Wednesday, April 30, 2025
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पत्रकारिता दिवस पर अनूठा सम्मान! जब कोटद्वार के सभी पत्रकारों ने एक साथ मंच पर चढ़कर किया सम्मानित!

(मनोज इष्टवाल)

पत्रकारिता दिवस पर सम्मान (मिस इंटरनेशनल अर्थ अनुकृति गुसाईं, वरिष्ठ पत्रकार मनीष खंडूरी, नागेन्द्र उनियाल, सुधीन्द्र नेगी व सभी पत्रकार साथ)

विगत 30 मई 2019 सुबह से ही कोटद्वार की हवाओं फिजाओं में तपिस थी! उफ्फ…सचमुच बहुत गर्म शहर है ये! इसी गर्मी के बीच इस शहर की एक खूबी रही और वह खूबी है आम और लींची के लकदक बागीचे आपको यहाँ कहीं न कहीं दिख ही जाते हैं! दुन्दुभि मीडिया समूह द्वारा इस पत्रकारिता दिवस पर मुझे सम्मानित करने का आमन्त्रण दिया गया था! जिस दिन बड़े भाई सुधीन्द्र नेगी का इस सम्बन्ध में फोन आया उस दिन में भौंचक रह गया क्योंकि दुन्दुभि मीडिया समूह वामपंथ का माना जाना स्तम्भ रहा है और मैं वामपंथ की नजर में आजकल धुर्र दक्षिणपंथी गिना जाता हूँ ! ऐसे में आश्चर्यचकित होना भी लाजिम था! सुधीन्द्र नेगी को मेरे इस चयन पर उनके सहयोगियों की बातें जरुर सुननी पड़ी होंगी ऐसा मेरा अनुमान है!

दुंदुभि से पहले यह ग्रुप “ठहरो” हुआ करता था जिसे सुधीन्द्र भाई के कामरेड पिता स्व. भूपेन्द्र सिंह नेगी चलाया करते थे व उनके छोटे भाई कामरेड नरेंद्र सिंह नेगी जो दिल्ली रहते हैं उनकी भी इसमें कहीं न कहीं भागीदारी हुआ करती थी! इस समूह के सम्पादकों में बाप व पुत्र की जड़ें एक जगह बहुत मजबूत लगती हैं! बर्षों से भाबर क्षेत्र में रहने के बावजूद भी इनकी बोली-भाषा में गढ़वाली की यमकेश्वर क्षेत्र की मिठास नहीं गयी! जब भी मेरी बात हुई अगर मैं हिंदी में बतियाया तो पलटकर दोनों ने ही बहुत माधुर्य के साथ मुझे गढ़वाली में जबाब दिया जिस से मेरा अंतस हमेशा झेंप महसूस करता और फिर मैं ठेठ पहाड़ी बनने में अपना सौभाग्य समझता!

