चीन में भारतीय संस्कृति का ध्वजारोहक देव। वुहान, सियान और बीजिंग में खोले हैं 10 रेस्तरां।
* रेस्तरां में चीनी नागरिकों को नथ, बुलाक और साड़ी पहना कर संस्कृति से कराते हैं रूबरू।
(गुणा नंद जखमोला)
कहते हैं कि अथक मेहनत और कुछ करने का जज्बा हो तो मंजिल मिल ही जाती है। ऐसा ही कुछ चीन में भारतीय संस्कृति की पताका फहराने वाले देव रतूड़ी के साथ हुआ। 2005 में देव जब चीन की प्राचीन राजधानी सियान में पहुंचे तो उनका पद वेटर का था। अपनी मेहनत, कुछ कर गुजरने की क्षमता, निरंतर आगे बढ़ने की सोच और कुशल प्रबंधन से देव रतूड़ी ने चीन की धरा में सफलता के कई सोपान हासिल कर लिए हैं। देव रतूड़ी के चीन के सियान, बीजिंग और वुहान में 10 रेस्तरां हैं और उनके पास लगभग 70 लोग काम कर रहे हैं जिनमें अधिकांश भारतीय हैं।
(देव के रेस्तरां में साड़ी पहने चाइनीज कस्टमर)
कल सुबह हरिद्वार बाईपास स्थित अमोला रेस्तरां में चीन में भारतीय संस्कृति का डंका बजाने वाले देव रतूड़ी से मुलाकात हुई। देव रतूड़ी इन दिनों उत्तराखंड आए हैं। अमोला रेस्तरां के संचालक जयप्रकाश अमोला और युवा नेता मोहित डिमरी ने उनसे मेरा परिचय कराया। देव टिहरी के मिनी जापान यानी घनसाली ब्लाक के केमरिया सौड गांव के हैं। बहुत ही साधारण परिवार में जन्म लिया। घोर आर्थिक संकट था तो दसवीं के बाद पढ़ाई नहीं कर सके। नौकरी के लिए दिल्ली गये। वहां तीन साल तक दूध की डेयरी में काम किया। और कुछ साल एक कंस्ट्रक्शन कंपनी के ठेकेदार के साथ रहे। ब्रूसली से प्रभावित थे तो मार्शल आर्ट भी सीखा और ब्राउन बेल्ट हासिल की। फिल्मों में किस्मत अजमाने मुंबई भी गये। पुनीत इस्सर ने मौका भी दिया लेकिन कैमरे के सामने टांगे कांपने लगी। वापस दिल्ली लौट आए। यहां से उन्हें चीन जाने का मौका मिला। तीन महीने दिल्ली के रेस्तरां में वेटर का प्रशिक्षण लिया और ब्रूसली के देश हांगकांग होते हुए चीन पहुंच गये।
यहां चीनी रेस्तरां में वेटर की नौकरी की और धीरे-धीरे तरक्की कर जर्मन और आस्टेªलियन रेस्तरां में मैनजर से लेकर आपरेशन हेड का पद हासिल कर लिया। देव में सीखने की जबरदस्त ललक है। उन्होंने महज 6 महीने में ही चाइनीज सीख ली थी। देव कहते हैं कि तय कर लिया था कि अपना ही कुछ करना है। 2011 में उन्होंने सियान में पहला रेस्तरां खोला रेडफोर्ट यानी लाल किला। उन्होंने पूरी तरह से भारतीय खाने और भारतीय संस्कृति की थीम को अपनाया। चीनी लोगों ने इसे पसंद किया।
देव बताते हैं कि वह अपने रेस्तरां के लिए एक भारतीय नक्काशी वाला दरवाजा भारत से लेकर गये। इसकी कीमत उन्हें 16 लाख पड़ी। लेकिन इसमें भारतीय संस्कृति थी। इसके साथ ही वह साड़ियां, कुर्ती, बुलाक, नथ और अन्य भारतीय परिधान वहां ले गये। उन्होंने रेस्तरां की थीम इस तरह बनाई कि कोई भी कस्टमर इन परिधानों को बुक कराकर पहन सकता है। इस थीम को चीनी लोग बहुत पसंद करते हैं। देव बताते हैं हर भारतीय त्योहार धूमधाम से मनाते हैं और चीनी लोग इसमें भाग लेते हैं। हाल में उन्होंने क्रीम पाउडरा समेत कई गढ़वाली गानों की थीम पर डांस करवाया। देव काएक्टिंग का शौक चीन में भी बना रहा। वह अब तक 35 फिल्मों, एलबम और विज्ञापनों में काम कर चुके हैं और धाराप्रवाह चीनी बोलते हैं।
देव की अगली मंजिल कनाडा में रेस्तरां खोलने की है। वह चाहते हैं कि इसके बाद उत्तराखंड में भी होटल शुरु करें लेकिन यहां के अन्य होटलियरों के कटु अनुभव उन्हें डरा रहे हैं। यहां जबरदस्त भ्रष्टाचार है जबकि चीन सरकारी बिजनेसमैन की हर समस्या का समाधान घर बैठे कर देती है।
अमोला रेस्तरां के संचालक जयप्रकाश अमोला भी हांगकांग और चीन में होटल बिजनेस करते थे। बाद में भारत लौट आए। उनकी कहानी और देहरादून में उनके होटल संचालन के अनुभव पर फिर कभी अलग से दूंगा। अभी तो देव को उनके भावी लक्ष्य की सफलता के लिए शुभकामनाएं।