(मनोज इष्टवाल)
*उत्तराखंड सर्व समाज 11 दिसम्बर को निकालेगा दिल्ली में कैंडिल मार्च!
9 फरवरी 2012 यानि दिल्ली के बहुचर्चित निर्भया काण्ड से 10 माह पूर्व उत्तराखंड की एक गरीब परिवार की लड़की दामिनी उर्फ़ किरण नेगी से तीन दरिंदों ने तब बलात्कार किया जब वह अपनी तीनसहेलियों के साथ गुडगाँव स्थित कम्पनी से काम करके लगभग 8:30 बजे शांय नजफगढ़ स्थित छाँवला कला कालोनी पहुंची! ये दरिन्दे जो एक कार में सवार थे इन्होने इनसे बदतमीजी करनी शुरू कर दी! तीनों लडकियां भागने लगी लेकिन दामिनी की किस्मत खराब रही, वह उनकी पकड में आ गयी जिसे वे अपहरण करके ले गए और सामूहिक बलात्कार के बाद इस बेटी के आँख कान में तेज़ाब डाला, पेचकश से आँखें निकाल दी! गुप्तांग में बोतल फोड़कर घुसेड दी! इस दौरान उसकी सहेलियों ने यह खबर पुलिस व उसके घरवालों को दी लेकिन पुलिस के कानों में जूं तक न रेंगी! जनाक्रोश बढ़ता देख आखिर 14 फरवरी को इस बेटी की सड़ी गली लाश पुलिस बरामद करती है और जैसे तैसे केस दर्ज कर देती है!
यह सब 10 माह तक पुलिस कार्यवाही का खेल चलता रहा लेकिन 16 दिसम्बर 2012 को जब निर्भया काण्ड की गूँज दिल्ली के सड़कों से पार्लियामेंट के गलियारों तक गूंजने लगी तब जन्तर-मन्तर में उत्तराखंड के पहाड़ी समाज ने जुटना शुरू किया! विभिन्न झंडे बैनर में भी यहाँ मंच हथियाने की बर्चस्व की लड़ाई देखी जा सकती थी लेकिन आखिर एक मंच उत्तराखंड सर्व समाज का बना जिसके तहत इस बेटी के लिए दिल्ली का प्रवासी उत्तराखंडी समाज ही नहीं बल्कि उत्तराखंड से भी लोग जन्तर-मन्तर में जुटने शुरू हो गए! आखिर केजरीवाल सरकार ने इस प्रकरण पर गंभीरता दिखाते हुए इसे फास्ट ट्रेक कोर्ट के अधीन कर दिया! जिसकी सुनवाई लम्बे संघर्ष बाद 16से 18 जनवरी 2014 तक द्वारका हाईकोर्ट में चली! कोर्ट के बाहर भी उत्तराखंड जनसमुदाय का बिशाल प्रदर्शन रहा और आखिर संघे शक्ति काम आई! लम्बी बहसों के बाद अदालत ने 13 फरवरी को दोहपर को द्वारिका स्थित त्वरित न्यायालय के माननीय न्यायाधीश ने नजफगढ़ की दामिनी के तीनों गुनाहगारों को भारतीय दण्ड संहिता की धारा 301,302,376 व 201 के तहत कत्ल, अपहरण व सामुहिक बलात्कार का दोषी घोषित किया। इसके बाद 17 फरवरी को न्यायालय ने दोनों पक्षों को सुना और 19 फरवरी को अपना ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए बहसी दरिंदो ( राहुल , रवि और विनोद ) को फांसी की सजा सुनाई।
यहाँ क़ानून व्यवस्था की लचरता देखिये! 8 साल पहले हुई इस घटना में इन दरिंदों के परिजनों ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की और 8 साल पहले हुए हाई कोर्ट के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट अब 12 दिसम्बर को अपना फैसला सुनाएगा! सुनाएगा भी या नहीं अभी यह भी तय नहीं है क्योंकि यह भी हो सकता है कि न्यायविदों की कुछ दलीलें अभी भी बाकी हों!
