(मनोज इष्टवाल)
यूँ ही कोई सम्मान किसी के द्वार चलकर नहीं आता क्योंकि उस सम्मान के पीछे उस व्यक्तित्व का अतीत व उसकी कार्यशैली व समर्पण छुपा हुआ होता है! साहित्य कला संस्कृति और समाजसेवा को पूर्णत: समर्पित फरीदाबाद की संस्था “यूथ ऑफ़ यूनिवर्स” द्वारा विगत माह दुबई में रहकर उत्तराखंड के ही नहीं बल्कि सम्पूर्ण भारत बर्ष के प्रवासियों के लिए व भारत बर्ष में तथा अपनी जन्मभूमि उत्तराखंड में गरीबों असहाय विकलांगों के लिए समाजसेवा की मिशाल पेश करने वाली श्रीमती गीता डोभाल चंदोला अचानक तब चर्चाओं में आई जब 2013 की केदारनाथ आपदा में वह दुबई से ठेठ केदारनाथ जा पहुंची और वहां उन्होंने जो कुछ किया वह उस समय अखबारों की सुर्ख़ियों में सभी ने पढ़ा! यों तो श्रीमती गीता डोभाल चंदोला को समाजसेवा के क्षेत्र में लगभग दर्जन भर पुरस्कार मिल चुके हैं लेकिन विगत अप्रैल में मिले इस पुरस्कार को पाकर गीता कहती हैं सम्मान जब पर्वत पुत्री के नाम से जुड़ा हो तो उसकी गरिमा और बढ़ जाती है व व्यक्तिगत तौर पर मुझे और अधिक जिम्मेदारियां उठाने की प्रेरणा भी दे जाती है!
श्रीमती गीता डोभाल चंदोला पर यों तो लिखने को तो बहुत कुछ है लेकिन हम उनके सफर के शुरूआती बर्ष से लेकर वर्तमान तक के चंद लम्हों को कुछ यों इस पुरस्कार से जोड़कर उन्हें शुभकामनाएं देते है:-
गीता फिर पहुंची मातृभूमि, दुबई से सीधे पहुंची केदारघाटी, जाना आपदा पीड़ितों का दर्द-
उत्तराखंड में अपनी समाज सेवा का लोहा मनवाने वाली प्रवासी गीता चंदोला फिर अपनी मातृभूमि आ पहुंची जहाँ से उन्होंने सीधे केदारनाथ घाटी का रुख किया और विगत बर्ष हुई तबाही में बर्बाद घर परिवारों की सुध ली. गीता दुबई में रहती हैं लेकिन उनका दिल गरीब अनाथ तबके के लिए हमेशा ही धडकता रहा है.
बर्ष २०१३ में आई केदारघाटी में भयंकर तबाही का मंजर दुबई में टीवी पर देखकर सीधे उत्तराखंड का रुख करने वाली गीता चंदोला ने न सिर्फ आपदा प्रभावित लोगों के आंसू पोंछे अपितु केदारघाटी के ल्वारा एवं लमगौंडी गॉव के ६ बच्चों को गोद भी लिया. केदारघाटी से लौटी गीता चंदोला ने तबाही के बाद वहां की वर्तमान स्थिति पर ख़ुशी जाहिर करते हुए कहा कि वर्तमान में मुख्यमंत्री हरीश रावत ने जिस तरह का कार्य क्षेत्र की सड़कों के लिए किया वह बेहद सराहनीय है. उन्होंने सड़कों के निर्माण को बेहतरीन बताते हुए वर्तमान सरकार के कार्य की प्रशंसा करते हुए कहा कि सच कहूँ तो अब जो कार्य क्षेत्र में हो रहे हैं वह पूरी निष्ठा और इमानदारी के साथ होते दिखाई दे रहे हैं. उन्होंने कार्यदाही संस्थाओं के कार्य पर संतोष जताते हुए उन्हें बधाई दी है.
ज्ञात हो कि विगत बर्ष गीता चंदोला ने आपदा में बेघर हुए ल्वारा (रूद्रप्रयाग) गॉव के ५ बच्चों और लमगौंडी(रूद्रप्रयाग) की सुलेखा देवी की एक बेटी को गोद लेकर उन्हें पढ़ाने लिखाने का जिम्मा लिया है. गीता चंदोला ने बताया कि जब वह बच्चों की आर्थिक मदद के लिए केदारघाटी पहुंची तो पता चला कि ल्वारा गॉव की लीला देवी अपने ११ बर्षीय बच्चे के इलाज के लिए हरिद्वार भटक रही है एवं उसे अभी तक सरकार की ओर से कोई आर्थिक मदद नहीं मिल पायी है जो दुर्भाग्यपूर्ण है.
