Sunday, December 22, 2024
Homeउत्तराखंडबड़कोट डायरी......।बूटाराम व मूलकराज व्यापारी...!

बड़कोट डायरी……।बूटाराम व मूलकराज व्यापारी…!

(विजयपाल रावत की कलम से)

  मध्य हिमालय की गोद में बसा एक खूबसूरत पहाड़ी शहर बड़कोट!  मां भगवती का आंगन और बाबा बौखनाग की थाती बड़कोट, रंवाई की राजनीतिक, सामाजिक, आध्यात्मिक चेतना का ह्रदय स्थल रहा है। बड़कोट यमुनोत्री धाम का मुख्य बाजार है। जिसकी पृष्ठभूमि पर हिमालय की खूबसूरत चोटी बंदरपूंछ की अलौकिक छटा का दृश्य हर प्रहर मौजूद रहता है। 

सामने राजगढ़ी के खंडहरों में मौजूद राजशाही सत्ता के अवशेष बादलों के पास बैठकर रंवाई में हक-हकूक की अनगिनत़ लड़ाईयों के गवाह रहे हैं। 

मेरी दृष्टि में बड़कोट शहर का मूल हिस्सा बड़कोट गांव आज भी आदर्श गांव ही बना हुआ है। शहरीकरण के आधुनिक दौर में भी बड़कोट गांव ने अपना लोकजीवन नहीं बदला है। यहाँ आज तक पराग या आंचल डेरी का दूध नहीं पंहुच पाया, राड़ी डांडे के पास दूरबाली जैसी छानीयों से भैंस और गायों का ताजा दूध रोज घर-घर में आता हैं। सब कुछ शहरों जैसी सुविधाओं के बावजूद गांव का हर परिवार अपनी ॠतु फसल चक्र को संजोये हुए हैं। भादों की जातरा आज भी बड़कोट गांव का मुख्य पर्व है। उसका स्थान आज भी होली दिवाली के पर्वों से ज्यादा महत्वपूर्ण है। 

  छायावादी युग के दो प्रमुख कवियों जैसे नाम वाले बूटाराम और मूलकराज जैसे पुराने व्यापारी यहाँ के बड़े लाला थे।प्राचीन लक्ष्मी नारायण मंदिर में जब शाम की आरती होती थी तब मूलकराज लाला सपरिवार आरती करने आते थे। हम बच्चे प्रसाद लेने के लिए जब लाइन पर लगते थे, तब पता चलता था की मुल्कराज लाला के बड़े बेटे जो दुकान पर बैठे हुए कुछ नहीं बोलते थे वो जोर जोर से "ओम जय जगदीश हरे" की आरती गा रहे हैं। 

(भूमिका के आधार पर चंद शब्दों से शुरु कर रहे पत्रकार व सामाजिक कार्यकर्ता विजयपाल आगे क्या-क्या बड़कोट डायरी लिखकर गुल खिलाएंगे यह आज से आप क्रमबद्ध पढ़ते रहिएगा। ताकि सनद रहे कि हम उन्हीं जड़ों से जुड़े हैं जो हिमालयी कंदराओं ऊंची बर्फीले चोटियों में अवस्थित मठ मंदिरों के घाण्ड-शंख मंत्रोच्चारण की आचमन स्वरूप निकलती बहती धारा के साथ आगे बढ़ते ही रहे हैं।)

Himalayan Discover
Himalayan Discoverhttps://himalayandiscover.com
35 बर्षों से पत्रकारिता के प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक व सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर सामाजिक, आर्थिक, राजनैतिक, धार्मिक, पर्यटन, धर्म-संस्कृति सहित तमाम उन मुद्दों को बेबाकी से उठाना जो विश्व भर में लोक समाज, लोक संस्कृति व आम जनमानस के लिए लाभप्रद हो व हर उस सकारात्मक पहलु की बात करना जो सर्व जन सुखाय: सर्व जन हिताय हो.
RELATED ARTICLES