Tuesday, October 8, 2024
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लॉकडाउन के चलते टला आगामी 19 अप्रैल को होने वाला रथी देवता मेला। अब ऑनलाइन पूजा करेंगे मन्दिर के पुजारी।

थौलधार/टिहरी 18 अप्रैल 2020 (हि. डिस्कवर)

टिहरी जिले के थौलधार विकास खण्ड के अंतर्गत पड़ने वाली जुवा पट्टी अंतर्गत ग्राम अलेरू किल्याखाल में हर साल लगने वाला ‘श्रीदेव धनसिंह रथी देवता’ मेला कोरोना वायरस (कोविड-19) की रोकथाम के लिए लागू लॉकडाउन के मद्देनज़र स्थगित किया गया है। ‘श्री रथी देवता मंदिर सेवा समिति ‘द्वारा जारी एक विज्ञप्ति के माध्यम से जानकारी दी गयी है कि यह मेला हर साल की भांति इस बार रविवार 19 अप्रैल को आयोजित होना था लेकिन कोरोना वायरस संक्रमण व प्रदेश सरकार द्वारा जारी पाबंदियों के चलते मेला आयोजन स्थगित कर दिया गया है।

फ़ाइल फोटो- रथी देवता मन्दिर।

उत्तराखण्ड सरकार ने लॉकडाउन के कारण सभी तरह के धार्मिक आयोजनों पर रोक लगा रखी है जिसे देखते हुए मंदिर समिति ने इस मेले का आयोजन स्थगित करने का फैसला लिया है। समिति के अध्यक्ष आषाढ़ सिंह अधिकारी और समन्वयक विक्रम सिंह अधिकारी ने बताया कि रविवार तिथि सात गते बैसाख को सुबह सात बजे पुरोहित मंदिर में पूजा अर्चना करेंगे जिसका श्रद्धालुओं के लिए श्री रथी देवता समिति के फेसबुक पेज और यू ट्यूब से सीधा प्रसारण किया जाएगा।

रथी देवता के बारे बताया जाता है कि कोरोना महामारी की तरह ही सम्पूर्ण गढ़वाल में 1783 मैदानी भूभाग से हैजा बीमारी तब पहाड़ आई जब मैदानी लोग चारधाम यात्रा पर आए। हैजा ने गांव के गांव चौपट कर दिए। इन्हीं में किल्याखाल अलेरू के अधिकारियों का गांव है जहां हैजा में बहुत लोगों की मौत हुई। तब धन सिंह अधिकारी नामक एक प्रसिद्ध ब्यक्ति हुआ करता था जिसके भैंसों के खरक हुआ करते थे। दया धर्म और प्रेम प्यार बांटने वाले धन सिंह अधिकारी भी इसी हैजा की चपेट में आये व उनकी भी आम्र वृक्ष के नीचे मौत हो गयी। कहा जाता है कि उसी दिन उसी काल देवताओं का रथ वहां से गुजर रहा था, अकाल मौत मरे धन सिंह अधिकारी की अतृप्त आत्मा को परियों का रथ मिला व वे देवतुल्य हो गए। कई लोगों की जनधारणा यह भी है कि धनसिंह अधिकारी हन्त्या रूप में अलेरू गांव व आस पास के लोगों के ऊपर भाव रखकर रोते बिलखते तो लोग यही सोचते कि यह शायद कोई भूत हैं लेकिन जब उन्होंने लोगों की समस्याओं का समाधान करना शुरू किया तो उन्हें पहले पितृ देवता के रूप में पूजा मिलनी शुरू हुई। जब उन्होंने बताया कि वे रथ पर चलने वाले हुए तो उन्हें रथी देवता के रूप में पूजा जाने लगा। उन्होंने जिसे आशीर्वाद दिया वह खूब फला फूला। रथी देवता ने कभी किसी का बुरा नहीं किया। आज भी उन्हें दुग्ध स्नान, पनामा सिगरेट का बड़ा शौक है। किल्याखाल के पास अलेरू गांव की मन्दिर समिति ने उनका विशाल मंदिर बना दिया है जिस पर हर बर्ष बहुत बड़ा मेला लगता है।

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35 बर्षों से पत्रकारिता के प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक व सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर सामाजिक, आर्थिक, राजनैतिक, धार्मिक, पर्यटन, धर्म-संस्कृति सहित तमाम उन मुद्दों को बेबाकी से उठाना जो विश्व भर में लोक समाज, लोक संस्कृति व आम जनमानस के लिए लाभप्रद हो व हर उस सकारात्मक पहलु की बात करना जो सर्व जन सुखाय: सर्व जन हिताय हो.
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