यूँ तो यह मेरा 41वां सम्मान था और पत्रकारिता दिवस पर चौथा सम्मान! पत्रकारिता दिवस पर मुझे इंटरनेशनल प्रेस कौंसिल द्वारा, प्रेस क्लब देहरादून द्वारा, नारद जयंती सम्मान व अब जनपक्षीय पत्रकारिता के लिए दुंदुभि सम्मान मिला! प्रेस क्लब ऑफ़ इंडिया में भी पत्रकारिता दिवस पर सम्मान का गर्व महसूस कर चुका हूँ! सम्मान कोई भी हो उसकी कीमत नहीं आंकी जानी चाहिए लेकिन यह सम्मान इसलिए जरा अलग था क्योंकि यह मेरी उस दौर की यादें ताजा कर गया जब मैं वैदिक काल की एक शोध परक नृत्य नाटिका “शकुंतला नृत्य नाटिका” पर फिल्मांकन के लिए कोटद्वार भाबर स्थित कण्वाश्रम में दूरदर्शन के लिए एक वृत्तचित्र बना रहा था! यह समय हिंदी पत्रकारिता का वह दौर कहा जा सकता है जब व्यक्तित्व एक पहाड़ी नदी की तरह से तेजी से मंजिल छूने को आगे बढ़ता है! बर्ष 1990-91 का वह दौर आज भी मुझे याद है जब भाबर क्षेत्र के जाने-माने प्रख्यात व्यक्तित्व में दुर्गापुरी चौक स्थित बद्रीश पोखरियाल, गोकुलानंद बडथ्वाल के साथ मेरी चर्चा चल रही थी व ठहरो के सम्पादक भूपेन्द्र सिंह नेगी भी आ धमके थे! बेहद शिष्ट सभ्य व धीमी आवाज में बात करने वाले इन कामरेड के निकलते ही बद्रीश पोखरियाल बोले थे- ये एक अखबार चलाते हैं! भावर क्षेत्र के अकेले कामरेड कहे जा सकते हैं वैसे विचारों से हम सभी कामरेड ही हुए! बस वह दिन था मुलाक़ात क्या हुई “ठहरो” कार्यालय में आना जाना शुरू हुआ इस दौरान कई लेख भी मेरे छपे! और सुधीन्द्र नेगी से मित्रता हो गई! सिर्फ मित्रता नहीं बड़े भाई छोटे भाई की तरह आत्मीयता भी..!

लगभग 28 साल बाद आज वही ठहरो ग्रुप जो दुंदुभि मीडिया समूह के नाम से अब जाना जाता है जब पत्रकारिता दिवस पर सम्मान के लिए बुलाता है तब वह पल भला पल भर में ताजा होंगे कि नहीं? खैर 30 मई 2019 को इस सम्मान समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में उत्तराखंड के वन मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत व विश्व प्रसिद्ध पत्रकार समूह के वरिष्ठ पत्रकार मनीष खंडूरी (जो इस बार कांग्रेस से पौड़ी जनपद के लोकसभा प्रत्याक्षी भी रहे) को आमन्त्रण था लेकिन डॉ. हरक सिंह रावत इसलिए नहीं आ पाए क्योंकि आज ही के दिन दिल्ली में भाजपा की नई सरकार का शपथ ग्रहण समारोह था! मंचासीन कोटद्वार की जानी मानी हस्तियों में पत्रकार बिरादरी के मेरे अग्रज दैनिक जयंत के सम्पादक नागेन्द्र उनियाल, व अलकनंदा के सम्पादक पांथरी जी सहित कोटद्वार की प्रमुख सामाजिक व राजनैतिक व्यक्तित्व मंचासीन थे जबकि मंच के पार कई ऐसे चेहरे जिन्हें मैं बखूबी जानता था व उनमें सुप्रसिद्ध लोक कलाकार रामरतन काला जी से बर्षों बाद मुलाक़ात हुई!

यह बड़ा अजीब सा इत्तेफाक कहा जा सकता है कि जिस धरा से विश्व की पत्रकारिता की शुरुआत हुई उसी धरा में मुझे यह सम्मान मिल रहा था! सतयुग के वैदिक काल में जब मुनि विश्वामित्र की तपस्या भंग करने मेनका स्वर्ग से पृथ्वीलोक में आई और विश्वामित्र के प्रेम में बशीभूत होकर यहीं की हो गयी तब इदेवराज इंद्र द्वारा उन्हें संदेश देने हेतु नारद जी को मृत्युलोक में भेजा था! कहते हैं उर्वशी और मेनका की ढूंढ में जब नारद जी तंग आ गये तब उन्होंने सर्वप्रथम शिलाखंडों पर स्वर्गलोक के गोपनीय संदेश लिखे जिन्हें पढ़कर ये दोनों ही अपने अपने काल में वापस स्वर्ग लोक पहुंची!