उन्होंने कहा कि वह केदारघाटी से पहुँचने के बाद कल लीला देवी से मिलने हरिद्वार जा रही हैं ताकि उस बच्चे के स्वास्थ्य की संपूर्ण जानकारी प्राप्त हो सके. क्योंकि उनसे जो भी संभव हुआ वह हर संभव इन बच्चों को मदद करने को तैयार हैं. उन्होंने आशा जताई है कि प्रदेश के मुखिया हरीश रावत भी इस अपाहिज बच्चे की मदद करेंगे.
गीता चंदोला कहती हैं कि मैं यह कभी नहीं चाहती कि अखबार की सुर्ख़ियों में छाने के बाद जैसे अक्सर लोग धरातल में काम नहीं करते वैसे ही कोई उन पर भी अंगुली उठाये. उन्होंने स्पष्ट किया कि न उनकी कोई संस्था है और न ही वह किसी राजनीतिज्ञ पार्टी से ही जुडी हैं. मुझे पैत्रिक गुणों में समाज सेवा करने हेतु भी गुण मिले हैं शायद ईश्वर की मुझ पर ऐसी नेमत ही है. साथ ही उन्होंने अपने पति डॉ. राकेश चंदोला का भी शुक्रिया अदा करते हुए कहा कि यह उन्हीं की सोच का नतीजा है जो मैं समाज के कुछ गरीब असहाय लोगों की सेवा कर पा रही हूँ. उन्होंने मीडिया का शुक्रिया अदा करते हुए कहा कि मीडिया ने उन्हें जो हाईप दी है उससे सिर्फ उनकी समाज में पहचान ही नहीं ही बल्कि उनकी जैसी कई अन्य महिलाओं ने भी समाज सेवा का जिम्मा उठा लिया है जो आगामी समय के लिए शुभसंकेत है.
ज्ञात हो कि गीता चंदोला ने सिर्फ देवभूमि उत्तराखंड में ही नहीं बल्कि दुबई में रहकर भी कई देशवासियों को तब मदद पहुंचाई है जब वहां पहुंचे लोगों को पता चला कि उन्हें फर्जी पासपोर्ट और वीजा प्रक्रिया से वहां लाया गया है या फिर जिन्हें जालसाजी में फंसाने की कोशिश की गई है.
समाज सेविका गीता चंदोला राजीव गांधी एक्सीलेंस अवार्ड २०१४ से सम्मानित-
अपनी सामजिक सेवाओं के लिए गीता चंदोला को बर्ष २०१४ का राजीव गांधी एक्सीलेंस अवार्ड से सम्मानित किया गया!
जब गीता चंदोला के थप्पड़ की गूँज से गूंजा मेट्रो का इलाका-
यह फोटो बरबस उस हादसे की याद दिला देता है जब बिगत बर्ष नॉएडा के सेक्टर ३७ मेट्रो स्टेशन के पास भीख मांग रहे इन बच्चों के साथ (गीता के गले में हाथ डाले लड़की) के साथ कुछ मनचले छेड़छाड़ कर रहे थे. गीता चंदोला से रहा नहीं गया और उनमें से एक के गाल में इतना जोरदार थप्पड़ रसीद किया कि पूरा मेट्रो स्टेशन उसकी गूँज में इकठ्ठा हो गया. गीता ने काली का रूप धारण कर लिया!
सकते में आये सभी बदमाश ये भागे और वो भागे…! गीता ने फिर इनके लिए स्कूल जाने की ब्यवस्था करवाई. एडमिशन करवाने के बाद पूरा खर्चा वहन करने के लिए स्कूल प्रशासन को लिखित में दिया. लेकिन कुछ माह पूर्व जब गीता वापस इन्हें देखने दुबई से पहुंची तो पता लगा इनके मां बाप इनका नाम कटवाकर फिर से भीख का ब्यवसाय करने कहीं और चले गए.
गीता ने अपने उदगार बताते हुए कहा कि वह उस दिन बहुत रोई..क्योंकि दुबई से ढेर सारे गिफ्ट लेकर लौटी गीता ने उम्मीद की जो किरण जगाई थी वह बुझ गई थी. ऐसी है अपनी देवभूमि की यह लाडली….!
बलबीर के लिए दुबई में गीता की गूँज! विदेश में भी गीता की समाजसेवा का कोई सानी नहीं !
पिछले 6 माह से टिहरी गढ़वाल का एक बेटा दुबई में अपनी जिंदगी और मौत से लड़ रहा है जिस पर आत्मह्त्या करने का मामला भी बना हुआ है । पौड़ी गढ़वाल के कल्जीखाल विकास खंड क़े असवालस्यु मलाऊँ गॉव की गीता चंदोला जो न सिर्फ भारत में बल्कि दुबई में भी अपनी समाजसेवा के नाम से जानी जाती है। विगत 6 माह से बलबीर नामक इस व्यक्ति के स्वास्थ्य होने के लिए दिन रात सेवा भाव से जुटी हुई है।
और शायद यही कारण भी है कि दुबई में रह रहा हर भारतीय अगर मुसीबत में हो तो उसे गीता की ही याद आती है. दुबई सरकार के कई संगठन गीता को समाजसेवा के क्षेत्र में दिए जा रहे उनके अमूल्य योगदान के लिए सम्मानित भी कर चुके है.
