Saturday, July 12, 2025
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रेल दुर्घटना: जवाबदेही है ही नहीं

बालासोर ट्रेन हादसे के लिए आखिर कोई तो उत्तरदायी होगा? लेकिन वर्तमान सरकार के तहत उत्तरदायित्व एक अप्रचलित शब्द है। सरकार ने जो किया है, भले के लिए किया होगा- यह इस बात को मान कर चलने का दौर है!
ओडिशा के बालासोर में हुई भीषण ट्रेन दुर्घटना की जांच सीबीआई को सौंपने की खबर अगर बहुत से लोगों के गले नहीं उतरी है, तो उसका कारण है। सीबीआई अपराधों की जांच करने वाली एजेंसी है। तो क्या सरकार को कहीं से इस बात के संकेत मिले हैं कि इस दुर्घटना के पीछे तोडफ़ोड़ हुई हो सकती है?

जबकि रेलवे के सूत्र कह चुके हैं कि हादसा संभवत: सिग्नल सिस्टम की गड़बड़ी से हुआ। इसके अलावा हादसा होने के बाद से गुजरे वर्षों में रेल सुरक्षा की हुई अनदेखी की चर्चा सुर्खियों में आई है। किस तरह सुरक्षा से जुड़े हजारों पद खाली पड़े हैं और कैसे बजट आवंटन में सुरक्षा का मद घटता चला गया है, ये तमाम बातें मीडिया में आई हैँ। ये बातें सीएजी की रिपोर्ट के हवाले से भी कही गई हैँ। विशेषज्ञों ने बताया है कि वर्तमान सरकार के सत्ता में आने के बाद ध्यान आम रेल सेवा को सुधारने और दुरुस्त करने पर नहीं, बल्कि उच्च आय वर्गों के लिए सुविधाजनक और सुर्खियां बटोरने वाली कुछ हाई स्पीड ट्रेनों पर टिका रहा है।

पूर्व यूपीए सरकार के कार्यकाल में रेल सुरक्षा पर अनिल काकोडकर कमेटी बनी थी। उसने विस्तृत रिपोर्ट दी थी और उस समय कहा था कि भारत में रेल यात्रा को पूर्ण सुरक्षित बनाने के लिए एक लाख करोड़ रुपए के बजट की जरूरत होगी। उससे पहले रेलवे के आधुनिकीकरण के लिए सैम पित्रोदा समिति बनी थी। उसने भी एक विस्तृत खाका पेश किया था। गुजरे नौ वर्षों में इन समितियों की सिफारिशों के बारे में कहीं कुछ नहीं सुना गया। जबकि ट्रेन हादसे बदस्तूर जारी रहे हैं। अब चूंकि पूरी दुनिया में चर्चित हुई दुर्घटना हुई है, तो इन सारे प्रश्नों की तरफ ध्यान गया है।

इसके साथ ही जवाबदेही का सवाल उठा है। आखिर जो लगभग तीन सौ जानें गईं और आठ सौ से अधिक घायल हुए, उनके परिजनों और उनकी पीड़ा के लिए कोई तो उत्तरदायी होगा? लेकिन वर्तमान सरकार के तहत उत्तरदायित्व एक अप्रचलित शब्द है। सरकार ने जो किया है, भले के लिए किया होगा- यह इस बात को मान कर चलने का दौर है!

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35 बर्षों से पत्रकारिता के प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक व सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर सामाजिक, आर्थिक, राजनैतिक, धार्मिक, पर्यटन, धर्म-संस्कृति सहित तमाम उन मुद्दों को बेबाकी से उठाना जो विश्व भर में लोक समाज, लोक संस्कृति व आम जनमानस के लिए लाभप्रद हो व हर उस सकारात्मक पहलु की बात करना जो सर्व जन सुखाय: सर्व जन हिताय हो.
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