(मनोज इष्टवाल)
कुछ लोग पैदा ही इसलिए होते हैं कि वे जीवन पर्यंत ऐसा कुछ कर जाएं कि जब भी जिस भी बिषय की चर्चा हो तो वह अशोक स्तम्भ की ललाट बनकर सामने हाजिरी लगाते नजर आएं, ठीक वैसे ही जैसे सम्राट अशोक!
उत्तराखंड के फिल्मी जगत के ऐसे ही स्तम्भ हुए जिन्होंने उत्तराखण्डी संस्कृति, लोक, भाषा व समाज को रुपहले पर्दे पर लाकर अपना नाम उत्तराखण्डी सिनेमा जगत के अशोक स्तम्भ की तरह स्थापित किया। नाम भी सम्राट अशोक से मिलता जुलता हुआ अशोक मल्ल।
कैंसर की बीमारी से जूझ रहे फ़िल्म अभिनेता व निर्देशक अशोक मल्ल को विगत दो दिन दिवस न्यू मुंबई के एक अस्पताल में कैमोथेरिपी हेतु भर्ती किया गया था, जहां उन्होंने ठीक चौमासा के पहले दिन अर्थात श्रावण मास शुरू होते ही (7 जून 2020) अंतिम सांस ली ।
उन्होंने 1988 में गढवाली सुपरहिट फीचर फिल्म “कौथीग” में बतौर अभिनेता अपने फिल्म कैरिअर की शुरुआत करने के बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा क्योंकि गढवाली सिनेमा के कई हिचकोलों के बावजूद भी उन्होंने 2017 तक उत्तराखंडी फिल्मों में सक्रिय भूमिका निभाई ।
लगभग 29 बर्ष गढवाली फिल्म जगत को देने वाले अभिनेता व निर्देशक अशोक मल्ल ने कौथीग, बंटवारू, बेटी-ब्वारी, मेरी गंगा होलि त मैम आली जैसी सफल और कालजयी फिल्मों में नायक की भूमिकाऐं निभाई । सुपरहिट फिल्म “चक्रचाल” में चरित्र अभिनेता की भूमिका निभाई के रूप में भी वे सराहे गए।
गढवाली लोक संस्कृति व फ़िल्म रंगमंच से जुड़े व अशोक मल्ल के परम मित्र राकेश पुंडीर बताते हैं कि 2017 में अशोक मल्ल ने अनमोल प्रोडक्शन की “गोपी भीना” फिल्म का सफल निर्देशन किया जो कि एक सफल फिल्म साबीयत हुई । बडे पर्दे की फिल्मों के इतर उन्होंने “ब्यो” व “तेरी माया” नामक वीडिओ फिल्म में मुख्य चरित्र अभिनेता की भूमिका निभाई। इसी दौरान उन्होंने “हरिदर्शन” और “पिठैं की लाज” इन दो व्हीडिओ फिल्मों का निर्माण व निर्देशन भी किया । इस बीच वे उत्तराखंडी फिल्मों के साथ साथ उत्तराखंडी सांस्कृती के उन्नयन हेतु रंगमंचो पर भी सक्रिय भूमिकाएं निभाते रहे ।
अशोक मल्ल ने एल्बम की दुनियां में प्रसिद्ध गायक सुरेश काला के गायन में “छौ छक छम” नामक एल्बम को बतौर निर्माता बाजार में उतारा, जोकि उस दौर में काफी सफल हुई ।
मुंबई के उत्तराखंड राज्य की उत्तराखंड भवन भूमि में प्रथम बार 2009 में “कौथिग” के आयोजन का श्रेय भी अशोकमल जी को जाता है जोकि उत्तरांचल पिपल आर्गेनाईजेशन के तत्वावधान में संपन्न किया गया।
फ़िल्म निर्माता, निर्देशक व अभिनेता अशोक मल्ल उत्तराखण्डी सिनेमा के ऐसे बट वृक्ष हैं जिनका जन्म तो पिथौरागढ़ में हुआ लेकिन उन्होंने पहली फ़िल्म गढवाली भाषा में बतौर अभिनेता शुरू की। उनकी अंतिम फ़िल्म उनकी थाती माटी कुमाऊँ के लिए साबित हुई। फ़िल्म का नाम “गोपी भीना”!
कौथिग यानि मेले गढ़वाल-कुमाऊं के ऊंची थातों, बुग्यालों,देवालयों में आयोजित होते हैं जो विभिन्न संस्कृति के समागम में अनेकता में एकता का काम करते नजर आते हैं। ऐसे मेलों यानि कौथिगों में जीजा स्याली का ठट्टा मजाक न हो तो फिर कौथिग ही किस बात का। इस कलाकार ने कौथिग भी जुटाया और गोपी भीना अर्थात जीजा साली के सुंदर रिश्ते को भी जीवंत कर रुपहले पर्दे पर उत्तराखण्डी सिनेमा जगत का चौमासा हर बर्ष जुटाया शायद यही कारण भी रहा कि ऐन चौमासे के दिन ही अशोक मल्ल ने हम सबको अलविदा कहा। उत्तराखंड फ़िल्म जगत व संस्कृति से जुड़े विभिन्न कलाकारों द्वारा फ़िल्म अभिनेता अशोक मल्ल को अपनी अपनी सोशल साइट्स पर विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित की गई जिनमें सुप्रसिद्ध लोकगायक नरेंद्र सिंह नेगी, जागर सम्राट पद्मश्री प्रीतम भरतवाण, सुप्रसिद्ध अभिनेता बलदेव राणा, अभिनेता व रंगमंडल के निदेशक बलराज नेगी, उत्तराखण्ड फ़िल्म एसोसिएशन के अध्यक्ष सुनील नेगी, उपाध्यक्ष रावत, उफतारा के कांता प्रसाद, प्रदीप भंडारी, चन्द्रवीर गायत्री, फ़िल्म निर्देशक गणेश वीरान, निर्देशक अनिल बिष्ट, निर्देशक देबू रावत, मुम्बई कौथिग के केसर सिंह बिष्ट, संगीतकार वीरेंद्र नेगी, राजेन्द्र चौहान, संजय कुमोला, गायक गीतकार नन्द लाल भारती, सुप्रसिद्ध लोक गायिका श्रीमती रेखा उनियाल धस्माना कल्पना चौहान, अनुराधा निराला, मीणा राणा, संगीता धौंडियाल, हेमा नेगी करासी, पूनम सती, रंगमंडल अभिनेत्री व निर्देशक वसुंधरा नेगी फ़िल्म अभिनेता अशोक चौहान, राजेश गौड़, मुकेश शर्मा इत्त्यादि प्रमुख हैं।
श्रद्धांजलि …नमन।