Sunday, July 13, 2025
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उम्मीद की किरण !— पहाड़ की बेटी ‘रंजना रावत’ बनी ग्राम्य विकास और पलायन आयोग की सदस्य।

●उम्मीद की किरण !— पहाड़ की बेटी ‘रंजना रावत’ बनी ग्राम्य विकास और पलायन आयोग की सदस्य।

●देंगी पलायन रोकने के सुझाव और स्वरोजगार के गुर…।
ग्राउंड जीरो से संजय चौहान!

गाँव की माटी मे स्वरोजगार के जरिए रोजगार सृजन की अलख जगा कर रिवर्स माइग्रेशन की उम्मीदों को पंख लगाने वाली रूद्रप्रयाग के भीरी गांव की किसाण बिटिया रंजना रावत का कार्य प्रशंसनीय तो है ही अपितु अनुकरणीय भी है। रंजना नें अपने कार्यों सें पहाड़ के छोटे गांव भीरी की पूरे देश में पहचान दिलाई है। पलायन के खिलाफ रंजना का कार्य भगीरथ प्रयास है, साथ ही खाली होते गाँवों के सन्नाटे को दूर करने के लिए रोशनी की किरण भी। रंजना आज लाखों युवाओं के लिए रोल माॅडल है। किसाण बिटिया, मशरूम गर्ल और त्रियुगीनारायण वेडिंग प्लानर के नाम से जानी जाने वाली रंजना नें विगत 5 सालों में स्वरोजगार के जरिए हजारों लोगों को रोजगार से जोडा। विगत दिनों उत्तराखंड सरकार द्वारा ग्राम्य विकास और पलायन आयोग में पांच सदस्य नामित किये गयें जिनमें रामप्रकाश पैन्यूली, टिहरी गढ़वाल, सुरेश सुयाल, रानीखेत, दिनेश रावत, घंडियाल, पौड़ी, अनिल शाही, अल्मोड़ा, रंजना रावत, रुद्रप्रयाग का नाम शामिल है। नामित सदस्यों में रंजना रावत का नाम भी चयनित होने पर पूरे पहाड़ और रूद्रप्रयाग जनपद में लोग बेहद खुश हैं कि अब उनकी बेटी पहाड़ से हो रहे पलायन को रोकने के लिए अपने अनुभवों के जरिए सरकार को सुझाव देंगी और स्वरोजगार के जरिए रोजगार सृजन की उम्मीदों को पंख लगायेंगी।

शहर की नौकरी छोड गांव की माटी में किया स्वरोजगार..

रंजना रावत नें फार्मेसी में डिग्री प्राप्त करने के पश्चात एक मल्टीनेशनल कंपनी में बतौर प्रोडक्शन मैनेजर के रूप में तीन साल तक कार्य किया। नौकरी के दौरान कभी भी रंजना का मन वहां नहीं लगा। रंजना के मन में बचपन से ही अपने पहाड़ के लिए कुछ करने की चाह थी। वो पहाड़ से हो रहे पलायन से बेहद दुखी थी। उसका सपना था पहाड़ में स्वरोजगार के जरिए रोजगार सृजन करके लोगों को रोजगार देना ताकि पहाड़ से पलायन रूके और लोग वापस रिवर्स माइग्रेशन के जरिए वापस पहाड़ लौटे। आखिरकार एक दिन रंजना नें अपनी नौकरी को छोड़ वापस अपने गांव भीरी लौटने का फैसला किया। रंजना नें अपने गांव आकर स्वरोजगार की अलख जलाई। जहां रंजना नें पारम्परिक खेती की जगह 80 नाली भूमि पर मशरूम उत्पादन से लेकर सब्जी उत्पादन, फूल उत्पादन, अमेरिकन सेफ्रोन का उत्पादन शुरू किया। शुरू में रंजना को काफी मुश्किलें आई लेकिन आखिरकार उसकी मेहनत रंग लाई। रंजना नें अपने स्वरोजगार माॅडल के जरिए रोजगार सृजन की उम्मीदों को पंख लगायें और इससे अच्छा मुनाफा कमाया। इस दौरान रंजना नें सैकडों गांव का भ्रमण कर ग्रामीणों को स्वरोजगार के लिए प्रोत्साहित किया और उन्हें मशरूम, सब्जी उत्पादन का निशुल्क प्रशिक्षण दिया। जिसके बाद ग्रामीणों ने स्वरोजगार शुरू किया। रंजना बीते पांच सालों में हजारों लोगों को प्रशिक्षण दे चुकी है। रंजना नें गढमाटी संस्था की सीईओ भी है। जिसके अंतर्गत रूद्रप्रयाग जनपद की 500 से अधिक महिलाओं को मशरुम उत्पादन का प्रशिक्षण भी दिया गया। रंजना नें महिलाओं को रोजगार उपलब्ध कराने के लिए मशरुम उत्पादन की चार यूनिटें खोली। भीरी, डांगी, चाका पाटयूं, गबनी गांव में स्थापित इन यूनिटों में 40 महिलाएं प्रति यूनिट में कार्य कर मशरुम उत्पादन का कार्य कर रही हैं। प्रत्येक यूनिट से एक से डेढ लाख रुपये तक का मशरुम सालाना बेचा जा रहा है। रंजना का उद्देश्य मल्टीपल व्यवसाय के जरिए रोजगार सृजन कर बारहमासी रोजगार उपलब्ध कराना है। जिसके तहत अब मुर्गी पालन, गाय पालन, मत्स्य पालन, मौन पालन के जरिए ग्राम स्वरोजगार माॅडल को विकसित करना है। रंजना नें कीवी के पेड लगाकर एक नया सफल प्रयोग भी किया है। जिनकी ग्रोथ से वो बेहद उत्साहित है। आने वाले समय में कीवी पहाड़ के लोगों की आर्थिकी मजबूत कर सकता है। रंजना नें धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने व स्थानीय लोगों को रोजगार उपलब्ध होने के उद्देश्य से त्रियुगीनारायण मंदिर को वेडिंग डेस्टिनेशन के रूप में नयी पहचान दिलाई। यहाँ रंजना नें पौराणिक रीति रिवाजों संग लोगों की शादियां संपन्न कराई। त्रियुगीनारायण वैदिक प्लानर के साथ रंजना अब तक यहाँ दो दर्जन से अधिक लोगो की शादियां यहाँ करा चुकी है। रंजना कहती हैं कि पहाडों में रोजगार की असीमित संभावनाएं हैं। युवाओं को चाहिए की अपने पहाड़ में ही स्वरोजगार के जरिए रोजगार सृजन करें।

