Monday, July 14, 2025
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फिर से संवरता चौबटिया गार्डन।

◆ सेव, कीवी, नाशपाती, आदि फलों की किस्मों का संरक्षण एवं उत्पादन के साथ ही गार्डन को फूलों से महका कर पर्यटकों को आकर्षित करने का सराहनीय प्रयास।

(राजेन्द्र प्रसाद कुकशाल)

चौबटिया गार्डन रानीखेत का इतिहास-

चौबटिया गार्डन की स्थापना 1860 में हुई। 235 हैक्टेयर क्षेत्र फल मै फैले इस गार्डन ने विधिवत् बाग का रूप 1869 में लिया जब मि० क्रो, के नेतृत्व में यहां पर सेब, नाशपाती, खुवानी ,प्लम चेरी, हैजैलनट आदि शीतोष्ण फल पौधों का रोपण किया गया।

ब्रिटिश शासकों ने बर्ष 1932 में पर्वतीय क्षेत्रों में शीतोष्ण फलौ के उत्पादन सम्बन्धी ज्ञान जैसे पौधों को लगाना, पौधों का प्रसारण , मृदा की जानकारी ,खाद पानी देने,कटाई छंटाई,कीट व्याधियों से बचाव आदि के निराकरण हेतु चौबटिया उद्यान में पर्वतीय फल शोध केंद्र की स्थापना की।

चौबटिया फल शोध के विभिन्न अनुभागों के अतिरिक्त केन्द्र पर एक मैट्रियोलाजी औबजर्बेट्री भी स्थापित की गई जिससे मौसम में होने वाली तब्दीलियां बिशेष रूप से पाला,ओला पढ़ने आंधी आदि की जानकारी एकत्रित की जा सके।

केन्द्र पर एक अच्छे पुस्तकालय की भी सुव्यवस्थित स्थापना की गयी जिसमें विभिन्न बिषयौं से संबंधित उच्च कोटि की बारह हजार से भी अधिक पुस्तकों के साथ साथ 15 देशी विदेशी शोध पत्रिकायें नियमित रूप से आती रही है।

चौबटिया शोध केन्द्र से प्रोग्रेसिव हार्टि कल्चर के नाम से एक अंग्रेजी भाषा में त्रैमासिक पत्रिका नियमित रूप से प्रकाशित की जाती रही है जिसमें शोध केन्द्रौ में चल रहे शोध प्रयोगों के परिणाम प्रकाशित किए जाते रहे हैं।

केन्द्र द्वारा अन्य पर्वतीय राज्यों हिमाचल प्रदेश,जम्बू काश्मीर, मणिपुर, सिक्किम तथा पड़ोसी देश भूटान,नैपाल, अफगानिस्तान को फल पौध रोपण सामग्री उपलब्ध कराई गई साथ ही इन राज्यों व प्रदेशौं के प्रसार कार्यकर्त्ताओं को प्रशिक्षण दिया जाता रहा।

शोध केंद्र द्वारा विकसित विभिन्न तकनीकी विधियों को
विभागीय अधिकारियों कर्मचारियों व उद्यानपतियौं तक पहुंचाने के लिए समय-समय पर प्रशिक्षण शिविरों का आयोजन किया जाता रहा है।

फल शोध केंद्र चौबटिया की कुछ अन्य मुख्य मुख्य उत्तकृष्ट उपलब्धियां –

1- चौबटिया पेस्ट बागवानौ की पहली पसंद व प्रभाव कारी फफूंदी नाशक।
2- सेब नाशपाती, गुठली दार एवं गिरीदार फलौ के पौधौ के प्रसारण हेतु मूल वृन्तौ का चयन आज भी सेब के फल वृक्षों के लिए प्ररेऊ (मैलस बकाटा बेराइटी हिमालिका)नामक सेब की जगंली प्रजाति मूल वृन्त वाले पौधों की बागवानौ द्वारा मांग रहती है।
3- सेब की चौबटिया प्रिंसेज, चौबटिया अनुपम खुबानी की चौबटिया मधु और चौबटिया अलंकार उन्नतशील किस्मै बिकसित की।
4- सभी पर्वतीय जनपदों का सर्वेक्षण कर मृदा परीक्षण किया तथा सोयल मैप तैयार किया।

राज्य बनने के बाद!
बर्ष 2004 में शोध केंद्रौं को गोविंद बल्लभ पंत कृषि विश्वविद्यालय पन्त नगर के अधीन कर दिया गया पुनः बर्ष 2012 -13 में शोध केंद्रौं को उद्यान विभाग के अधीन कर दिया गया पुराने अधिक तर वैज्ञानिक/अधिकारी सैवा निवृत्त हो गये है नये पद भरे नहीं गये तथा उनको सुनियोजित ढंग से समाप्त कर दिया गया। केन्द्र की सारी गतिविधियां धीरे धीरे बन्द होती गई साथ ही बर्षो से संकलित सेब नाशपाती आड़ू प्लम खुवानी आदि भी नष्ट होती गई।

अब फिर से चौबटिया गार्डन में सेव, कीवी, नाशपाती, आदि फलों की किस्मों का संरक्षण एवं उत्पादन के साथ ही गार्डन को फूलों से महका कर पर्यटकों को आकर्षित करने का सराहनीय प्रयास के लिए केंद्र के प्रभारी अधिकारी डा० ब्रिजेश गुप्ता एवं पूरी टीम को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं।

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35 बर्षों से पत्रकारिता के प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक व सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर सामाजिक, आर्थिक, राजनैतिक, धार्मिक, पर्यटन, धर्म-संस्कृति सहित तमाम उन मुद्दों को बेबाकी से उठाना जो विश्व भर में लोक समाज, लोक संस्कृति व आम जनमानस के लिए लाभप्रद हो व हर उस सकारात्मक पहलु की बात करना जो सर्व जन सुखाय: सर्व जन हिताय हो.
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