। पत्रकारों को पुलिस ने एक स्थान पर कवरेज के लिए बैठने का आग्रह किया। वहां तक अचानक आम लोग भी पहुंच गए। इस पर ड्यूटी पर तैनात दरोगा हर्ष अरोड़ा आए और ओम प्रकाश सती से अभद्रता करने लगे। वर्दी का रौब गांठते हुए वह ओम सती को अपमानजनकत रीके से आयोजन स्थल से बाहर धकेलते हुए ले गए। उन्होंने सैकड़ों लोगों की भीड़ के बीच पत्रकार के सम्मान को गहरा आघात पहुंचाया। पत्रकारों ने कहा, यह मानवाधिकार का भी उल्लंघन है। ऐसा किसी भी नागरिक के साथ नहीं किया जा सकता, जबकि ओम प्रकाश सती वहां कवरेज के लिए बाकायदा ड्यूटी पर थे।”

दरोगा हर्ष अरोड़ा की इस हरकत का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद विभिन्न पत्रकार संगठनों ने इस प्रकरण की कड़ी आलोचना की है। प्रेस क्लब ऑफ मसूरी पूर्व अध्यक्ष प्रदीप भंडारी ने ट्वीट करते हुए अपने सोशल पेज पर लिखा है कि – “विजयदशमी के अवसर पर कल देहरादून में वरिष्ठ पत्रकार ओम सती के साथ पुलिस सब इंस्पेक्टर द्वारा की गई बदसलूकी की मैं कड़े शब्दों में निंदा करता हूं। और प्रदेश डी जी पी से इस असंवैधानिक कुकृत्य के लिए दोषी पुलिस अधिकारी के निलबन की मांग करता हूं।”

वहीं नेशनल सोशल मीडिया जर्नलिस्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष मनोज इष्टवाल ने इस घटनाक्रम पर आश्चर्य जताते हुए अपने सोशल पेज पर ट्वीट करते हुए  वायरल वीडिओ शेयर करते हुए लिखा है कि:-

लोक तंत्र के चौथे स्तम्भ के प्रति पुलिसिया यह रवैया क्या शोभनीय है? पत्रकारों का वर्दी के प्रति सम्मान हमेशा ही बना रहा लेकिन यह घटना हमें शर्मसार करती नजर आती है। मैं नहीं जानता कि हिंदुस्तान समाचार पत्र के पत्रकार ओम प्रकाश सती की क्या गलती रही होगी जो दरोगा इतने आग बबूला होते नजर आये। प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि सती जी की कोई गलती नहीं थी। उन्होंने तो परिचय भी दिया कि मैं पत्रकार हूँ लेकिन दरोगा साहिब वर्दी की हनक में वो करते रहे जो यकीनन क़ानून सम्मत भी नहीं लगता व पुलिस आचरण नियमावली में भी कहीं वर्णित नहीं होगा।
बेचारे हनुमान जी भी इस प्रकरण में असहाय नजर आये। मुझे लगता है कि उक्त घटना का संज्ञान सिर्फ़ पत्रकारों ने ही नहीं लिया होगा बल्कि एसएसपी देहरादून व डीजीपी साहब ने भी लिया होगा।”

ऐसे ही जाने कितने पत्रकार व पत्रकार संगठनों ने इस खबर पर सब इंस्पेक्टर हर्ष अरोड़ा के कृत्य की कड़ी आलोचना की है। वरिष्ठ पत्रकार गुनानंद जखमोला ने तो इस प्रकरण पर बेहद तल्ख़ तेवरों के साथ अपनी खीझ उतारते हुए अपनी सोशल साइट पर लिखा है कि

