देहरादून (हि. डिस्कवर)
हिमालय दिवस के अवसर पर आईआरडीटी सभागार आयोजित पर्यावरणविद् पद्मभूषण प्रो. अनिल जोशी जी द्वारा आयोजित गोष्ठी (विषय: “हिमालय में त्रासदी”) में पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमेश पोखरियाल ‘निशंक ‘ ने पर्यावरण प्रेमियों, शिक्षाविदों एवं विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि हिमालय केवल पर्वत नहीं, भारत की आत्मा है।
डॉ निशंक ने कहा कि हिमालय में त्रासदी केवल प्राकृतिक आपदाओं का संकेत नहीं, बल्कि हमारे लिए चेतावनी और आत्ममंथन का अवसर भी है। अति दोहन, वनों की कटाई ने निस्संदेह स्थिति को जटिल बनाया है, किंतु यदि हम सामूहिक रूप से सजग हों तो अभी भी बहुत कुछ बचाया जा सकता है।
सतत् विकास की नीतियाँ अपनाकर, वनों का संरक्षण करके, जलस्रोतों को पुनर्जीवित करके और आधुनिक विज्ञान को परंपरागत ज्ञान से जोड़कर हम हिमालय की प्राकृतिक गरिमा को सुरक्षित रख सकते हैं।
उन्होने कहा कि आइए, हम सभी यह संकल्प लें कि हिमालय की पवित्र धरोहर, उसकी नदियों, वनों और पर्यावरणीय संतुलन की रक्षा हेतु निरंतर प्रयत्नशील रहेंगे, ताकि आने वाली पीढ़ियों को एक सुरक्षित, स्वच्छ और समृद्ध भविष्य मिल सके।
इस अवसर पर सूर्यकांत धस्माना जी, यूकॉस्ट के महानिदेशक प्रो. दुर्गेश पंत सहित अनेक वरिष्ठ गणमान्य व्यक्तियों की गरिमामयी उपस्थिति रही।