(मनोज इष्टवाल)
मौका भी था और दस्तूर भी…! क्योंकि बर्षों बाद गांव व पहाड़ की आवोहवा में पहुंचे योगी आदित्यनाथ भला पहाड़ में आकर अपने कोदा-झंगोरा की यादें कैसे बिसरा देते। सचमुच जब उन्होंने बेबाकी से मंच से ये यादें साझा की तो लगा जैसे कुम्भ हरिद्वार 1998 का वह भोजन उनके गुरु को न परोसा गया हो बल्कि स्वयं उन्होंने उसे छका हो।
विगत 4 मई 2022 को जब उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अपने पैतृक गांव विकास खंड यमकेश्वर के पंचुर गांव पौड़ी गढ़वाल आये थे तब उनके द्वारा प्रदेश के पर्यटन संस्कृति लोकनिर्माण सहित लगभग 10 विभागों के मंत्री सतपाल महाराज द्वारा 1998 के कुम्भ के दौरान उनके गुरु महंत अवैद्यनाथ को बाड़ी व फाणा खिलाने की यादें साझा कर जो यादें उड़ेली वह उनके चेहरे पर दिखाई दी। आप भी सुनिए क्या कहा योगी आदित्यनाथ ने:-
ज्ञात हो कि 1993 में गणित में एमएससी की पढ़ाई के दौरान गुरु गोरखनाथ पर शोध करने ये गोरखपुर आए एवं गोरखपुर में अपने चाचा महंत अवैद्यनाथ के शरण में ही चले गए और दीक्षा ले ली। 1994 में ये पूर्ण संन्यासी बन गए, जिसके बाद इनका नाम अजय सिंह बिष्ट से योगी आदित्यनाथ हो गया।