इस 8 साल पुराने प्रकरण पर आने वाले फैसले का बहुत सब्र व कोताही के साथ इन्तजार कर रहा उत्तराखंड सर्वसमाज के विनोद बछेटी, संजय नौडियाल, दिग्मोहन नेगी सहित दर्जनों समाजसेवियों ने दिल्ली की जनता से अपील की है कि “सभी सामाजिक संस्थाओं से विनम्र अपील है कि जिस 2014 में #नजफगढ़_की_दामिनी किरन नेगी के बहसी दरिंदो ( राहुल , रवि और विनोद ) को जेल तक ले जाने के लिए एक हुए थे उसी तरह अब 11 दिसंबर को शाम 4 बजे केंडल मार्च में पहुँचे ।और हम माननीय सुप्रीम कोर्ट से निवेदन करेंगे कि जो फाँसी की सज़ा हाईकोर्ट ने दी है उसे बरक़रार रखा जाए और जल्द से जल्द उनको फाँसी के तख़्ते तक पहुँचाया जाय ।इस केस में 12 दिसम्बर 2019 को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई है ।”
ज्ञात हो कि 19 फरवरी 2014 को दिल्ली की द्वारिका अदालत ने नजफगढ़ छावला 19 वर्षीय दामिनी के अपहरण, सामूहिक बलात्कार व बडी निर्ममता से हत्या करने के तीनों दरिदों राहुल (27), रवि (23) और विनोद (23) को फांसी की सजा सुनायी। अपने न्यायोचित फैसलों के लिए विख्यात अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश वीरेन्द्र भट्ट ने तीनों अभियुक्तों द्वारा मौत की सजा सुनाये जाने पर दया की गुहार लगाने पर उनके इस जघन्य कृत्य को सुनियोजित तरीके से की गयी हत्या को क्रूरता की पराकाष्ठा बताते हुए मौत की सजा का फैसला सुनाया था। फैसला सुनते ही जहां तीनों दरिंदों व इनके परिजनों के चेहरे उतर गये वहीं न्यायालय व न्यायालय के द्वार पर नजफगढ की दामिनी….! को न्याय की मांग को लेकर आंदोलनरत सैकडों लोगों ने नजफगढ़ की दामिनी अमर रहे के गगनभेदी नारे लगाते हुए इसे न्याय की जीत बताते हुए न्यायालय का आभार व्यक्त किया था।
गुनाहगारों को फांसी की सजा मिलने पर नजफगढ़ की दामिनी के माता पिता ने सजल आंखों से अपनी बेटी के हत्यारे दरिंदो को सजा दिये जाने पर न्यायालय व न्याय के लिए उनके संघर्ष में सहभागी बने सभी लोगों का हाथ जोड़ कर आभार प्रकट किया। गौरतलब है कि गौरतलब है कि 19 वर्षीया नजफगढ़ छावला की दामिनी को 9 फरवरी 2012 को गुडगांव से अपने घर नजफगढ़ छावला लौटते समय रात लगभग साढ़े आठ बजे छावला में तीन नकाबपोश हैवानों ने जबरन कार में बिठा कर अपहरण किया और हरियाणा में बलात्कार करके निर्ममतापूर्वक हत्या कर दी।
यह आम जनता में जो जागरूकता ही थी कि पीड़िता को न्याय दिलाने के लिए पूरी दिल्ली के लाखों प्रवासी उत्तराखंडियों के साथ पूरे भारत बर्ष के विभिन्न प्रान्तों के लोग भी खड़े थे। इस मुहिम को आम जनता को जोड़ने में इस आंदोलन के अग्रज समाजसेवियों ने काफी मेहनत की। वहीं नजफगढ़ की दामिनी के परिजनों को उत्तराखण्ड सरकार ने 7 लाख व दिल्ली सरकार ने 1 लाख की सहायता दी। इस प्रकरण से पूरी तरह से टूट चुके परिवार को उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री ने 7 लाख रूपये की सहायता, एक परिजन को सरकारी नौकरी, हंस फाउंडेशन ने परिजनों को 4 हजार रूपये प्रतिमाह साहयता देने का ऐलान किया। वहीं इस न्याय के संघर्ष में दिल्ली की तमाम सामाजिक संगठनों ने सराहनीय योगदान दिया। इस संघर्ष को समर्पित तेवरों से मुकाम पर पंहुचाने वालों में नजफगढ़ छावला, श्याम विहार, पालम द्वारिका क्षेत्र के लोगों के साथ साथ सम्पूर्ण उत्तराखंडी समाज का योगदान सराहनीय रहा।