वैसे तो विश्व समुदाय का मानना है कि विश्व में सर्वप्रथम पत्रकारिता की शुरुआत- 131 ईसा पूर्व रोम में हुई लेकिन यह आश्चर्यजनक है कि जो भारत विश्व गुरु रहा उसमें तो पत्रकारिता की शुरुआत सतयुग में हजारों बर्ष पूर्व हो चुकी थी! रेडिओ टेलीविजन की पत्रकारिता अब आरम्भ हुई जबकि भारत में द्वापर में टेलीविजन व त्रेता में आकाशवाणी का शुभारम्भ हो गया था! शायद हमारा बुद्धिजीवी पत्रकार वर्ग इसे इतिहास में दर्ज करवाने में आलसी रहा वरना हम गर्व के साथ कह सकते कि पत्रकारिता की जननी भी हमारी ही धरोहर है! द्वापर युग में एक बर्णन आता है जब हस्तिनापुर में बैठे दृष्टराष्ट्र संजय से पूछते हैं कि:-

धर्मक्षेत्रे कुरुक्षेत्रे समवेता युयुत्सवः ।
मामकाः पाण्डवाश्चैव किमकुर्वत संजय ॥ (१)

धृतराष्ट्र ने कहा – हे संजय! धर्म-भूमि और कर्म-भूमि में युद्ध की इच्छा से एकत्र हुए मेरे पुत्रों और पाण्डु के पुत्रों ने क्या किया!
संजय उवाच
दृष्टा तु पाण्डवानीकं व्यूढं दुर्योधनस्तदा ।
आचार्यमुपसंगम्य राजा वचनमब्रवीत्‌ ॥ (२)

संजय ने कहा – हे राजन्! इस समय राजा दुर्योधन पाण्डु पुत्रों की सेना की व्यूह-रचना को देखकर आचार्य द्रोणाचार्य के पास जाकर कह रहे हैं।

यानि तब अपनी दूरदृष्टि से संजय कुरुक्षेत्र का हाल हस्तिनापुर में बैठे बैठे दृष्टराष्ट्र को सुनाया करते थे! त्रेता में आकाशवाणी कि- हे रावण तेरी बहन सूर्पनखा को मधु कैटव दैन्त्य हर ले जा रहे हैं!” साबित करता है कि हमारे हर युग में पत्रकारिता प्रबल थी!

बहरहाल दुन्दुभि सम्मान के लिए मंचासीन अतिथियों के साथ जब दैनिक जयंत के सम्पादक नागेन्द्र उनियाल जी ने इच्छा जाहिर की कि सभी पत्रकार अगर इस सम्मान के भागीदार बने व सबकी ओर से मनोज इष्टवाल को सम्मानित किया जाय तो कैसा रहेगा! मेरी प्रसन्नता का ठिकाना न रहा और सुधीन्द्र नेगी ने मेरी ओर देखकर मेरी हामी के साथ सभी पत्रकार मित्रों को मंच में बुलाकर मुझे सम्मानित करने का आग्रह किया! यह पहला मौक़ा था जब दर्जन भर पत्रकारों ने मुझे एक साथ सम्मानित किया! यह सचमुच दिल खुश कर देने वाली ख़ुशी थी लेकिन दूसरे दिन के अखबारों में मेरा नाम सबसे अंत में लिखा गया था जिसे कि इस अवसर पर सम्मानित किया गया! यह हमें समझना होगा कि पत्रकारिता में शुद्धता होनी आवश्यक है सिर्फ कलम चला देना पत्रकारिता नहीं है बल्कि हमें पत्रकारिता के मापदंडों को समझना चाहिए कि वास्तव में खबर क्या थी या खबर क्या है! एक बार दुंदुभि मीडिया परिवार का पुनः शुक्रिया!

(कई मित्र यह जानने को उत्सुक हैं कि वे देख सकें कि मैं कहाँ कहाँ कब-कब पुरष्कृत हुआ हूँ तो वे कृपया निम्नवत लिस्ट देख लें! इस दौरान मुझे यह संदेश देते हुए कतिपय भी हिचक नहीं है कि पत्रिकारिता में न वामपंथ होता है न दक्षिणपंथ..! पत्रकारिता सिर्फ पत्रकारिता होती है!)

