(मनी नमन की कलम से)
तुक्के में जब अमेरिका कोरोना के इलाज के लिए क्लोरोक्वीन दे गया किसी को तकलीफ नही हुई तुक्के में तमाम दुनिया के डॉक्टर प्रेवेंटिव मेडिसिन के नाम पर अपने अपने जुगाड़ू कॉम्बिनेशन के इलाज कर रहे है
आज दुनिया में कोई दवा ऐसी नही जो कोरोना के इलाज का दावा कर सके ,तब भी इलाज कोरोना का ही हो रहा है
फिर समस्या आपको रामदेव से ही क्यों ?? एक तुक्का उतनी ही श्रद्धा से अपना लो जितनी श्रद्धा से अरबो खरबो के मेडिसिन साम्राज्य को आप आज तक चला ही रहे हो
कोई कितना ही क्यों न रोये चिल्लाये ,हो तो इलाज बड़े से बड़े अस्पताल में भी भगवान भरोषे और तुक्के में ही चल रहा है न ??
आप छह सौ रूपये के लिए रामदेव से रिस्पांसिबिलिटी और ऑथेंटिसिटी की उम्मीद रखते है पर मैक्स ,फोर्टिस ,मेडिसिटी और अन्य कॉर्पोरेट अस्पतालों से कोई जवाब नही मांगते जो लाखो के पैकेज पे कोरोना का इलाज कर रहे है जिसकी की आधिकारिक रूप से कोई दवाई आज तक बनी ही नही ??
सेनेटाइजर जो की अमूमन लिविंग ऑर्गेनिज्म जैसे बैक्टेरिया ,निमेटोड ,प्लेटिहेल्मेन्थिस ,प्रोटोजोआ,जैसे पैथोजन को मारने के लिए यूज होता है और वायरस पर जिसका कोई इफेक्टिव असर आधिकारिक रूप से आज तक साबित नही है को हम कोरोना के प्रीवेंसन के लिए यूज कर रहे है पर सवाल सिर्फ रामदेव पर खड़े करेंगे ..उसे आयुष मंत्रालय ने कभी ख़ारिज करने की हिम्मत नही की क्योंकि खरबो की फार्मा लॉबी कस के जी पे लात मारती …!
इन्सुलिन सूगर कंट्रोल की अंतिम एकमात्र इफेक्टिव दवा है पर आज तक लोग डाइबिटिक रेटिनोपैथी ,डाइबिटिक फुट ,सूगर जनित मल्टीपल ऑर्गन फेल्योर से मरने बन्द नही हुए ..।
फिर निशाना रामदेव ही क्यों…!है न डबल स्टैंडर्ड वाला चूतियापा ?
फार्मा कम्पनियां भी तीस से चालीस प्रतिशत दवाइयां सिर्फ तुक्के में बेचती है, सिल्डीनाफिल सिट्रेट जिसे हम वियाग्रा के नाम से जानते है को विकसित किया गया था ब्लड प्रेसर के इलाज के लिए पर कामयाब हुई नही लेकिन क्लिनिकल ट्रायल में एक बात सामने आयी की उसके साइड इफेक्ट में एक चीज अजीब निकली ये लिंग को आश्चर्यजनक रूप से इफेक्टिव तनाव देती थी।
बस कम्पनी ने इसे पेनाइल इरेक्शन के नाम पर बेचना शुरू कर दिया और आज ये दुनिया की सबसे ज्यादा बिकने वाली मेडिसिन में एक है और इरेक्टाइल डिस्फंक्शन (लिंग का उत्तेजित न होना )की इफेक्टिव औषधी के रूप में हिट है। इसलिए एक बात ध्यान में रखिये हर औषधि एक जुगाड़ है चूतियापा छोड़ प्रीवेंटिव अप्रोच में ध्यान लगाएं …।
आयुर्वेद सिर्फ हमारा ही नही है सभ्यता के प्रारम्भ से हर सभ्यता में आयुर्वेद ही इलाज करता आया है अपने बचपन से लेकर आज तक हम घरेलू नुस्खों से ही जीवन की आधी स्वास्थ्य समस्याओं को सुलझा लेते है
इसलिए विश्वाश करना सीखिए डबल स्टैंडर्ड छोड़िये।