Friday, November 22, 2024
Homeलोक कला-संस्कृतिलाखामंडल... जहां मुर्दे कुछ पल के लिए जिंदा हो जाया करते थे। 

लाखामंडल… जहां मुर्दे कुछ पल के लिए जिंदा हो जाया करते थे। 

लाखामंडल… जहां मुर्दे कुछ पल के लिए जिंदा हो जाया करते थे। 

(मनोज इष्टवाल)
लाखामंडल देहरादून से लगभग ७५ किलोमीटर की दूरी पर यमुनोत्री राष्ट्रीय राज मार्ग पर स्थित है जो यमुना के दायीं छोर पर बसा हुआ है. इसे सिंहपुर के नाम से भी जाना जाता है. भले ही इतिहासविद्ध सिंहपुर की ढूंढ को अज्ञात मानते हों लेकिन कई लेखकों एवं इतिहासविदों ने अपने जो तर्क दिए हैं उसके आधार पर महाभारत काल से पहले व काल में इसे सिंहपुर कहा गया है. महाभारत के अनुसार एक पर्वतीय नगर जिसे उत्तर दिग्विजय के समय त्रिगत, दर्व, अभिसारी, उरगा के साथ पांडव अर्जुन ने विजित किया था वह सिंहपुर ही था (समा२४.१९.स्वा.भ.) कटौच २४९ सिंहपुर राजकुमारी ईश्वरा द्वारा लाखामंडल (मढा) में अपने पति के पुन्य हेतु शिब मंदिर का निर्माण प्राय: सातवीं शती ई. में करवाया गया (कील हाने. जं.रां.ए.सो. २१ पृष्ठ ४५८:बुछलर एपि.ई.१,पृष्ठ १२) ।

(जय विजय की प्रतिमा व पार्श्व में मन्दिर)

विकिपीडिया ने जय विजय की मूर्तियों को मानव और दानव की मूर्ती बताया है जबकि क्षेत्रीय लोग इसे अक्सर यहाँ के राजा जय-विजय से जोड़कर देखते हैं जबकि कुछ लोगों का मत है कि एक भाई गद्दा धारी है जो भीम है और दूसरा भाई धनुषधारी जो अर्जुन है. यहीं (फोटो में चौड़े लिंग) पर ध्यान लगाकर पांडू पुत्र युधिष्टर ने तप किया जिनकी रक्षा के लिए यह दोनों भाई हमेशा तत्पर रहते थे।

(वह लिंग जहाँ बैठकर युधिष्ठर ध्यान में बैठते थे)

लाखामंडल जहाँ स्थित है उसे मढा गॉव भी कहा जाता है । जिसके पास ही ढूंढी ओडारी (गुफा) है कहा जाता है कि इसी गुफा से निकलकर पांडवों ने अपनी जान बचाई थी। लाखामंडल गांव को मढ़ा कहीं इसलिए तो नहीं कहा जाता रहा होगा कि इसमें मठ मन्दिर ज्यादा हैं या फिर इसलिए कि यहां मुर्दे लाये जाते थे जो कुछ पल के लिए मंदिर प्रांगण में रखते ही जिंदा हो जाया करते थे। यहीं यहां के लोगों का मत है।

आज भी इस गुफा के अन्दर आग के कारण उपरी सतह काली है. गुफा के शीर्ष में द्रोपदी ताल है. जिसमें कभी द्रोपदी नहाया करती थी. कालान्तर में अब वहां पानी भले ही न हो लेकिन उसके अवशेष यथावत हैं. उसे भेडाल अब अपनी बकरियों को चुगाने के बाद उनके आराम का सुरक्षित स्थान समझते हैं।

लाखामंडल को परिभाषित करने के लिए उसका अगर संधि विच्छेद किया जाय तो वह कुछ इस तरह होगा यानी लाखा= लाख (अनगिनत) मंडल= मंदिर समूह (शिब लिंगों का समूह). इस हिसाब से भी लाखामंडल अपना भूतकाल पेश करता नजर आता है क्योंकि आज भी यह जब भी जहाँ भी खुदाई हुई बेहिसाब शिबलिंग इस धरती पर निकलते रहे।

Himalayan Discover
Himalayan Discoverhttps://himalayandiscover.com
35 बर्षों से पत्रकारिता के प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक व सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर सामाजिक, आर्थिक, राजनैतिक, धार्मिक, पर्यटन, धर्म-संस्कृति सहित तमाम उन मुद्दों को बेबाकी से उठाना जो विश्व भर में लोक समाज, लोक संस्कृति व आम जनमानस के लिए लाभप्रद हो व हर उस सकारात्मक पहलु की बात करना जो सर्व जन सुखाय: सर्व जन हिताय हो.
RELATED ARTICLES