प्रकृति की अनमोल नेमत!— चौमासा में खिले गुलाबी फूलों नें बिखेरी वेदनी बुग्याल की सुंदरता, धरती पर जन्नत का अहसास
(ग्राउंड जीरो से संजय चौहान)
भले ही मानसून की बारिश नें पूरे पहाड़ में चारों ओर बड़े पैमाने में तबाही मचाई हो लेकिन हिमालय में मौजूद वेदनी बुग्याल के लिए मानसून की झमाझम बारिश वरदान साबित हुई है। वेदनी बुग्याल में खिले अनगिनत फूलों नें वेदनी बुग्याल की सुंदरता पर चार चाँद लगा दिए हैं। खासतौर पर इन दिनों गुलाबी फूल प्रचुर मात्रा में खिले हैं। वेदनी बुग्याल ही नहीं बल्कि आली बुग्याल, रुद्रनाथ पनार बुग्याल, फूलों की घाटी, चिनाप फूलों की घाट, मोनल टॉप, बडीधूरा बुग्याल में भी इस साल सैकड़ो फूल खिले हैं। वेदनी बुग्याल और आली की बेपनाह सुंदरता के दीदार के लिए स्थानीय लोगों को अब पर्यटकों का इंतजार है। लोगों को उम्मीद है कि बरसात के मौसम की समाप्ति के बाद पर्यटकों की आमाद इन बुग्यालो में होगी जिससे उन्हें रोजगार के अवसर भी मिलेंगे।
गुलाबी फूलों से गुलाबी घाटी नजर आ रही है बेदनी बुग्याल!
चमोली जिले में श्री नंदा देवी राजजात पथ पर वाण गांव से 13 किमी दूर पर स्थित वेदनी बुग्याल (मखमली घास का मैदान)। समुद्रतल से 13500 फीट की ऊंचाई पर स्थित ये बुग्याल बरबस ही लोगों को अपनी ओर आकर्षित करता है। इसकी बेपनाह खूबसूरती लोगों का मन मोह लेती है। ठीक इसी प्रकार कश्मीर की डल झील के पास पीर पंजाल रेंज है। जिसके खूबसूरत दृश्य देखकर बादशाह जहांगीर ने फारसी में कहा था, ‘गर फिरदौस बर रुए ज़मीं अस्त, हमीं अस्तो, हमीं अस्तो, हमीं अस्त’ अर्थात अगर धरती पर कहीं स्वर्ग है तो यहीं है, यहीं पर है और सिर्फ यहीं पर है।
विगत दिनों वेदनी बुग्याल का भ्रमण कर लौटे सुरेंद्र सिंह बिष्ट, हीरा सिंह गढ़वाली नें बताया की आजकल पूरा बेदनी बुग्याल गुलाबी फूलों के खिलने के कारण गुलाबी घाटी नजर आ रही है। पूरे बुग्याल में जहां नजर दौडाओ वहां दूर दूर तक गुलाबी फूल नजर आ रहें हैं। गुलाबी फूलों की वजह से वेदनी की सुंदरता में चार चाँद लग गयें हैं।
बरसों बाद वेदनी में इतनी संख्या में खिले हैं फूल!
वैसे हर साल वेदनी बुग्याल में सैकड़ों फूल खिलते हैं लेकिन पिछले दो दशकों से वेदनी में फूल बेहद कम खिल रहे थे। वेदनी बुग्याल के बेस कैम्प वाण गांव के सुरेंद्र सिंह बिष्ट कहते हैं कि मैं विगत 20 सालों से लगातार वेदनी बुग्याल आ रहा हूँ, लेकिन इस बार जितने फूल खिले हैं पिछले कई बरसों के दौरान इतनें फूल खिलते हुए पहली बार देख रहा हूँ। नंदा देवी राजजात यात्रा 2000 में भी इतनी संख्या में फूल नहीं खिले थे। जबकि पिछले दो महीने के दौरान वेदनी बुग्याल हर 15 दिनों में अपना रंग बदल रही है, क्योंकि हल 15 दिन में यहाँ नया फूल खिल रहा है। इन दिनों वेदनी बुग्याल गुलाबी फूलों की घाटी नजर आ रही है। पर्यटकों को चाहिए की वो अधिक से अधिक संख्या में वेदनी की सुंदरता का दीदार करने आये।
वेदनी बुग्याल की ये है धार्मिक मान्यता!
— वेदनी बुग्याल नंदा देवी व त्रिशूली पर्वत शृंखलाओं के मध्य स्थित खूबसूरत वेदनी कुंड का चमोली जिले के इतिहास में विशेष स्थान है। यह कुंड यहां की धार्मिक मान्यताओं से भी जुड़ा हुआ है। प्रत्येक 12 साल में आयोजित होने वाली श्री नंदा देवी राजजात के दौरान वेदनी कुंड में स्नान करने के बाद ही यात्री होमकुंड का रुख करते हैं। यहीं राजजात की प्रथम पूजा भी होती है। जबकि, प्रत्येक वर्ष आयोजित होने वाली श्री नंदा देवी लोकजात का भी वेदनी कुंड में ही समापन होता है। इस कुंड में स्नान करने के बाद मां नंदा को कैलास के लिए विदा किया जाता है। इस साल 10 सितम्बर को नंदासप्तमी के अवसर पर वेदनी बुग्याल में नंदा राजराजेश्वरी की डोली पूजा अर्चना कर वापस बांक गांव लौट जायेगी जिसके बाद नंदा की वार्षिक लोकजात यात्रा भी संपन्न हो जायेगी। वहीं नंदा अष्टमी के दिन भी यहाँ दूर दूर से लोग पूजा अर्चना के लिए पहुंचते हैं।
अगर आप भी बुग्यालो की बेपनाह सुंदरता के दीदार करने चाहते हैं तो चले आइये वेदनी बुग्याल और आली बुग्याल के मखमली ढलानों में कुछ दिन….. वेदनी बुग्याल, आली बुग्याल ट्रैकिंग के लिए आप रूपकुण्ड ट्रैकिंग गाइड हीरा सिंह गढ़वाली 7895165848 से सम्पर्क कर सकते हैं।