क्या ऋतु खण्डूरी भर पाएंगी मालन नदी के घाव…या फिर 2022 की बरसात बहा ले जाएगी मालन नदी के पुल।
(मनोज इष्टवाल)
घर का भेदी लंका ढाये… ये कहावत जिस किसी ने भी शुरू में प्रचलन में लाई होगी बहुत सोच समझकर व अनुभव लेने के बाद कही होगी। क्योंकि आज कोटद्वार की पॉलिटिक्स हो या फिर प्रदेश की पॉलिटिक्स… हर जगह के बिल्कुल ऐसे ही घाव हैं जैसे मालन नदी की छाती में बड़ी-बड़ी खनन मशीनों ने दे रखें है व जिन्होंने मालन नदी पर भावर को जोड़ने वाले पुल की चूल्हें हिला रखी हैं।
अब चुनावी समर की बात करें तो निर्वाचन आयोग ने जो सिम्बल कोटद्वार के प्रत्याक्षियों को बांटे है वे सभी गृहस्थ जीवन से जुड़े अहम किरदार हैं जैसे भाजपा का चुनाव चिह्न कमल (पार्टी उम्मीदवार ऋतु खण्डूरी), कांग्रेस का हाथ (उम्मीदवार सुरेंद्र सिंह नेगी), उत्तराखंड क्रांति दल का कुर्सी (मुकेश रावत) आम आदमी पार्टी का झाड़ू (अरविंद कुमार वर्मा) इसके अलावा निर्दलीयों में धीरेंद्र चौहान गैस सिलेंडर, रोहित डंडरियाल बिजली का खम्बा, सुनील बहुखंडी एयर कंडीशनर, सतीश चंद्र की चारपाई, ममता चौधरी की बांसुरी, आकाश नेगी का ऑटो इत्यादि। एक गृहस्थ जीवन के चार अहम पहलू तो छूट ही गए जिनमे स्कूल, नल, खाद्यान, हॉस्पिटल हैं। काश…कि चार उम्मीदवार और खड़े हो जाते तो इसकी भी क्षतिपूर्ति हो जाती।
बहरहाल चार नामों की चर्चा पूरे कोटद्वार में है भाजपा की ऋतु खण्डूरी, कांग्रेस के सुरेंद्र सिंह नेगी, निर्दलीय धीरेन्द्र सिंह चौहान व सुनील बहुखंडी…! कोटद्वार की जनता का मिजाज समझ पाना बेहद कठिन है क्योंकि जो प्रथम दौर में पिछड़ता दिखाई देता है वह यहां से चुनाव जीत जाता है। अब चाहे वह मेयर का चुनाव हो या विधायक का..! हर एक के यही नतीजे यहां चौंकाने वाले होते हैं। अब कल तक जिन धीरेंद्र चौहान को पूर्व मुख्यमंत्री मेजर जनरल खण्डूरी का करीबी समझा जाता था आज वही भाजपा से टिकट न मिलने के बाद बागी होकर निर्दलीय चुनावी मैदान में उतर चुके हैं व मेजर जनरल खण्डूरी की पूर्व विधायक बेटी को ही नुकसान पहुंचा रहे हैं।
कोटद्वार विधान सभा का मिजाज समझने में प्रथम दृष्टा तो यही लग रहा है कि जो दोनों निर्दलीय उम्मीदवार मैदान में हैं वे भाजपा को ही नुकसान पहुंचा रहे हैं। यहां एक और बात दिख रही है कि भाजपा से लोग उसी तरह नाराज हैं जैसे पारिवारिक झगड़े में कोई नाराज हो जाया करता है। यहां पूर्व विधायक व मंत्री डॉ हरक सिंह रावत द्वारा अपने कार्यकाल में जितनी मनमर्जी चलाई गई उसके घाव अभी भी लोगों के दिलो-दिमाग पर ताजे हैं। भाबर क्षेत्र की बात करें तो वहां के लोगों का मानना है कि डॉ हरक सिंह रावत ने पर्यटन विभाग के करोड़ों के प्रोजेक्ट को बढ़ाने की जगह रुकवाने के प्रयास किये हैं। वहीं एक सेवानिवृत कर्नल पर आरोप लगाते हुए लोगों का कहना है कि पर्यटन विभाग जब कण्वाश्रम के विकास की करोडों की योजनाओं को क्रियान्वित कर रहा था वह सज्जन किसी राजनेता के बहकावे में सीधे कोर्ट पहुंच गए व वहां एनजीटी का हवाला देकर उन योजनाओं पर रोक लगवा देते हैं। लेकिन इन्हीं कर्नल को मालन नदी में हुए अवैध खनन बडी-बड़ी दैत्याकार मशीनें नहीं दिखाई दी जिन्होंने पूरी नदी के अस्तित्व को सैकड़ों घाव दिये जो आज भी अपनी तस्वीर बयां कर रहे हैं।