नजफगढ की दामिनी को न्याय दिलाने के लिए कुछ महिनों से दिन रात एक करने वाले समाजसेवी विनोद बछेती, जंतर मंतर पर कई महिनों से इस प्रकरण की अलख जगाने वाली समाजसेविका अनिता गुप्ता व उनकी संजीवनी संस्था के सदस्य, अधिवक्ता वीरसिंह नेगी, अधिवक्ता मेहता, अनिल पंत, देवसिंह रावत, सतेन्द्र रावत, सुनील नेगी, नंदन रावत, कांग्रेसी नेता दिवान सिंह नयाल, व भाजपा नेता सचिदानन्द शर्मा व एम एस रावत, दिगमोहन नेगी, बृजमोहन उप्रेती, श्याम विहार नजफगढ़ पर्वतीय एकता मंच के अध्यक्ष ढौंडियाल, जयपाल नेगी, सुरेश पोखरियाल, एम एस रावत, गंभीरसिंह नेगी, प्रेमसिंह चैहान, संजय नौडियाल, गोकुल नेगी, राकेश डंडरियाल, आशा शुक्ला, शांति, अधिवक्ता सुधीर सजवान, उत्तराखण्ड क्लब के देवेन्द्र खत्री, संयोगिता ध्यानी ,निर्मला अधिकारी, मीरा भण्डारी, मो. हनीफ, राधेश्याम ध्यानी, सुरेन्द्रसिंह रावत ने किया। पालम क्षेत्र से राधेश्याम ध्यानी, प्रभाकर पोखरियाल, हीरो बिष्ट, मोहन जोशी, श्री भट्ट , विनोद रावत, त्रिभुवनचंद मठपाल, देव नेगी, मोहन बिष्ट, सुदर्शन रावत, कैलाश बेलवाल, हिमांशु पुरोहित, विनोद रावत, शिवचरण मुंण्डेपी, समाजसेवी मेहता,जयनेन्द्र भण्डारी, साहित्यकार चन्द्रपाल सिंह रावत, राजेन्द्रसिंह बिष्ट, पीडी तिवारी, राजेन्द्रसिंह कुंवर, देवेन्द्र बिष्ट, गणेश रौतेला, विपिन लखेडा, भारत रावत, दिनेश ध्यानी, उदय मंमगाई राठी एवं संगीता थलवाल, समर्पित आंदोलनकारी मुकेश, पत्रकार सुशील खन्ना ,गोविन्द सिंह पंवार, कांता प्रसाद खंखरियाल, तीसहजारी कोर्ट के अधिवक्ता कंडवाल जी और साथी, बुराडी,गुडगांव, फरिदाबाद, गाजियाबाद, साहिबाबाद, बदरपुर, खिचडीपुर, छावला, श्याम विहार, जल विहार, त्रिलोकपुरी, जल विहार, गुलाबी बाग, संगम विहार, पालम, रामकृष्णपुरम, यमुनापार सहित दिल्ली के हर कोने कोने से बडी संख्या में लोगों ने इसमें बडी प्रमुखता से भाग लिया।
वहीं लक्ष्मी रावत, हंसा अमोला, बीना बहुगुणा, श्रीमती आर्या सहित सैकडों की संख्या में नजफगढ़, छावला, आदि क्षेत्रों की महिलायें भी प्रमुखता से सम्मलित हुई। दामिनी प्रकरण की सुनवाई के दौरान कई तारीखों से पालम क्षेत्र के रावत वाटिका वाले एम एस रावत, समाजसेवी जयपाल नेगी व राधेश्याम ध्यानी ने सैकडों लोगों को दोपहर का खाना का लंगर की सेवा निस्वार्थ भाव से की। लोगों में इस बात का गहरा आक्रोश था कि दिल्ली में ही 16 दिसम्बर 2012 के दामिनी काण्ड के दोषियों को तो निचली अदालत ने कई महीने पहले मौत की सजा सुना दी है परन्तु बसंतकुंज की दामिनी प्रकरण से 10 महीने पहले घटित 9 फरवरी 2012 नजफगढ़ की दामिनी के गुनाहगारों को लम्बे समय बाद भी निचली अदालत से भी सजा नहीं सुनाई। जो सजा सुनाने के बाद दूर हो गयी।
नजफगढ की दामिनी को न्याय दिलाने के लम्बे संघर्ष में जहां उत्तराखण्ड के पूर्व मुख्यमंत्री भगतसिंह कोश्यारी व रमेश पोखरियाल निशंक, सांसद तरूण विजय, उत्तराखण्ड के शीर्ष लोक गायक नरेन्द्रसिंह नेगी ,अतरराष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त निशानेबाज जसपाल राणा, अग्रणी गायक हीरासिंह राणा, व चंद्रसिंह राही, राजेन्द्र चौहान, विशन सिंह हरियाला, मुकेश कठैत, संजय कुमोला, द्वारिका प्रसाद नौटियाल, शिवदत्त पंत, विनोद सिरोला, फिल्म निर्माता महेश प्रकाश व संजय सिलोरी, कपिल डोभाल, मनोज इष्टवाल प्रवासी संगठनों के दर्जाधारी कमल सिंह नेगी व कांग्रेसी नेता दिवानसिंह नयाल व हरपाल रावत, भाजपा नेता पूर्व मंत्री नारायणसिंह राणा, प्रवासी संगठनों के संयोजक सच्चिदानन्द शर्मा, उक्रांद के दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष रावत, दीपक पोखरिया, उत्तराखण्ड रक्षा मोर्चा के नेता रघुवीर बिष्ट, समाजसेवी व्योमेन्द्र नयाल, उत्तरायणी के कर्नल डिमरी, समाजसेवी महेशचन्द्रा, उद्यमी आलमसिंह बिष्ट इत्यादि हजारों की संख्या में दिल्ली व दिल्ली से बाहर के लोग भी सम्मलित रहे।
अब फिर से एक बार 8 साल बाद हाईकोर्ट द्वारा निहित की गयीफांसी पर सुप्रीम कोर्ट में 12 दिसम्बर को ऐतिहासिक फैसला होने की उम्मीद है ! क़ानून में अगर संसोधन हो गया तो स्वाभाविक सी बात है कि सुप्रीम कोर्ट भी इन्हें मौत कड़े सजा ही बरकरार रखेगा ! धडकते दिलों से उत्तराखंडी समाज बर्षों चले इस संघर्ष का इन्तजार आज भी बेसब्री से कर रहा है और उसी की यह वानगी है कि इस समाज ने 11 दिसम्बर को फैसला आने से पूर्व ही दामिनी उर्फ़ किरन नेगी के लिए कैंडिल मार्च का निर्णय लिया है! इसमें कितने लोग भागीदारी निभायेंगे यह अभी देखना बाकी है!