“अखबारी लाला और संपादक दोनों नंबर एक दब्बू और डरपोक होते हैं।

एक प्रमुख हिन्दी दैनिक अखबार को सुबह से तीन बार पढ़ा। सोचा, किसी कोने में उनके अपने ही पत्रकार के साथ कल परेड ग्राउंड में हुए पुलिसिया दुर्व्यवहार की खबर होगी। दो लाइन ही सही। लेकिन मुझे नहीं दिखी। ठीक है, पुलिस ने इस मामले में दारोगा को लाइन हाजिर कर दिया। ठीक ही किया। लेकिन संपादक दोनों पक्ष छाप देता तो क्या बिगड़ जाता? रिपोर्टर का मनोबल बढ़ जाता कि संस्थान साथ है। एक वह भी तो संपादक है जिसके रिपोर्टर का नगर निगम में महीना बंधा था। मैंने उसकी बीबी की कॉल रिकार्ड उस संपादक को भेजी। मजाल क्या है कि पट्ठे ने कुछ किया हो। अपने रिपोर्टर का साथ दिया और अपना कार्यकाल बढ़वा दिया। ऐसे होते हैं संपादक। ये थोड़ी कि रिपोर्टर को सम्मान मिले तो संस्थान का सम्मान और बेइज्जती हो तो निजी।

यदि वीडियो वायरल नहीं होता तो दरोगा का कुछ नहीं बिगड़ता। सोशल मीडिया ने ही बेचारे रिपोर्टर का पक्ष लिया। वरना बड़े नामी अखबार और चैनल चुप्पी साध गये। कितने दिन डर कर जी सकते हो, संपादक जी। एक दिन कुर्सी नीचे से सरक जाएगी तब कौन पूछेगा? मैंने जीवन में देश के कई नामी संपादकों के साये में काम किया, लेकिन जितने डरपोक और दब्बू संपादक देहरादून के हैं, उतने कहीं के नहीं। और हां, वो जो क्लब-वलब और यूनियन फूनियन हैं। वो किस काम की? किसी ने इस घटना की निंदा की क्या? मैंने नहीं देखी, वो भी फट्टू ही हैं क्या?”

लेकिन जब दैनिक हिंदुस्तान समाचार पत्र में इस प्रकरण को लेकर खबर छपती है तब फिर गुनानंद जखमोला अपनी फेसबुक पोस्ट पर हिंदुस्तान द्वारा छापी गई खबर को चस्पा कर लिखते हैं –

हिन्दुस्तान ने दिखाया दम, छाप दी दो कॉलम खबर
सब इंस्पेक्टर हर्ष अरोड़ा को मानसिक चिकित्सक की जरूरत
– पुलिस को स्ट्रेस एंड क्राउड मैनेजमेंट की मिले ट्रेनिंग

“विजयदशमी को दून के परेड ग्राउंड में मित्र पुलिस के सब इंस्पेक्टर हर्ष अरोड़ा ने एक पत्रकार के साथ दुर्व्यवहार किया। यदि सोशल मीडिया नहीं होता तो इस पत्रकार को इंसाफ नहीं मिलता। पत्रकार के साथ दुर्व्यवहार का वीडियो वायरल हो गया। इससे मित्र पुलिस की पोल खुल गयी। यह घटना बहुत ही निंदनीय है और सोचनीय भी है कि राजधानी दून में इस तरह के पुलिसवालों को कैसे तैनात किया जा रहा है, जो जरा भी भीड़ का तनाव नहीं झेल पा रहे हैं और आपा खो रहे हैं। जबकि यह केवल दशहरेे की भीड़ थी। कोई विरोध प्रदर्शन या सड़क जाम नहीं हो रही थी। इसके बावजूद सब इंस्पेक्टर ने इतनी अधिक बदतमीजी की जो कि बता रहा है कि सब इंस्पेक्टर की मानसिक हालात ठीक नहीं है। उसे मनोरोग विशेषज्ञ से सलाह लेनी चाहिए। जब तक उसका इलाज नहीं होता तो उसे रिजर्व बटालियन में भेज दिया जाना चाहिए। कम से कम वह अभी सिविल पुलिस लाइक तो नहीं है।