लोगों की नाराजगी ऋतु खण्डूरी से नहीं बल्कि सरकार की उस कार्यप्रणाली से ज्यादा दिखाई देती है जिसमें विकास के कार्यों के लिए करोड़ों की धनराशि की योजनाएं धरातल पर नहीं उतरी और बिनाश के डोजर ट्रक रात दिन सूखरो-मालन नदियों का सीना चीरती रही।
भाबर क्षेत्र की इन दो नदियों पर बने पुलों की बुनियादों तक जिस तरह अवैध खनन ने चुगान किया है उससे सवालिया निशान सिर्फ भाजपा पर ही नहीं मुख्य विपक्षी पार्टी पर भी जन मानस उठा रहा है कि जब यह नीति-नियम विरोधी कार्य हो रहे थे तब इन जनप्रतिनिधियों ने आंखें क्यों मूंदी हुई थी। क्या ये जनप्रतिनिधि भी 2022 की बरसात का इन्तजार कर रहे हैं ताकि जैसे पिछली बरसात में उत्तराखंड की राजधानी क्षेत्र रानीपोखरी का पुल सहित दो व पूरे उत्तराखंड में 32 छोटे बड़े पुल भ्रष्टाचार की भेंट चढ़े, जिनमें ज्यादात्तर अवैध खनन के कारण धाराशाही हुए। वही 27 पुलों की हालत जर्जर है।
अवैध खनन के चलते सूखरो व मालन नदी के पुलों की बुनियाद के नीचे तक चुगान इस बात का प्रतीक है कि इस क्षेत्र में राजनेताओं के कारिंदों की हनक के सामने सरकारी मशीनरी बुरी तरह फैल रही। वरना फारेस्ट क्षेत्र की नदियों में ऐसा अनियंत्रित खनन व चुगान की अनुमति एनजीटी कभी नहीं देता। और तो और खनन मानकों में पुल से 200 मीटर दूरी तक चुगान नहीं होता लेकिन यहां इस नियम की खुली धज्जियां उड़ाई गयी हैं।
कोटद्वार विधान सभा के जनमानस को भाजपा में ऐन समय पर प्रत्याक्षी बदलने का गुस्सा तो है ही, साथ ही गुस्सा इस बात का भी है कि हमारा विधायक चुनने में आखिर इतनी देरी क्यों…! लोग जहां यह कहते सुनाई दिये कि ऋतु खण्डूरी को यमकेश्वर से कोटद्वार लाने के पीछे आम जनमानस के साथ उनके व्यवहारिक सम्बन्ध सही न होना व आम जनमानस से दूरियां तथा तुनकमिजाजी है वहीं दूसरे पक्ष का यह भी मानना है कि जिस बेटी ने मायके से ही अपने आगे पीछे दाएं बाएं नौकरों की फौज देखी हो, जिसका पति भारत सरकार के स्वास्थ्य महकमें में मुख्य सचिव स्वास्थ्य हों तो भला उन्हें जनता के करीब आने का अवसर ही कहाँ मिला होगा लेकिन यमकेश्वर क्षेत्र से ऋतु खण्डूरी ऐसी पहली विधायक हैं जिन्होंने अपनी विधान सभा क्षेत्र में सबसे ज्यादा योजनाएं अपने पहले ही कार्यकाल में दी हैं व अरबों की योजना देने के बावजूद भी उन पर भ्रष्टाचार का एक भी आरोप नहीं है। और तो और उनकी कार्यप्रणाली शैली को देखते ही विश्व की सबसे बड़ी पार्टी भाजपा ने उन्हें सभी महिला विधायकों के ऊपर तवज्जो देकर उन्हें पार्टी में महिला प्रदेश अध्यक्ष बनाया है।
बहरहाल ऋतु खंडूरी से जनता यह भी उम्मीद कर रही हैं कि अगर वह चुनाव जीतती हैं तो यह तय है कि वह अपने पिता पूर्व मुख्यमंत्री मेजर जनरल (अ. प्रा.) भुवन चंद खंडूरी से राजनीतिक विरासत में मिली राजनीतिक स्वच्छ छवि, विकास योजनाओं का दृष्टिकोण व सड़कों का विकास यहां दिखने को मिलेगा। आमजन की राय में ऋतु खंडूरी जनरल खंडूरी के जमाने में बने सूखरो व मालन नदी पर बने पुलों व नदी के खनन पर भी नजर रखे हुए है। उम्मीद है मालन नदी के घाव भरने में ऋतु खंडूरी के आगे आये विधान सभा तक पहुंचने की राह के रोड़े जल्दी ही मिटते नजर आएंगे।