वाह बृज भूषण दुबे…! वाराणसी से आकर न सिर्फ शासन प्रशासन को, बल्कि पत्रकारिता को भी दिखा दिये आईना।
(मनोज इष्टवाल)
भले ही कर्णप्रयाग के इस कूड़े पर “हिमालयन डिस्कवर” में हम भी खबर चला चुके हैं लेकिन जिस हिसाब से एक ब्लॉगर, स्वतंत्र पत्रकार ने पूरे शासन प्रशासन की कारगुजारियों की कलई खोलते हुए इस बिषय को एनजीटी, पावन पवित्र नदियों से प्रधानमंत्री मोदी के स्वच्छता मिशन से जोड़कर अपने न्यूज़ पोर्टल में बेहद पीड़ा के साथ उठाया उसकी सिर्फ प्रशंसा ही होनी चाहिए अपितु इसे हम सभी को पत्रकारिता के आईने के रूप में देखना चाहिए।
यू ट्यूबर व ब्लॉगर के रूप में जिस शैली में बृज भूषण दुबे अपनी बात रखते हैं उसे उनके लाखों फ़ॉलोवर्स सुनना बेहद पसंद करते हैं क्योंकि वे जहां भी जब भी मौका मिलता है जन मुद्दों की वकालत करते दिखते हैं।
चमोली गढ़वाल का कर्ण प्रयाग शहर वह स्थान है जहां पिंडर अलकनंदा में मिलती है इसी संगम के पास दानवीर कर्ण ने घनघोर तपस्या की थी, ऐसा माना जाता है।
विगत दो दिन पूर्व चार धाम यात्रा पर कर्णप्रयाग पहुंचने से पूर्व ही वाराणसी के इस स्वतंत्र पत्रकार को कर्णप्रयाग से बमुश्किल 2 किमी पहले स्ट्रेचिंग ग्राउंड यानि शहर के कूड़े का डंपिंग यार्ड दिखाई दिया जिसमें अथाह बदबू आ रही थी। वाराणसी जैसे गंगा तट के दुबे जी ने देखा कि पूरा शहर का कचरा डंपिंग यार्ड से नीचे नदी में पसर रहा है तो उनसे रहा नहीं गया। लगे डीएम चमोली को फोन लगाने। सिर्फ जिलाधिकारी चमोली ही नहीं बल्कि विधाम सभा चमोली के विधायक नौटियाल को भी वहीं से खड़े खड़े फोन लगाए। आप भी सुनिए शासन व सरकार का जबाब…बृज भूषण दुबे के वार्तालाप के साथ:-
इस समूचे प्रकरण पर हमारी जन चेतना क्या बोलती है और क्या नहीं बोलती। बात यहीं समाप्त नहीं हो जाया करती। यह प्रकरण जो पहले सिर्फ राज्य सरकार की पहुँच में था आज दुबे जी ने इसे राष्ट्रीय बना दिया है। मुझे लगता है इस प्रकरण पर दुबे जी सिर्फ रिपोर्टिंग करके चैन से नहीं बैठने वाले..! वे सच्चे हिमालय हितैषी हैं। वे इसे आगे तक लेकर जरूर जाएंगे। मैं तो यही कहूंगा कि वाह बृज भूषण दुबे…आपने तो सबको बनारसी पान चबुवा दिया। “रंग में भंग मिला है चकाचक फिर ले पान चबाए, ऐसा झटका लगे जिया पर पुनर्जन्म हो जाय।