देहरादून/बैंगलुरु (हि. डिस्कवर)
यह बेहद अजब गजब खबर हुई। आरुषि जोशी देहरादून से वापस अपने जॉब पर बैंगलुरू पहुंचती है। केम्पेगौड़ा अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे में कोरोना संक्रमण के चलते सभी पैसेंजर्स की सुरक्षा जांच के बाद एयरपोर्ट प्रशासन द्वारा एक खूबसूरत से मुहर उनकेे हाथ में चस्पा कर दी जाती है, जिसका कुछ दिनों बाद ये परिणाम मिलता है कि आरुषि जोशी अपनी सोशल साइट पर ट्वीट करके लिखती हैं #thankyou #bangaloreairport सरकार ने हमें मुहर लगाई ताकि हम संगरोध (क्वारनटाइन) के दौरान पूरा आराम करें।
आरुषि जोशी ने बताया कि वह 23 जुलाई को indigo airline se देहरादून से बंगलुरु गयी । वहाँ पहुँचने के बाद airport पर health डिपार्टमेंट एवं स्थानीय प्रसाशन की टीम द्वारा ज़रूरी फ़ॉर्मैलिटी के लिए हाथ पर मोहर लगाई गई। लेकिन वो जरूरत से ज्यादा शायद गाढ़ी थी ।उसने जब अगले दिन सुबह देखा तो वहाँ स्किन जल गई थी और उसमें फफोले पड़ चुके थे। ये एक तरह से केमिकल बर्न हो चुका था। आरुषि ने बताया कि अब एक भद्दा सा निशान हमेशा उस के हाथ पर पड़ जाएगा । जो कि बहुत ही मानसिक वेदना का कारण बन जाएगा । आरुषि कहती हैं कि क्या वहाँ पर उन कर्मचारियों को यह नही देखना चाहिए कि उस केमिकल को कितने कॉन्सेंट्रेशन में लगाया जाना है । क्या कोई उच्चधिकारी इस बात का संज्ञान लेगा। ताकि दुबारा किसी औऱ के साथ ये न हो।
आरुषि जोशी लिखती हैं कि मैं यह सब पोस्ट नहीं करना चाहती थी लेकिन अब मजबूरी से हो गयी क्योंकि इस मुहर ने न सिर्फ मेरे अपितु मेरे जैसे कई अन्य को त्वचा रोग दे दिया। वह कहती हैं यह ऊपर वाले का शुक्र है कि मेरे हाथ पर छोटी मुहर लगी थी, 14 दिन की संगरोध (क्वारनटाइन) के दौरान जिन अन्य के हाथ पर यह मुहर बड़ी चस्पा हुई है उनके तो इससे भी बुरे हाल हैं।
उन्होंने कहा कि सुरक्षा की दृष्टि से लगाई गई इस मुहर में मिले रासायनिक पदार्थ से न केवल हाथ की त्वचा जली बल्कि उस में हमेशा के लिए जलने का निशान भी बन गया। उन्होंने बताया कि आरम्भिक दौर में यह स्याही जलन देती है, फिर त्वचा के छिलके उतार रही है फिर उसमें छोटे-छोटे फोड़े उत्पन्न हो रहे हैं व बाद में उसमें मवाद बन रहा है।
आरुषि जोशी ने बहुत तरीके से एयरपोर्ट प्रशासन पर तंज कसते हुए लिखा है कि इस भयावक या दयनीय रसायन की मिलावट का स्टैम्पिंग प्रोटोकॉल का सबको पालन करना पड़ रहा है, क्योंकि यह वर्तमान में महत्वपूर्ण भी है लेकिन इस रसायन के नुकसान झेलने वालों के लिए यह असहनीय है।
आरुषि जोशी ने बहुत सलीके के साथ अपनों शब्दों में एयरपोर्ट अथॉरिटी से एक तरीके से गुजारिश की है कि इस रसायन की बनी स्याही का पूर्व में परीक्षण किया जाना आवश्यक है।