Saturday, September 7, 2024
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सनातन धर्मावलंबियों के अंतिम तीर्थ मुक्तिनाथ की मुसतांग घाटी में । जहां भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आगमन पर बनाई गई थी सीढ़ियां।

(यात्रा संस्मरण अंश एक)

रतन सिंह असवाल 25 मई 2022।

समुद्रतल से 12500 फीट की ऊंचाई पर स्थिति हिंदुओं के प्रसिद्ध धार्मिक स्थल श्री मुक्तिनाथ के दर्शन करने के बाद अपने अनुभव साझा कर रहा हूं । सनातन जातक होने के नाते सनातनियों के अंतिम तीर्थ माने जाने वाले मुक्तिनाथ जी की यात्रा करने का काफी समय से मन था । समय मिला तो ट्रैकिंग, हाइकिंग के साथ श्री मुक्तिनाथ जी के दर्शन करने की इच्छा के साथ हम पहुच गए ट्रैकरों ,बाइकरों के स्वर्ग और पवित्र भूमि और भगवान श्री मुक्तिनाथ के वासस्थल मित्रराष्ट्र नेपाल की मुसतांग वैली में..।

यों तो यदि माता वैष्णव देवी और श्री तिरुपति बालाजी मंदिर जैसे कुछ धार्मिक स्थलों को अपवाद स्वरूप छोड़ दिया जाए तो कमोवेश सनातन मंदिरों में नागरिक सुविधाओं की कमियों की बात किसी से छुपी नही है।

दिनांक 25 मई को मैंने पूरे जोष में श्री मुक्तिनाथ की ओर प्रस्थान किया एक दिन जुमसुम के पास रुकने के बाद मैं अपने स्तानीय साथी कृष्ण राज kc के साथ मंदिर में भगवान के दर्शनों के लिए निकल पड़ा । एक निश्चित स्थान से आगे गाड़ियों के संचालन की अनुमति नही है । यंहा से लगभग दो किमी. पैदल रास्ता तय कर आपको मंदिर तक पहुचना होता है।

मंदिर तक पहुचने वाला मार्ग कच्चा है । जब हम मुक्तिनाथ जी पहुँचे तब वहां वर्षा हो रही थी। तो स्वाभविक ही है कि बरसात में इस मार्ग पर कीचड़ हो जाता है, जिसके कारण श्रद्धालुओं को आवागमन में खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। श्रद्धालुओं को फिसलते और कीचड़ में लतपथ होने खुद अपनी आंखों से देखा है। सीधी सड़क समाप्त हुई तो मंदिर तक पहुचने के लिए बढ़िया सीढ़िया थी। सीढ़ियों के किनारे बैठे एक बाबा ने बताया कि भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आए थे यह उनके लिए बनी थी। सीढ़ियों के पास ही हैलीपैड भी दिख गया ।

अब हम मंदिर परिसर में दाखिल हो चुके थे। पास ही एक बालिका प्रसाद आदि की दुकान से कह रही थी कि पूजा सामग्री और प्रसाद की यह आखरी दुकान है । एक टोकरी हमने भी ली जिसका मूल्य बहुत ज्यादा भी नहीं था। आगे बढ़ते गए तो श्रद्धालुओं में भारतीयों की संख्या ज्यादा थी जिनमें गुजरात, महाराष्ट्र और दक्षिण भारत के श्रद्धालुओं की संख्या ज्यादा है और अपने राज्य उत्तराखण्ड की हाजरी लगाने के लिए मैं तो था ही ।

मंदिर तक जाने वाला रास्ता भी कच्चा, उसमे भी फिसलने की पूरी संम्भावना । अब हम मंदिर के प्रांगण में खड़े थे, चूंकि वर्षा हो रही थी तो पास खड़े सेना के जवान ने कहा कि भीग क्यों रहे हो इधर दरवाजे के नीचे आ जाओ। हमने कहा बंधु जूते पहने हैं। उत्तर मिला कि भीगने से अच्छा है छत की आड़ ले लो, यहां काफी ठंड होती है भीग जाओगे तो बीमार हो सकते हो। बादबाक़ी आप कोई जूते लेकर गर्भगृह में थोड़े जा रहे हो मंदिर के दरवाजे पर ही तो आड़ ले रहे हो। यह बात यदि उत्तराखण्ड में कोई कह दे तो, हो सकता है कुछ अतिवादी विचारक उसे धर्म विरोधी और देशद्रोही घोषित करने में कोई कोर कसर नही छोड़ेंगे ।

मुक्तिनाथ मंदिर।

ज्ञात हो कि नेपाल की खूबसूरत पहाड़ियों के बीच स्थित इस ऐतिहासिक मंदिर का संबंध सृष्टि के आरंभ काल से माना जाता है। कहते हैं, यहां भगवान विष्णु को देवी वृंदा के शाप से मुक्ति मिली थी इसलिए यह मुक्ति धाम के नाम से प्रसिद्ध हुआ।

सनातन हिन्दू धर्म ग्रन्थों व पुराणों के अनुसार, हमारी पृथ्वी 7 भागों और 4 क्षेत्रों में बंटी हुई है। इन चार क्षेत्रों में प्रमुख क्षेत्र है मुक्तिक्षेत्र। ऐसी कथा है कि शालग्राम पर्वत और दामोदर कुंड के बीच सृष्टिकर्ता ब्रह्माजी ने मुक्तिक्षेत्र में यज्ञ किया था। इस यज्ञ के प्रभाव से भगवान शिव अग्नि ज्वाला के रूप में और नारायण जल रूप में उत्पन्न हुए थे। इसी से सभी पापों का नाश करनेवाले मुक्तिक्षेत्र का प्रादुर्भाव हुआ था।

मुक्तिनाथ धाम में भगवान स्वामी नारायण ने करीब 6 महीने तपस्या करके सिद्धियां प्राप्त की थी। भगवान विष्णु को श्राप से मुक्ति और स्वामी नारायण की तपस्या के कारण हिंदूओं के लिए यह नेपाल के प्रमुख तीर्थों में से एक है। लेकिन आपको जानकर हैरानी हो सकती है कि मुक्तिधाम में बौद्ध धर्म को माननेवालों की भी अपार श्रद्धा है। बौद्ध संप्रदाय नारायण को आर्यावलोकितेश्वर मानकर पूजा करते हैं। इसलिए मुक्तिधाम धार्मिक सहिष्णुता का भी एक प्रमुख केन्द्र है। मुक्तिनाथ धाम का संबंध भगवान बदरीनाथ से भी माना जाता है क्योंकि बदरीनाथ धाम के गर्भगृह में भी शालग्राम भगवान की पूजा होती है।

ऐसी मान्यता है कि यहां पर श्राद्ध तर्पण करने से व्यक्ति की 21 पीढ़ियों को मुक्ति मिल जाती है। श्रीमद्भागवत पुराण में धुंधकारी की कथा मिलती है, जिसने यहां श्राद्ध करके अपनी 21 पीढ़ियों को मुक्ति दिलाई और स्वयं भी पाप मुक्त होकर स्वर्ग को गया।
क्रमश:…..!

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35 बर्षों से पत्रकारिता के प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक व सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर सामाजिक, आर्थिक, राजनैतिक, धार्मिक, पर्यटन, धर्म-संस्कृति सहित तमाम उन मुद्दों को बेबाकी से उठाना जो विश्व भर में लोक समाज, लोक संस्कृति व आम जनमानस के लिए लाभप्रद हो व हर उस सकारात्मक पहलु की बात करना जो सर्व जन सुखाय: सर्व जन हिताय हो.
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