(मनोज इष्टवाल)
हैरत होती है जब विलासिता के इस दौर में हमने देवी-देवताओ, भूत-प्रेतों और भूत भविष्यकाल की बातों को सिर्फ किताबी बातें समझना शुरू कर दिया है. लेकिन आज भी सत ज़िंदा है जिसके बूते पर यह दुनिया टिकी है. चाहे राजनीतिज्ञ दौर रहा हो या किसी भी छोटे बड़े व्यक्तित्व की मुरादों का दौर! गोल्जू देव के दरवार में आज भी बड़े से बड़ा व्यक्तित्व और गरीब से गरीब व्यक्ति अपनी फ़रियाद लेकर जरुर पहुँचता है.
नैनीताल स्थित घोडाखाल के गोल्जू मन्दिर में उत्तराखंड राजनीति के विगत कुछ पूर्व के अनिश्चितता के दौर में कई राजनैतिक हस्तियों के प्रतिनिधियों द्वारा समय समय पर पूजा और मन्नत ने साबित कर दिया कि यह सचमुच चमत्कार का देवता है और जो भी इसके दरवार में जाता है उसकी मन्नत अवश्य पूरी हो जाती है. मुख्यमंत्री हरीश रावत द्वारा हाल के ही दिनों में गोल्जू महोत्सव की घोषणा करना भी कहीं न कहीं उनकी मन मुराद पूरी होने की बात मानी जा रही है.
घोडाखाल मंदिर के पुजारी पंडित रमेश जोशी ने बताया कि यहाँ हर रोज छोटी बड़ी घंटियों से लेकर बड़े बड़े घांड तक चढ़ते रहते हैं क्योंकि लोगों की आस्था और विश्वास के कारण यहाँ देवभाव बना रहता है. उन्होंने बताया कि पूरे मंदिर परिसर में असंख्य घांड व घंटियां मुराद पूरी होने के बाद ही चढ़ाई गयी हैं. यह उस गोल्जू देवता की ही कृपा है कि उसके पीछे हम सबके भी लगभग 15-20 परिवार पल रहे हैं. हम भी सच्ची श्रद्धा के साथ देवअर्चना में लगे हुए हैं.
उन्होंने बताया कि भुमका भीड़ापाणी के एक भक्त राजेन्द्र प्रसाद पुत्र स्व. तोष राम ने अभी-अभी अपनी दो मुरादें जो उन्होंने मांगी थी पूरी होने पर लगभग साढे तीन सौ कुंतल के दो घांड यहाँ चढ़ाए हैं जिनकी बाजार कीमत यदि आंकी जाय तो लगभग पौने पांच लाख रुपये बनती है जबकि यहाँ तक पहुंचाने से लेकर पूरे गॉव को भंडारा इत्यादि देने पर यही कीमत लगभग साढ़े पांच लाख के आस-पास बैठती है.
उन्होंने यह तो नहीं बताया कि राजेन्द्र प्रसाद की आखिर ऐसी कौन सी मन्नतें पूरी हुई हैं. लेकिन उनके चेहरे की चमक से जो संतुष्टि झलक रही थी उस से विधित होता है कि पंडित रमेश जोशी राजेन्द्र प्रसाद से ज्यादा गोल्जू के प्रति कृतज्ञ हैं. यह घांड उनके द्वारा जून 2016 में चढ़ाए गए थे!