पुलिस जितने दबाव में काम करती है, पत्रकार भी उतने ही दबाव में काम करता है। दोनों का एक जैसा हाल है। इसके बावजूद पत्रकार भीड़ में भी खबर निकाल लाता है और पुलिस को लाठीचार्ज की जरूरत पड़ जाती है। यानी कलम, लाठी से अधिक सशक्त होती है। दशहरे की यह घटना इंगित करती है कि मित्र पुलिस को स्ट्रेस और क्राउड मैनेजमेंट की ट्रेनिंग नहीं दी जा रही है। सिविल पुलिस को योगा की भी जरूरत है।

आज हिन्दुस्तान ने यह खबर दूसरे पेज पर प्रमुखता से दो कालम प्रकाशित की है। यह सराहनीय बात है कि अखबार प्रबंधन और संपादक ने पत्रकार का साथ दिया। पत्रकार सार्वजनिक जीवन जीते हैं। मान-अपमान होता रहता है। इस पेशे की खासियत या कमजोरी ही यह है कि मान मिले या अपमान, अपना काम करना है। खबर लिखनी या दिखानी ही है। उस पत्रकार ने भी अपना कर्तव्य निभाया।

प्रदेश के कई वरिष्ठ पत्रकारों और प्रेस क्लब ने भी इस घटना की निंदा की है। यह सच है कि यदि वह पत्रकार वहां नहीं होता तो कोई दूसरा होता या आम आदमी ही होता, तब भी सब इंस्पेक्टर का व्यवहार अशोभनीय और बर्बरतापूर्ण था। इसकी जितनी भी निंदा की जाए, वो कम है।”

वरिष्ठ पत्रकार गजेंद्र रावत ने जी न्यूज़ के पूर्व वीडिओ जर्नलिस्ट गोविन्द सिंह का मामला ताजा करते हुए लिखा कि

पत्रकारिता पर भारी धंधेबाज मीडिया मालिक..

मीडिया मालिकों के धंधे के लिए खोले मीडिया हाउस में पत्रकार मालिक के धंधे को बढ़ाने के कारण पिस रहे हैं. पत्रकारों के भविष्य से खेलते धंधेबाज मालिक पत्रकारों की उस मजबूरी का जमकर दोहन कर रहे हैं जिसमे वो नौकरी कर रहा है .. ताजा मामला उत्तराखंड से प्रकाशित होने वाले अखबार हिंदुस्तान के पत्रकार ओम प्रकाश सती को देहरादून पुलिस द्वारा धक्के मारकर खदेड़ने का है . कुछ साल पहले जी न्यूज के छोटे भाई गोविंद का उत्तराखंड पुलिस गला पकड़कर घसीट रही थी तो गोविंद गला छुड़ाने की बजाय कैमरा बचा रहा था क्योंकि कैमरा टूटता तो नौकरी चली जाती.. जी न्यूज वालों ने गोविंद के लिए एक शब्द नही बोला ..
पत्रकारिता के इस गुलाम काल में धंधेबाज मालिकों को बेनकाब करना बेहद जरूरी है जिनके कारण आज ये सब दिख रहा है।”

पत्रकारों का यह रोष यकीनन उनके संस्थानों द्वारा किये जा रही अवहेलना के बाद पनपना कहीं न कहीं जायज है। शुक्र है कि दैनिक हिन्दुस्तान समाचार पत्र ने आखिरकार आज के अपने अखबार में इस प्रकरण पर दो कालम की खबर छापी है।
बहरहाल पत्रकारों से हुई मुलाक़ात के बाद डीजीपी अशोक कुमार ने पत्रकारों को दो घंटे के भीतर कार्रवाई का आश्वासन दिया था। जो दो घंटे न सही लेकिन कुछ घंटों में प्रभावी होता दिखाई दिया और दरोगा हर्ष अरोड़ा सस्पेंड किया गया।आरोपी दरोगा के खिलाफ जांच सीओ डालनवाला को सौंपी गई है। उनसे तीन दिन के भीतर रिपोर्ट मांगी है। इससे पहले एसएसपी अजय सिंह ने बुधवार सुबह ही खुद संज्ञान लेकर आरोपी दरोगा को लाइन हाजिर कर दिया था।

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