बलबीर के बारे में बस इतनी ही जानकारी है कि वह दुबई के महेश सीफ़ूड नामक होटल में अन्य 7-8 गढ़वाली लोगों की तरह काम करता था. वह टिहरी के घनशाली क्षेत्र के दलगॉव का निवासी है. परिवार में घर की स्थिति की जो सूत्रों से जानकारी मिली है वह यह है कि बलबीर के माँ-पिताजी का देहांत हो चुका है एक भाई है जो अल्पविकसित दिमाग का है. पूरा पारिवारिक बोझ बलबीर के ही सर है. वह अभी शादी-शुदा भी नहीं है.
दुबई स्थित बलबीर के दोस्त पौड़ी निवासी मातवर सिंह के अनुसार बलबीर बेहद मिलनसार और खुशमिजाज व्यक्तित्व का धनी है वह हमेशा ड्यूटी का पाबन्द है और उसे पूरी इमानदारी और निष्ठा से निबटाया करता है. 27 फरबरी को भी वह हर रोज की तरह ड्यूटी पर आधे घंटे पहले आया था वह खुश था कि आगामी 3 मार्च को उसे भारत लौटना है अपने गॉव. लेकिन ड्यूटी से अचानक पन्द्रह मिनट पहले ही उसने आत्महत्या का प्रयास कर अपना ही गला रेत दिया.
उसे गला रेतते किसने देखा यह कहना मुश्किल है लेकिन दुबई पुलिस फाइल में यही जानकारी है कि उसने स्वयं आत्महत्या का प्रयास किया है. दुबई में टिहरी चम्बा सुनारगॉव के ही अब्दुल सलाम से हुई बात में अब्दुल सलाम ने जानकारी दी कि दैनिक दिनचर्या की तरह इस दिन भी बलबीर अपनी ड्यूटी पर यूँहीं हँसता मुस्कराता गया आधा घंटा भी नहीं हुआ कि वह कोल्ड स्टोर में गया और उसके कान से लेकर जबड़े तक छुर्री लगी थी वह बुरी तरह जख्मी था कहा गया कि वह आत्महत्या करने का प्रयास कर रहा था.
अब्दुल सलाम ने बताया कि विगत 6 महीने से गीता चंदोला अकेली बलबीर की सेवा पर लगी हुई है जिनकी देखा-देखी करते हुए वे भी जब समय मिलता है तब बलबीर की देखभाल के लिए हॉस्पिटल चले जाते हैं. हाल ही में रोशन रतूड़ी नामक टिहरी गढ़वाल के एक व्यक्ति जो मस्कट में कार्य करते हैं भी अब बलबीर को देखने अस्पताल कभी-कभार अक्सर आ जाया करते हैं. उन्हें भी सोशल साइड के माध्यम से इस बात की जानकारी मिली है. लेकिन अब्दुल सलाम अपनी नाराजगी जताते हुए कहते हैं कि रोशन रतूड़ी अब राजनीति कर रहे हैं अगर उन्हें सचमुच इतना ही दर्द था तो वह अब तक कहाँ थे. जबकि अब्दुल सलाम गीता चंदोला की तारीफ़ करते हुए कहते हैं कि दीदी समाज सेवा के लिए घर परिवार तक की चिंता नहीं करती वह हर संभव बलबीर के स्वस्थ होने के प्रयास करती है और यह गीता दीदी ही हैं जिनकी जिद पर उसे अभी तक हॉस्पिटल में रखा गया है वरना सब बलबीर को इसी हालत में भारत भेजने की तैयारी पर लगे हुए हैं.
बहुत कोशिशों के बाद आखिर आज जब दुबई में गीता चंदोला से बात हुई तो वह बोली- दिदा नमस्कार, हाँ अब बलबीर की हालत में काफी सुधार है आप सबकी व माँ भगवती की कृपा से वह बच गया है ठीक भी हो जाएगा. तब पता चलेगा कि उसने आत्महत्या का प्रयास क्यों किया. सब लोग दुबई के कानून को देखते हुए डर रहे थे क्योंकि यहाँ क़ानून बेहद सख्त है और उसपर आत्महत्या का चार्ज है इसलिए कोई तब से आगे आने को तैयार नहीं था. मैं अपने को रोक न सकी. मुझे माँ भगवती पर बहुत विश्वास है कि वह मेरा अहित नहीं कर सकती इसलिए मैंने पूरे मन से हर दिन बलबीर के अच्छे होने की कामना की . रोज अस्पताल (राशिद हॉस्पिटल) जाती हूँ जिस दिन नहीं जा पाती फोन से जानकारी लेती रहती हूँ.
