रंजीत कुमार
करीब चार साल बाद एक बार फिर चीन की किसी बीमारी को लेकर दुनियाभर की स्वास्थ्य मशीनरी चिंतित है। चीन में बड़े पैमाने पर बच्चे सांस की बीमारी से ग्रसित हो रहे हैं। विश्व मीडिया में इसे रहस्यमय बाल निमोनिया कहा जा रहा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) के अनुरोध पर चीन ने जो आधिकारिक रिपोर्ट दी है उसके मुताबिक यह कोई अज्ञात बीमारी नहीं है और इसके पीछे किसी नए रोगाणु (पैथोजेन) होने के प्रमाण नहीं मिले हैं।
इसी रिपोर्ट को तात्कालिक सच मानते हुए डब्लूएचओ ने वैश्विक स्वास्थ्य एडवायजरी जारी की है। इस एडवायजरी में लोगों को सामान्य सावधानी बरतने की सलाह दी गई है और कहा गया है कि चीने से होने वाली आवाजाही को रोकने की आवश्यकता नहीं है। डब्लूएचओ की एडवायजरी के शब्द हैं, इस घटना को लेकर अब तक जो जानकारी उपलब्ध है, उसके आधार पर डब्लूएचओ किसी प्रकार का व्यापार और यात्रा प्रतिबंध लागू करने के विरुद्ध है।
सवाल है कि क्या सच में यह ठंढ के मौसम में होने वाली सामान्य सर्दी-जुकाम की समस्या है? क्या इसके पीछे सर्दी जुकाम के लिए जिम्मेदार सामान्य-परंपरागत बैक्टेरिया, वायरस का संक्रमण ही है? क्या सच में विश्व समाज को इसे कोविड 19 की तरह नहीं लेना चाहिए? दुनिया भर के संक्रामक रोग विशेषज्ञों में से अधिकतर का कहना है कि चीन के इस बाल निमोनिया को कोविड 19 की तरह नहीं लेना चाहिए। उन्होंने चीन में बड़े पैमाने पर बच्चों के बीमार होने के पीछे की वजह को परिस्थितिजन्य माना है। प्रसिद्ध विज्ञान शोध पत्रिका नेचर ने अपनी एक रिपोर्ट में इस बीमारी का विश्लेषण कुछ इस तरह किया है, महामारी को रोकने के उपायों- जैसे मास्क लगाना और यात्रा प्रतिबंध आदि में ढील देने के बाद की पहली सर्दी में सांस संबंधित रोगों में वृद्धि होना एक परिचित पैटर्न रहा है। नवंबर 2022 में, अमेरिका में फ्लू से अस्पताल में भर्ती होने वाले मरीजों की संख्या 2010 के बाद सर्वाधिक देखी गई।
नेचर की रिपोर्ट में आगे लिखा है कि यूनिवर्सिटी कॉलेज, लंदन के कम्प्यूटेशनल जीव विज्ञानी फ्रेंकोइस बैलौक्स के अनुसार, राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन और कोविड -19 के प्रसार को कम करने के लिए किए गए उपायों ने मौसमी रोगाणुओं के प्रसार को रोक दिया, जिससे आबादी को रोगाणुओं के खिलाफ इम्युनिटी विकसित होने का अवसर नहीं मिला। इसे इम्यूनिटी डेब्ट कहते हैं। चूंकि चीन ने किसी भी अन्य देश की तुलना में कहीं अधिक लंबे समय तक और कहीं अधिक कठोर लॉकडाउन लागू किया था, इसलिए यह अनुमान लगाया गया था कि लॉकडाउन हटाने के बाद चीन में ऐसी बीमारी की लहर आ सकती है। ठीक इसी तरह की विज्ञप्ति चीन के स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से जारी की गई है। चीन के स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा है कि उनके देश में बाल निमोनिया की जो बीमारी सामने आई है, उसके पीछे कोविड 19 जैसा कोई अज्ञात वायरस नहीं है।