पत्रकारिता व फिल्म, लोक संस्कृति, लोक समाज, धर्म-पर्यटन से जुड़े मुद्दों पर कार्य के लिए अब तक प्राप्त सम्मान:-

  • पिंडारी ग्लेशियर ट्रेकिंग पर “पिंडारी नागरिक सम्मान -2003-04 ,

      02- हिमाचली लोक संस्कृति के विजुअल डाकुमेंट्स पर माँ रेणुका सम्मान (हिमाचल)- 2006,

      03-  गोरखाली लोक समाज लोक संस्कृति पर भारत में किये गए विलक्षण कार्यों के लिए तीज उत्सव सम्मान  पश्चिमी नेपाल-2007,

      04- उत्तराखंड में नगदी फसल के प्रोत्साहन व लोकगीत लोक नृत्यों पर कार्य हेतु जय जवान जय किसान लोक संस्कृति सम्मान- 2007,

      05पश्चिमी नेपाल के सेक्टर 27 क्षेत्र में विभिन्न लोक समाजिक उत्सवों व लोक सामाजिक ख़बरों के लिए त्रिपुरा सुन्दरी मेला समिति सम्मान नेपाल- 2008,

      06-सामाजिक कार्यों में सहभागिता करने वाले व्यक्तित्वों पर पत्रकारिता के लिए  रोटरी क्लब सम्मान- 2009-10,

      07- गोरखाली समाज पर उत्तराखंड के परिपेक्ष्य में पत्रकारिता करने हेतु गोरखा सुधार सभा सम्मान-2010,

      08- गोरखाली लोक संस्कृति को अपने चैनल नेपाल १ के माध्यम से देश दुनिया के समुख रखने हेतु गोरखा महिला हरितालिका तीज उत्सव सम्मान (पत्रकारिता) 2013, 

      09- गोरखाली लोक संस्कृति को अपने चैनल नेपाल १ के माध्यम से देश दुनिया के समुख रखने हेतु  हरितालिका तीज उत्सव सम्मान (पत्रकारिता)- 2013,

      10- हिमालयी उतुंग शिखरों के बेहद करीब बसे पर्वतीय गाँवों की दशा दिशा, लोक उत्सवो व लोक समाज लोक संस्कृति पर पत्रकारिता हेतु पर्वत क्षेत्र सम्मान (ओसला)-2013,

      11- युवाओं को प्रेरित करने वाली पत्रकारिता के लिए यूथ ब्रिगेड एक्लेंस अवार्ड- 2014,

      12- फिल्म जगत में निर्माता निर्देशक, गीतकार, अभिनेता व पत्रकारिता के विभिन्न पहलुओं पर कार्य हेतु यूफा अवार्ड-2014,

       13- गढ़वाली-कुमाउनी लोक संस्कृति का अखबारों, टीवी चैनलों, पत्र-पत्रिकाओं में अपने लेखों के माध्यम से प्रचार प्रसार करने हेतु गढ़-कुमाऊ लोक संस्कृति सम्मान (लखनऊ)-2015

       14- गोरखाली लोक संस्कृति को अपने चैनल नेपाल १ के माध्यम से देश दुनिया के समुख रखने हेतु  गुराँस लोकसंस्कृति सम्मान नेपाल- 2015,

       15- उत्तराखंड में पत्रकरिता के हर मापदंड पर विलक्षण कार्यों हेतु इंटरनेशनल प्रेस कौंसिल पत्रकारिता दिवस सम्मान (दिल्ली) -2016,

       16- गोरखाली लोक संस्कृति को अपने चैनल नेपाल १ के माध्यम से देश दुनिया के समुख रखने हेतु  अमर शहीद दुर्गामल सम्मान (रूडकी) -2016,                                                                                                           

       17-लोक समाज व लोक संस्कृति पर केन्द्रित पत्रकारिता/लेखन हेतु  लोक संस्कृति सम्मान (क्रिएटिव वर्ल्ड फाउंडेशन)- 2016,

       18- लोक समाज व लोक संस्कृति पर केन्द्रित पत्रकारिता/लेखन हेतु  मसूरी विंटर कार्निवल-2016,

