Tuesday, July 15, 2025
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क्या गुल खिलाएगी वन मंत्री डॉ हरक सिंह रावत से मिले पूर्व प्रमुख वन संरक्षक राजीव भरतरी की मुलाकात? डीएफओ दीपक कुमार व किशन चन्द पर दोहरे मापदंड क्यों।।

देहरादून (हि. डिस्कवर)।

पूर्व प्रमुख वन संरक्षक (हॉफ) राजीव भरतरी ने आज वन मंत्री डॉ हरक सिंह रावत से मुलाकात की। इस मुलाकात में दोनों के बीच कई मुद्दों पर बातचीत हुई। वहीं एक ओर डीएफओ लैंसडौन दीपक कुमार को नदियों में अवैध खनन पर वन मंत्री ने ऑफिस सम्बन्ध करवा दिया है जबकि दो बार स्थानान्तरण के बावजूद भी डीएफओ किशन चन्द को कालागढ़ रेंज से टस से मस नहीं किया जा सकता है जबकि उनके स्थान पर डीएफओ आर्या वन विभाग कार्यालय में जॉइनिंग भी दे चुके हैं।

लैंसडौन वन प्रभाग के अंतर्गत पड़ने वाले वन क्षेत्रों के बड़े अधिकारियों पर आए दिन नए फैसले जहां आम जन के मध्य कौतूहल का विषय बने हैं वहीं इसे विभागीय मूंछो की लड़ाई भी माना जा रहा है।

ज्ञात हो कि डीएफओ किशन चन्द को उनके क्षेत्र से पूर्व में कार्यमुक्ति के आदेश पूर्व प्रमुख वन संरक्षक (हॉफ) राजीव भरतरी भी कर चुके हैं व मुख्यमंत्री कार्यालय भी स्थानांतरण आदेश जारी कर चुका है। सूत्रों का मानना है कि पूर्व प्रमुख वन संरक्षक (हॉफ) राजीव भरतरी का स्थान लेने आये विनोद कुमार सिंघल ने भी आते ही किशन चन्द को रिलीव करने के आदेश जारी किए हैं लेकिन मजाल क्या कि कोई उनका बाल भी उखाड़ सके।

वहीं दूसरी ओर आज सुबह वन मंत्री डॉ हरक सिंह रावत से बंद कमरे में करीब 1 घण्टे से अधिक समय तक मुलाकात हुई । वन मंत्री व पूर्व प्रमुख वन संरक्षक (हॉफ) राजीव भरतरी की मुलाकात के बाद कयास लगाए जा रहे हैं कि उन्होंने अपने ऊपर लगे आरोपों पर वन मंत्री को सफाई दी। इसके साथ ही पूरे मामले से अवगत भी कराया। मुलाकात के बाद चर्चाएं गर्म है कि उनकी हॉफ के पद पर दुबारा वापसी हो सकती है। हालांकि इस पूरे मामले पर वन मंत्री व पूर्व हाफ दोनों ने ही कुछ भी कहने से मना कर दिया व इसे सामान्य मुलाकात करार दिया।

राजीव भरतरी पर क्या था मामला।

मामले के अनुसार दिल्ली हाइकोर्ट के अधिवक्ता गौरब कुमार बंसल ने दिल्ली हाइकोर्ट में याचिका दायर कर कहा था कि कोर्बेट नेशनल पार्क के मोरघट्टी व पोखरो फारेस्ट रेस्ट हाउस (एफआरएच) के आस पास अवैध निर्माण कार्य किए जा रहे है। जिन्हें हटाया जाए। निर्माण कार्य बंद करने से बाघों व अन्य जंगली जानवरों को बचाया जा सके। इस मामले में दिल्ली हाईकोर्ट ने एनटीसीए को निर्देश दिए थे कि वे याचिकर्ता के प्रत्यावेदन को निस्तारित करें। एनटीसीए ने कोर्ट के आदेश का पालन करते हुए अवैध निर्माणों कार्यो को जांच हेतु एक कमेटी गठित की। कमेटी ने किया था दौरा
बीते 24 अक्टूबर 2021 को इस कमेटी ने कोर्बेट पार्क का दौरा किया। कमेटी ने जाँच में पाया कि नेशनल पार्क के मोरघट्टी व एफराएच परिसर के कई क्षेत्रों में अवैध निर्माण कार्य चल रहे है जिनमें होटल, भवन,पुल व रोड आदि शामिल है। कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में चीफ वाइल्ड लाईफ वॉर्डन को निर्देश दिए कि इन क्षेत्रों से शीघ्र अवैध निर्माणों को हटाया जाए। जिन अधिकारियों की अनुमति से ये निर्माण कार्य किये गए है उनके खिलाफ कार्यवाही की जाय। कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में इस बात का उल्लेख भी किया है कि वन विभाग के अधिकारियो ने वाइल्ड लाइफ प्रोटेक्शन एक्ट 1972 ,इंडियन फारेस्ट एक्ट 1927 व फारेस्ट कंजर्वेशन एक्ट 1980 का उल्लंघन किया गया है।

एनटीसीए ने कहा था जांच को, हाईकोर्ट ने लिया था स्वतः संज्ञान।
एनटीसीए ने अपनी रिपोर्ट में इस बात का उल्लेख भी किया है कि उन्होंने इससे 12 अगस्त 2021 को चीफ वाइल्ड लाइफ वॉर्डन को पत्र भेजकर कहा था कि इस मामले की जाँच करें, परन्तु उनके इस पत्र पर कोई कार्यवाही नही हुई। कोई कार्यवाही नही होने पर एनटीसीए ने जाँच हेतु 24 अक्टूबर 2021 को एक कमेटी यहाँ भेजी। कोर्ट ने पेपर में छपी खबर का स्वतः सज्ञान लेकर केंद्र सरकार, मुख्य सचिव उत्तराखंड वन एवं पर्यावरण मंत्रालय भारत सरकार, उत्तराखंड वाइल्ड लाइफ एडवाजरी बोर्ड,पीसीसीएफ, वाइल्ड लाइफ वॉर्डन और सम्बन्धित क्षेत्र के डीएफओ को पक्षकार बनाया है।

आपको बता दें कि कालागढ़ टाइगर रिजर्व वन प्रभाग में पाखरो में निर्माणाधीन टाइगर सफारी के लिए अनुमति से अधिक पेड़ कटान और पाखरो से कालागढ़ वन विश्राम गृह तक अवैध निर्माण का मामला सुर्खियों में रहा था। राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) की टीम ने स्थलीय निरीक्षण में शिकायतों को सही पाते हुए जिम्मेदार अधिकारियों के विरुद्ध कार्रवाई की संस्तुति की। यह मामला अदालत में भी विचाराधीन है। मुख्यमंत्री धामी ने इस प्रकरण में सख्त रुख अपनाते हुए प्रारंभिक जांच के आधार पर संबंधित अधिकारियों को पद से हटाने के निर्देश दिए थे। जिसके बाद विभाग के मुखिया प्रमुख वन संरक्षक (हाफ) राजीव भरतरी (हेड ऑफ फॉरेस्ट) को हटा दिया था। राजीव भरतरी को उत्तराखंड जैव विविधता बोर्ड की जिम्मेदारी सौंपी गई है। वहीं भरतरी की जगह जैव विविधता बोर्ड के अध्यक्ष का दायित्व देख रहे विनोद कुमार सिंघल को वन संरक्षक वन्यजीव के साथ ही विभाग प्रमुख (हाफ) का अतिरिक्त प्रभार दिया गया था।

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