यह फ्लू और अन्य सामान्य ज्ञात बैक्टेरिया, वायरस के संक्रमण से हो रहा है। इसकी दवा उपलब्ध है और घबराने की आवश्यकता नहीं है। लेकिन, इन सब बातों के बावजूद दुनिया बेफिक्र नहीं हो सकती है। कोविड 19 की तरह ही इस नई महामारी पर चीन के दावे पर शक करने के कई कारण मौजूद हैं। इस बीमारी को लेकर भी चीन ने कोविड 19 की तरह ही व्यवहार किया है। चीन का कहना है कि अक्टूबर के आखिरी सप्ताह में इस बीमारी के बड़े पैमाने पर फैलने की बात सामने आई, जबकि कई मीडिया रिपोर्ट में कहा गया है कि मई महीने से ही चीन के उत्तरी और पूर्वी प्रांतों में इस बीमारी का प्रकोप फैल गया था। ठीक इसी तरह का व्यवहार चीन ने कोविड 19 मामले में भी किया था,जब उसने कई महीने तक बीमारी को दुनिया से छिपाए रखा। गौरतलब है कि प्रोमेड नामक संस्था ने 2019 में काफी पहले शंका जाहिर की थी कि चीन के वूहान प्रांत में कोई अज्ञात महामारी फैली हुई हुई है।
इस बार भी प्रोमेड ने इस रहस्यमय निमोनिया को लेकर जो रिपोर्ट प्रकाशित की है, वह चीन के दावे और डब्लूएचओ एवं अन्य विशेषज्ञों की राय से अलग है। प्रोमेड के अनुसार, बहुत बड़ी संख्या में बच्चे अस्पताल में भर्ती हैं। उन्हें खांसी नहीं होती है और उनमें कोई लक्षण (सर्दी के) नहीं होते हैं। उन्हें बस उच्च बुखार होता है और कई बीमार बच्चों के फेफड़े में गांठ विकसित हो रहे हैं। चीन के कई क्षेत्रों से इस अज्ञात श्वसन बीमारी के व्यापक प्रकोप की बात सामने आ रही है। बीजिंग और लियाओनिंग लगभग 800 किमी दूर हैं, लेकिन दोनों जगह बीमारी का प्रकोप है। यह बिल्कुल भी स्पष्ट नहीं है कि इस बीमारी का प्रकोप कब शुरू हुआ। इतनी संख्या में बच्चे जल्द इसकी चपेट में आ जाएंगे, यह कहना असामान्य बात होगी।
इन दोनों पहलू के अलावा एक तीसरे पहलू की भी चर्चा हो रही है। इसमें कहा जा रहा है कि यह निमोनिया का एक सामूहिक प्रकोप है जिसके लिए परंपरागत निमोनिया बैक्टेरिया समेत, इनफ्लुएंजा, एडिनोवायरस, आरएसवी जैसे वायरस भी जिम्मेदार है। शायद इस कारण यह बीमारी तेजी से फैल रही है और इसकी चपेट में बड़ी संख्या में बच्चे आ रहे हैं। उपरोक्त तथ्यों के आधार पर कहा जा सकता है कि फिलहाल दुनिया को स्पष्ट रूप से इस बात की जानकारी नहीं है कि यह कोई नई महामारी है या सामान्य जुकाम की कोई लहर है। डब्लूएचओ ने विश्व बिरादरी को आश्वस्त किया है कि वह लगातार इसकी निगरानी कर रहा है और चीनी अधिकारियों के संपर्क में है।
आगे भी वह इसे लेकर दुनिया को अपडेट करता रहेगा। बहरहाल, भारत सरकार भी चीन के इस नए संकट को लेकर सजग है। केंद्र सरकार ने रविवार को सभी राज्यों के लिए एक स्वास्थ्य एडवायजरी जारी की है। इसमें सभी राज्यों को अपनी सार्वजनिक स्वास्थ्य तैयारियों की तुरंत समीक्षा करने की सलाह दी गई है। स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने कहा कि उसने अत्यधिक सावधानी बरतते हुए सांस संबंधी बीमारियों के खिलाफ प्रारंभिक उपायों की सक्रिय रूप से समीक्षा करने का फैसला लिया है।
कोविड 19 के त्रासद अनुभव के कारण भारत समेत पूरी दुनिया महामारी के नाम से सहमी हुई है। ऐसी स्थिति में अफवाह फैलने की संभावना अधिक रहती है। सोशल मीडिया में अफवाह फैलाने वाली सामग्री बड़ी संख्या में अपलोड की जा रही है। इसलिए आम लोगों के लिए सबसे अच्छा यह होगा कि वह सरकारी स्वास्थ्य एडवायजरी का नियमित रूप से अवलोकन करते रहें।