खैरालिंग मेला……’कुछ दिन तो गुजारो पहाड़ में – 2’।
(चंद्रमोहन ज्योति की कलम से)
विगत 6.6.2018 को पौड़ी जनपद स्थित कल्जीखाल विकास खण्ड के असवालस्यूँ मुंडनेश्वर में खैरालिंग महादेव का कौथिग था. ये तस्वीर गढ़वाली सिनेमा के जनक पराशर गौड़ जी ने सीधे मेले से भेजी हैं. वे आजकल अपने गांव मिरचोड़ा आए हुए हैं। उन्होंने मिरचोड़ा में नया घर बनवाया है। आप भी इन गर्मियों के छुट्टियों में अपने गांव आइए और बच्चों को यहाँ के मेले और लोक संस्कृति से अवगत करवाइए।
जिला मुख्यालय पौड़ी से लगभग 37 किमी दूर कल्जीखाल विकासखण्ड के अन्तर्गत खैरालिंग महादेव समुद्रतल से 1800 मीटर की ऊंचाई पर एक रमणीक एवम सुरम्य पहाड़ी पर स्थित है. मन्दिर में स्थापित लिंग खैर के रंग का है अत: इसे खैरालिंग कहा जाता है. खैरालिंग महादेव को मुण्डनेश्वर महादेव भी कहा जाता है. किसी गलत कार्य करने वाले को ये देवता आवाज (धै) देकर टोकता है इसलिए इन्हें धवड़िया देवता के रूप में भी जाना जाता है. मान्यता है कि जिस पर्वत चोटी पर श्री खैरालिंग महादेव का मन्दिर स्थापित है वह मुण्ड (सिर) के आकार का उभरा हुआ है. तीन ओर से जो पर्वत श्रृखंलायें यहां आकर मिलती हैं वह घोड़े की पीठ के समान सम होकर चली हैं और उनके मिलन स्थल पर सिर के रुप की आकृति बन गई है जिसे मुण्डण डांडा भी कहा जाता है और इसी के आधार पर इसे मुण्डनेश्वर भी कहा गया है. इस मन्दिर की स्थापना 1795 ईसवी में की गई थी।