       19- राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ द्वारा पत्रिकारिता के क्षेत्र में उत्कृष्ट सराहनीय योगदान हेतु  देवर्षि नारद पत्रकारिता सम्मान-2016,

       20- लोक समाज व लोक संस्कृति पर केन्द्रित पत्रकारिता/लेखन हेतु  नंदा कैसेट्स लोक संस्कृति सम्मान-2016,

       21- साहित्यिक पत्रकारिता के लिए दून लिटरेचर फेस्टिवल-2016 प्रमाणपत्र ,

       22- नाट्यमंचों, लोकभाषाई फिल्मों व उत्तराखंडी लोक समाज की विभिन्न विधाओं पर फिल्म, डाकुमेंट्री फिल्म, ऑडियो वीडियो निर्माण हेतु भ.र.त. नाट्य अकादमी सम्मान (पिथौरागढ़)-2017,

       23- अपने पर्यटन लेखों के माध्यम से बर्ष 2017 में चाईशिल को ट्रेक ऑफ़ द इयर घोषित करवाने पर पर्वत गौरव सम्मान जखोल उत्तरकाशी-2017,

       24- जौनसार बावर की लोक संस्कृति व लोक समाज पर वृहद कार्य हेतु धूमसू सम्मान-2017,

       25- अपने पर्यटन लेखों के माध्यम से बर्ष 2017 में द्रोणागिरी को ट्रेक ऑफ़ द इयर घोषित करवाने पर द्रोणागिरी ट्रेक ऑफ़ द इयर-2017,

       26- रचनात्मक पत्रकारिता हेतु यूथ आइकॉन सम्मान-2017,

       27- वीर शहीद केसरी चंद युवा समिति जौनसार-बावर द्वारा पत्रकारिता व जौनसारी लोक संस्कृति पर किये गए कार्यों        के लिए “वीर शहीद केसरी चंद सम्मान-2017

       28- जनहित विकास समिति टिहरी गढ़वाल द्वारा  “हिमालयन डिस्कवर सम्मान-2017!”

         29उत्तराखंडी लोक संस्कृति पर विलक्षण कार्य करने के लिए “महाकौथीग सम्मान-2018” दिल्ली एनसीआर!

       30- पर्वतीय महापरिषद -उत्तरायणी लखनऊ द्वारा लोकसमाज, लोकसंस्कृति, धर्मस्व एवं पर्यटन पर उत्तराखंड में शोधपूर्ण कार्य हेतु  “वास्कोडिगामा ऑफ़ उत्तराखंड पुरस्कार- 2018

31- मुंबई कौथीग द्वारा पत्रकारिता के विभिन्न क्षेत्रों में विलक्षण कार्य हेतु कौथीग सम्मान-2018

32- पर्वतीय लोक विकास समिति नयी दिल्ली द्वारा  “पर्वत गौरव सम्मान-2018!

33- उत्तराखंड लोक मंच दिल्ली द्वारा “लोक संस्कृति सम्मान-2018”!

34- प्रशासनिक अकादमी नैनीताल द्वारा  सम्मान-2018

35- प्रेस क्लब देहरादून उत्तराखंड रजत जयंती पर “पत्रकारिता दिवस सम्मान-2018!

36- रवाई लोक महोत्सव अतिथि सम्मान-2018

37- हिमालय गौरव सम्मान -2019 (प्रेस क्लब ऑफ़ इंडिया नयी दिल्ली)!

38-रचनात्मक पत्रकारिता सम्मान-2019 (उत्तरजन टुडे)!

39- लोक कला संस्कृति सम्मान-2019- पर्वतीय कला मंच (नयी दिल्ली)!

40- उत्तरैणी-मकरैणी लोक संस्कृति सम्मान -2019 (उत्तराखंड जागरण मंच व उत्तराखंड प्रवासी मंच, नई दिल्ली)!

41- दुन्दुभी सम्मान-2019 (30 मई पत्रकारिता दिवस पर), जनपक्षीय पत्रकारिता व उत्तराखंडी संस्कृति के संरक्षण हेतु!

 

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