Sunday, December 22, 2024
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पर्वत जन के सम्पादक की गिरफ्तारी..! मीडिया करप्ट या सिस्टम की नकेल!

(मनोज इष्टवाल)

6 सितम्बर 2019 थाना सहसपुर में एक रिपोर्ट दर्ज होती है जिसमें नीरज कुमार नामक व्यक्ति पर्वत जन के सम्पादक शिव प्रसाद सेमवाल के विरुद्ध रिपोर्ट दर्ज करवाता है कि वह मुझे ब्लैकमेलिंग के माध्यम से 5 लाख की रंगदारी वसूल रहा है! रिपोर्ट लिखे तीन माह व्यतीत हो जाते हैं लेकिन कोई कार्यवाही नहीं होती! फिर अचानक पता चलता है कि आज उन्हें सुबह उनके घर से उठा लिया!

उत्तराखंड वेब मीडिया एसोसिएशन के महासचिव सहित लगभग 8-10 पदाधिकारी पत्रकार साथी आनन-फानन थाना सहसपुर पहुँचते हैं तो वहां खैर खबर लेते हैं! 10 बजे सुबह से शांय के 5 बज जाते हैं तब पत्रकारों को पता चलता है कि अब शिव प्रसाद सेमवाल को हिरासत में ले लिया गया है! यह घटनाक्रम पांच बजे इसलिए घटित होता है ताकि सेमवाल अपनी जमानत न करवा सकें!

वहीँ उत्तराखंड वेब मीडिया एसोसिएशन भी थानाधिकारी सहसपुर को पत्र लिखकर नीरज कुमार के विरुद्ध जनता को गुमराह करने व खुद को पूर्व राज्य मंत्री बताकर पंचायत चुनाव प्रभावित करने का आरोप लगाते हुए नीरज के विरुद्ध एफआईआर दर्ज करने का आवेदन जमा करते हैं!

यहाँ तक मान लिया कि चलो ठीक है कि शिव प्रसाद सेमवाल पर पत्रकारिता की आड़में रंगदारी का मामला बनता है उसके क्या एविडेंस पुलिस ने जुटाए ये आगे कार्यवाही में पता चलेगा लेकिन क्या नीरज कुमार जो खुद को पूर्व राज मंत्री घोषित कर सम्पूर्ण सहसपुर क्षेत्र में बैनर टांग देता है और पूरे पंचायत चुनाव में उन्हीं फोटो लगे पोस्टर बैनर के साथ उतरता है तब क्या उन पर कोई मुकदमा नहीं बनता था! क्या उन पर आईपीसी की धारा 420, 386 के तहत मामला नहीं बनता था! सच कहूँ तो नीरज पर तो सेमवाल से कई गुना संगीन मुकदमा बनता है क्योंकि एक व्यक्ति खुद को प्रदेश का पूर्व राज्यमंत्री घोषित करता है और उस पर न विजिलेंस जांच बैठती है न पुलिस कार्यवाही होती है तो क्या यहाँ मामला उलझता नजर नहीं आता! क्या शिव प्रसाद सेमवाल के मामले में कोई झोल नजर नहीं आता!

पर्वतजन द्वारा जो अब तक टीम वर्क के माध्यम से कई बड़े बड़े घोटाले प्रकाश में लाये गए, कई राजनीतिज्ञों/नौकरशाहों का काला चिट्ठा समय -समय पर बाहर आता रहा उस से जहाँ एक ओर सिस्टम में दहशत पर्वतजन के कारण बनी रही वहीँ उन पर ब्लैकमेलिंग के आरोप भी लगते रहे जो कभी साबित नहीं हो पाए! हाँ..दो एक वीडिओ कुछ साल पहले के जरुर शिव प्रसाद सेमवाल के स्टिंग की जरुर सोशल साईट पर दिखने को पूर्व में मिली हैं लेकिन तब इस तरह की कोई गिरफ्तारी नहीं हुई!

लेकिन…आज अचानक एक ऐसे प्रकरण पर उन्हें गिरफ्तार कर लिया जाता है जो ब्लैकमेलिंग का मामला था उस पर उनकी इस तरह की गिरफ्तारी जरुर संदेह पैदा करती है, क्योंकि सारे दिन यूँहीं टहलाने के बाद अचानक शाम 5 बजे सांय उन्हें हिरासत में लिया जाता है! यहाँ संदेह यह बनता है कि क्या सचमुच शिव प्रसाद सेमवाल इस मामले में गिरफ्तार किया गया या फिर किसी खबर को चलाने के मामले में! सूत्रों का तो यह भी कहना है कि यह हाई प्रोफाइल मामला है और यह तय था कि सेमवाल को इस तरह फंसाने का ताना-बाना लम्बे समय से बुना जा रहा था! आखिर एक हल्का सा मामला भारी बनाने की कवायद चली और उनकी गिरफ्तारी ऐसे समय पर की गयी ताकी उन्हें जल्दी जमानत न मिल सके!

बहरहाल यहाँ पत्रकारिता व राजपाट दोनों ही कठघरे में खड़े नजर आते हैं क्योंकि लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ कहा जाने वाला मीडियाकर्मी अगर यूँहीं लपेटे में आ जाता है या लाया जाता है तब कहीं न कहीं सिस्टम का अहम उजागर होता है और यदि सचमुच सेमवाल यही सब करते रहे हैं तब यह पत्रकारिता पर बड़ा सवालिया निशान है! मेरा मानना है कि दोनों ही पक्षों में अगर देखा जाय तो असुरक्षित देश के लोकतन्त्र का चौथा स्तम्भ ही है! क्योंकि अगर वह करप्ट है तो अंगुली पूरे मीडिया पर उठती है और अगर उसे फंसाया गया है तब भी उसका ही चरित्र दागदार किया जाता है! सिस्टम तो साफ़ सुथरा सात पानी का धुला बन जाता है! यहाँ डर उस पत्रकार के लिए भी है जो गंभीरता से खबरें कर सिस्टम के काले कारनामों को जनता के आगे लाने की जी तोड़ मेहनत करता है और बाद में उसे बड़ा खामियाजा उठाना पड़ता है!

क्या सिस्टम चाहे वह करप्ट हो या सही…! उसके विरुद्ध आवाज बुलंद करने वाले खबरनवीसों के लिए शिव प्रसाद सेमवाल की इस तरह गिरफ्तारी डर या दहशत फैलाने के लिए हो सकती है या खबर के कंटेंट को सत्यता के साथ शुद्ध वातावरण में रखने का सबक!

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35 बर्षों से पत्रकारिता के प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक व सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर सामाजिक, आर्थिक, राजनैतिक, धार्मिक, पर्यटन, धर्म-संस्कृति सहित तमाम उन मुद्दों को बेबाकी से उठाना जो विश्व भर में लोक समाज, लोक संस्कृति व आम जनमानस के लिए लाभप्रद हो व हर उस सकारात्मक पहलु की बात करना जो सर्व जन सुखाय: सर्व जन हिताय हो.
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