Saturday, November 23, 2024
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उत्तराखंडी संस्कृति का वैश्विक रूप..! काश.. उत्तराखंडी सरकारी तंत्र ने लोकगायक नेगी का मूल्य समझा होता।

* क़्या मायने रखता है ब्रिटिश संसद में लोक गायक नरेन्द्र सिंह नेगी को “ग्लोबल ब्रिलियंस अवार्ड” मिलना!

(मनोज इष्टवाल)

Lolndon के ऐतिहासिक House of Lords, British parliament में आयोजित Global Brilliance Award (GBA) में
उत्तराखंड से श्री नरेन्द्र सिंह नेगी जी को उनके 50 सालों में लोक गीत संगीत और संस्कृति को प्रोहत्साहन और योगदान के लिए Distinguished Leadership in Indian Folk Singing से पुरस्कृत किया गया।

British Parliament में गुंजा नेगी दा का “ठंडों रे ठंडों”
London के ऐतिहासिक House of Lords, British parliament में आयोजित Global Brilliance Award (GBA) में भारतीय समुदाय के अतिविशिष्ठ लोगों को सम्मानित किया। इस प्रतिष्ठित कार्यक्रम का आयोजन IISAF ने किया
अवार्ड विजेताओं का चयन एक ज्यूरी द्वारा किया गया था। सभी विजेताओं को अपने-अपने क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान के लिए सम्मानित किया गया।

उत्तराखंड से श्री नरेन्द्र सिंह नेगी जी को उनके 50 सालों में लोक गीत संगीत और संस्कृति को प्रोहत्साहन और योगदान के लिए Distinguished Leadership in Indian Folk Singing से पुरस्कृत किया गया।
इसी के साथ उन्होंने अपने सदाबहार गाना ठंडों रे ठंडों गा कर समस्त लोगो को मंत्रमुग्ध कर दिया।
GBA कार्यक्रम में सहयोगी Uttarakhand Global Forum के सह-संस्थापक श्री संदीप बिष्ट ने इस मौक़े पे प्रसन्ता व्यक्त की और कहा कि यह सम्मान सिर्फ़ नेगी जी ही नहीं बल्कि संपूर्ण उत्तराखंड और 2 करोड़ से अधिक उत्तराखंडियों का सम्मान है। साथ ही आने वाले नये कलाकरों को प्रोत्साहित भी करेगा। नेगी जी ने हमेशा पहाड़ो की सामाजिक सुखों और दुखों को अपने गीतों से उठाया है और हम आशा करते हैं कि वो आगे भी ऐसे ही गीत लेखन और गायन को जारी रखेंगे।
IISAF के अध्यक्ष आदित्य प्रताप सिंह ने कहा प्रतिभाशाली भारतीय पेशेवरों के प्रयासों को वैश्विक मंच में मान्यता देने से भारत की प्रतिष्ठा को ऊपर उठाने में मदद करती है। नेगी जी जैसे लोक कलाकर जो पिछले 50 वर्षों से अपनी भाषा, संस्कृति, परंपरा को अपने गीतों के माध्यम से संरक्षित करते हुए तत्परता से आगे बढ़ा रहे हैं उनका यह सम्मान सारे समाज का सम्मान है।

कार्यकर्म में मुख्य अतिथि के रूप में भारतीय मूल के ब्रिटिश सांसद Lord Rami Ranger, Windsor के MP Jack Ranking, Mayor Prerna Bhardwaj और विभिन्न देशों के दूतावासों जैसे Malta, Italy आदि के प्रतिनिधियों ने भी इस कार्यक्रम को गरिमा प्रदान की।

ऐतिहासिक संदर्भ में लोक संगीत

चूँकि लोक संगीत मौखिक परंपरा में रहता है, इसलिए इसके इतिहास को अन्य संगीतों के साथ इसके संबंधों के अध्ययन के माध्यम से सबसे अच्छी तरह से समझा जा सकता है। मौखिक परंपरा में संग्रहित कई लोक गीतों का पता साहित्यिक स्रोतों से लगाया गया है, जो अक्सर काफी प्राचीन होते हैं। मध्ययुगीन यूरोप में, ईसाई धर्म के विस्तार के तहत, लोक संगीत को ईसाई-पूर्व संस्कारों और रीति-रिवाजों से जुड़े होने के कारण दबाने का प्रयास किया गया।
15वीं और 16वीं शताब्दी के अंत में, साक्षर शहरी वर्गों ने मध्ययुगीन काल में अपने पूर्ववर्तियों की तुलना में लोक संगीत के प्रति अधिक अनुकूल प्रतिक्रिया व्यक्त की। पुनर्जागरण के मानवतावादी दृष्टिकोण, जिसने प्रकृति और प्राचीनता को उन्नत किया, उन्होंने लोक संगीत को देहाती प्राचीन गीत की एक शैली के रूप में स्वीकार करने के लिए प्रोत्साहित किया। पुनर्जागरण पांडुलिपियों में कुछ संगीत को इसकी संगीतमय सादगी और इसके ग्रंथों के ग्रामीण और पुरातन उद्बोधन के आधार पर लोक गीत माना जाता है।
विशिष्ट शैलियों में पॉलीफोनिक लोक गीत सेटिंग्स और लोक गीत क्वॉडलिबेट्स, या परिचित गीतों के संयोजन शामिल हैं।
लोक संगीत का कला संगीत से संबंध 18वीं शताब्दी के अंत में रुचि का विषय बन गया, जब पश्चिमी बुद्धिजीवियों ने लोक और किसान जीवन का महिमामंडन करना शुरू कर दिया। लोक संगीत को कलात्मक आत्म-चेतना और सौंदर्य सिद्धांतों से मुक्त लोगों की एक सहज रचना के रूप में प्रतिष्ठित किया जाने लगा; इसे स्थानीय निवासियों के सामान्य अनुभव का प्रतीक माना जाता था। ये विशेषताएं लोक संगीत को कला संगीत के लिए एक उपयोगी स्रोत बनाती हैं, खासकर जब इसका उद्देश्य किसी विशेष राष्ट्र या जातीय समूह को जागृत करना हो।
19वीं और 20वीं सदी की शुरुआत के कला संगीत के राष्ट्रवादी आंदोलनों ने विशिष्ट प्रदर्शनों को विकसित करने के लिए लोक धुनों और उनकी शैलियों के साथ-साथ लोक नृत्यों और लोककथाओं और ग्रामीण जीवन के विषयों को आकर्षित किया। इन आंदोलनों के नेताओं में चेक संगीत के लिए बेडरिक स्मेताना और ड्वोरक, नॉर्वेजियन के लिए एडवर्ड ग्रिग, रूसी के लिए मिखाइल ग्लिंका और मोडेस्ट मुसॉर्स्की, हंगेरियन के लिए बार्टोक, रोमानियाई के लिए जॉर्जेस एनेस्को और अमेरिकी संस्कृतियों के लिए आरोन कोपलैंड और रॉय हैरिस शामिल थे।

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35 बर्षों से पत्रकारिता के प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक व सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर सामाजिक, आर्थिक, राजनैतिक, धार्मिक, पर्यटन, धर्म-संस्कृति सहित तमाम उन मुद्दों को बेबाकी से उठाना जो विश्व भर में लोक समाज, लोक संस्कृति व आम जनमानस के लिए लाभप्रद हो व हर उस सकारात्मक पहलु की बात करना जो सर्व जन सुखाय: सर्व जन हिताय हो.
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