गीता कहती हैं कि बलबीर पर अगर आत्महत्या का मामला बना तो उसके लिए भी मुसीबत हो सकती है क्योंकि दुबई के क़ानून ही ऐसे हैं. उसे बुरी हालत में ही भारत भेजने की बात हो रही थी लेकिन मैंने जैसे तैसे उसे यहाँ रुकवा दिया क्योंकि यहाँ के अस्पतालों में फाइव स्टार फेसिलिटी है. आज बलबीर लगभग 80 प्रतिशत स्वास्थ्य हो गया है. लेकिन अभी भी वह कोमा की स्थिति में ही है फिर भी कई लोग प्रयास कर रहे हैं कि उसे इसी हालत में भारत भेज दिया जाय जिसका हम विरोध कर रहेहैं क्योंकि हम चाहते हैं वह यहाँ पहले स्वस्थ हो जाए फिर अस्पताल से डिस्चार्ज हो और पता लगे कि आखिर कहानी है क्या. मुझे याद आया कि गीता चंदोला ने मुझे बलबीर के घर का नम्बर लगभग 4 माह पूर्व दिया था उन्होंने उनके रिश्तेदार का नाम बचन सिंह या बचपन सिंह और मोबाइल नम्बर 9536746872 दिया था जिस पर घंटी बजती रही लेकिन किसी ने उठाया नही यह बात विगत मई 2016 की है. अब भले ही यह जानकारी मिली है कि बचन सिंह व बलबीर के रिश्तेदार मार्च में ही विदेश मंत्रालय को इस सम्बन्ध में पत्र लिख चुके हैं लेकिन उसका अभी तक उनके पास कोई जवाब नहीं आया. वहीँ इस मामले में प्रधानमन्त्री भारत सरकार से भी गुहार लगाईं गयी है जबकि प्रदेश के मुख्यमंत्री हरीश रावत भी इस सम्बन्ध में ट्वीट कर विदेश मंत्री सुषमा स्वराज को अवगत करवा चुके हैं.
लेकिन यह सत्य है कि गढवाल की इस बेटी गीता चंदोला पर हम सबको नाज है जो लगातार समाज सेवा में अपना तनमन धन लगा रही है. शायद यही कारण भी रहा होगा कि विगत दो दिन पूर्व देहरादून के प्रेस क्लब में उत्तराखंड एकता मंच दिल्ली की प्रेस कांफ्रेस में गीता चंदोला को उनकी इस तरह की समाज सेवा के लिए याद किया गया. गीता आप यूँही समाज के लिए जीती हो ये समाज आपका हमेशा कर्जदार रहेगा यह मैं आपको विश्वास दिलाता हूँ क्योंकि जो सेवाएँ आपकी असहाय निर्बलों के लिए हैं वह जरुर आपको फल्वित करेंगी.
तीन साल बाद भी बौंसाल पुल का वही हाल ! पूर्व मुख्यमंत्री के निर्देशों की फाइल जाने कहाँ गुम हुई!
विगत बर्ष फिर से गीता ने अपनी जन्मभूमि पौड़ी गढ़वाल के विकास खंड कल्जीखाल को जोड़ने वाले बौंसाल पुल का मुद्दा गर्म कर दिया ! उनका कहना था कि तीन साल पहले वह पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत से इस पुल की मरम्मत की फाइल स्वीकृत करवाकर दुबई लौटी थी लेकिन अब जब तीन साल बाद लौटी हूँ तो इस पुल की हालत बद से बदत्तर हो गयी है! आखिर नौकरशाह क्यों सालों तक जन सुविधाओं के मामलों को लटकाकर आम जनता की जिन्दगी से खिलवाड़ करते हैं ! क्या इन्हें इस बात का इन्तजार है कि कोई अप्रिय घटना घटे और तब ये अपनी कार्यवाही करें! उन्होंने मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से मिलकर इस मामले में शीघ्र ही कार्यवाही करने का अनुरोध किया है!
बहरहाल देहरादून लौटने पर विगत दिनों 108 सेवा के 1707 कर्मियों की नौकरी चले जाने की पीड़ा का मुद्दा लेकर वरिष्ठ पत्रकार विजेंद्र रावत के साथ वह मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के दरवार पहुंची हैं जहाँ उन्हें उम्मीद है कि इन बेरोजगार हुए कर्मियों को प्रदेश की ईमानदार छवि वाले मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत पुनः रोजगार पर रखेंगे!