देहरादून 4 फरवरी 2019 (हि. डिस्कवर)
कई बार लगता है कि कुछ तो है वन मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत में ! क्योंकि अपने विभागीय कामों में बेहद असहाय से महसूस कर रहे डॉ. हरक सिंह रावत के हालिया बयान ने जहाँ जनता के बीच यह सुगबुगाहट पैदा कर दी थी कि क्या आगामी लोक सभा चुनाव में कहीं डॉ. हरक सिंह रावत सहित कई कदावर नेता कांग्रेस में जाने की योजना तो नहीं बना रहे हैं क्योंकि विगत विधान सभा सत्र में पूर्व मुख्य मंत्री स्व. नारायण दत्त तिवारी पर बोलते हुए उन्होंने जैनी प्रकरण को जोड़कर जिस तरह भाजपा सरकार को असहज किया और अभी हालिया बयान में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी पर वक्तब्य दिया उसका कहीं असर पड़ा हो न पड़ा हो लेकिन शासन के दो शक्तिशाली क्षत्रप अपर मुख्य सचिव ओम प्रकाश व रणबीर सिंह से क्रमशः कौशल विकास व वन मंत्रालय छिन जाने का सीधा सा अर्थ लगाया जा रहा है कि यह डॉ. हरक सिंह रावत की नाराजगी के कारण हाई कमान द्वारा की गयी पहल का नतीजा है!
बहरहाल हम इसे प्रोटोकॉल व कार्मिक व सतर्कता विभाग उत्तराखंड शासन की पालिसी का ही एक हिस्सा मानकर भी चलें तब भी यह स्थानान्तरण ऐन पार्टी अध्यक्ष अमित शाह के आगमन के पश्चात होने से कहीं न कहीं संदेह पैदा करते हैं! फिलहाल सूत्रों का मानना है कि डॉ. हरक सिंह रावत के शासन प्रशासन की फाइलें गतिमान न होने के कारण डॉ. रावत अपने को अपने ही मंत्रालयों में बेहद असहज मान रहे थे और अंदरखाने खबरें यह भी चल रही थी कि ऐसा न हो वह ऐन चुनाव से पहले कोई ऐसा निर्णय ले लें जो पार्टी के लिए नुक्सानदेह हो!
इस ट्रांसफ़र नियुक्ति प्रक्रिया में ऐसा भी नहीं है कि सिर्फ अपर मुख्य सचिव ओम प्रकाश या रणवीर सिंह से ही विभाग वापस लिए गए हों ! इनके अलावा मनीषा पंवार जैसी सशख्त प्रमुख सचिव से महानिदेशक/आयुक्त उद्योग, प्रमुख सचिव आनन्द बर्द्धन से लघु सिंचाई,सैनिक कल्याण, नागरिक खाद्य आपूर्ति , उपभोक्ता मामले तथा आयुक्त भी विभागीय मंत्रियों से जोड़कर देखे जा रहे हैं! क्योंकि लघु सिंचाई की ढीली चाल पर विभागीय मंत्री पूर्व में ही अपना असंतोष जता चुके थे! वहीँ हाल ही में सम्पन्न हुए इन्वेस्टर मीट के बाद प्रमुख सचिव मनीषा पंवार से उद्योग वापस लिया जाना अपने आप में प्रश्नचिह्न खडा करता है!
सचिव स्तर पर शैलेश बगोली से आयुक्त गढ़वाल मंडल, डॉ. भूपिंदर कौर औलख से विद्यालयी शिक्षा (माध्यमिक व प्राथमिक), नितेश कुमार झा से कार्मिक एवं सतर्कता, हरिवंश सिंह चुघ से सचिवालय प्रशासन, बिर्जेश कुमार संत से प्रबंध निदेशक उत्तराखंड परिवहन निगम तथा अपर सचिव प्रदीप सिंह रावत से प्रबंध निदेशक उत्तराखंड सुगर फेडरेशन वापस लिए गए हैं!