विभिन्न मंचों में मिला सम्मान!

स्वरोजगार को बढ़ावा देने और महिला सशक्तिकरण के लिए उल्लेखनीय योगदान के लिए रंजना रावत को कई पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है। यूथ आइकॉन सम्मान,… सहित विभिन्न पुरस्कार अभी तक मिल चुके हैं। रंजना के कार्यो को देखते हुए उत्तराखंड सरकार द्वारा उन्हें उत्तराखंड औद्यानिकी एंव वानिकी विश्वविद्यालय भरसार का सदस्य नामित किया गया है। जबकि रूद्रप्रयाग जिला प्रशासन द्वारा रंजना को बेटी बचाओ बेटी पढाओ अभियान का ब्रांड एम्बेसडर भी बनाया गया है।

हौंसला हो, तो हालात बदले भी जा सकते हैं। परिस्थितियां कैसी भी हों, साहस, जिद और जज्बे से अपने अनुकूल बनाया जा सकता है। इन पंक्तियों को सार्थक कर दिखाया है रंजना नें। वास्तव में देखा जाए तो रंजना रावत विगत 5 सालों से पहाड में पलायन के खिलाफ चट्टान की तरह खडी है। पूरे उत्तराखंड ही नहीं देश को भी ऐसी बेटी पर नाज है। रंजना के ग्राम्य विकास और पलायन आयोग की सदस्य नामित होने पर अब लोगों को उम्मीद है कि वो जरूर पहाड़ से पलायन रोकने के लिए धरातलीय योजनाओं को अमलीजामा पहनाने की हर मुमकिन कोशिश करेंगी और अपने अनुभवों का लाभ वीरान पहाडों में रोजगार सृजन के लिए देंगी ताकि रिवर्स माइग्रेशन की उम्मीदों को पंख लग सकें।

हमारी ओर से रंजना रावत को ग्राम्य विकास और पलायन आयोग की सदस्य नामित होने पर ढेरों बधाईयाँ। रंजना अब लोगों की तुमसे बेहद उम्मीदें हैं…।

Himalayan Discover
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35 बर्षों से पत्रकारिता के प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक व सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर सामाजिक, आर्थिक, राजनैतिक, धार्मिक, पर्यटन, धर्म-संस्कृति सहित तमाम उन मुद्दों को बेबाकी से उठाना जो विश्व भर में लोक समाज, लोक संस्कृति व आम जनमानस के लिए लाभप्रद हो व हर उस सकारात्मक पहलु की बात करना जो सर्व जन सुखाय: सर्व जन हिताय हो.
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