Saturday, August 23, 2025
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जिनके बलिदान से हम स्वतंत्र, आज उन्हें नमन का दिन है- मुख्य सचिव।

देहरादून (हि. डिस्कवर)

मुख्य सचिव ओमप्रकाश ने आज शनिवार को स्वतंत्रता दिवस के 73वें वर्षगांठ के अवसर पर सचिवालय में ध्वजारोहण किया। मुख्य सचिव ओमप्रकाश ने उत्तराखण्ड वासियों एवं उपस्थित कर्मियां को स्वतंत्रता दिवस की बधाई एवं शुभकामनाएं दीं। मुख्य सचिव ने कहा कि आज के दिन हम उन पुण्य आत्माओं को याद करते हैं, जिनके बलिदान से हम स्वतंत्र हुए हैं, और हमें उन्हें नमन करने का यह अवसर प्राप्त हुआ है।

ओमप्रकाश ने कहा कि शहीदां के बलिदान एवं हमारे पूर्वजों के अथक प्रयासों से ही हमें स्वतंत्रता मिली है। मुख्य सचिव ने कहा कि सन 1947 के बाद देश ने चार बड़े बाहरी युद्ध लड़े हैं, तथा आंतकवाद का सामना किया है, जिसमें हमारे कई सैनिक शहीद हुए हैं। उन्होंने कहा कि हाल ही में हमारे कुछ सैनिक निहत्थे दुश्मनों से लड़ते हुए हमारी सुरक्षा हेतु शहीद हुए है। उन्होंने शहीद जवानों को नमन किया।

मुख्य सचिव ने कहा कि राज्य के विकास के साथ-साथ लोगां में समरसता कायम करने में भी हमारा सहयोग होता है। उन्होंने कहा कि राष्ट्र के प्रति समर्पित भाव से काम करने की आवश्यकता है। मुख्य सचिव ने कहा कि वर्तमान में हम दो संक्रमणों से गुजर रहे हैं। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत के नेतृत्व में स्वास्थ्य, पुलिस एवं सफाईकर्मियों आदि की सहायता से कोरोना महामारी को हम छः माह में नियंत्रित करने में काफी सफल हुए है। उन्होंने कोरोना से लड़ने में योगदान देने वाले समस्त वारियर्स का आभार प्रकट किया। उन्होंने लॉकडाउन से परेशान लोगों का भी आभार प्रकट किया। उनका कहना था कि लॉकडाउन करना तत्कालिक आवश्यकता थी। मुख्य सचिव ने कहा कि कोरोना के कारण सकल घरेलू उत्पाद में भी कमी आई है तथा बेरोजगारी बढ़ी है। कोरोना के कारण राज्य में रिवर्स पलायन हुआ है। उत्तराखण्ड के संदर्भ में यह विशेष रूप से महत्वपूर्ण है कि लगभग 10 लाख उत्तराखण्डवासी अन्य स्थानों से यहां आए है। उन्हें आजीविका देनी की हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है। उन्होंने प्रदेश की अर्थव्यवस्था के प्राथमिक क्षेत्र कृषि में ज्यादा ध्यान देनी की आवश्कता देने पर बल देते हुए कहा कि हमें किसानों को बिचोलियों के शोषण से शत प्रतिशत मुक्त करना हैं।

ओमप्रकाश ने कहा कि प्रदेश में कृषि की उन्नति से देश के विकास में योगदान होगा। उन्होंने कहा कि हमारे सहक्रियात्मक विकास के प्रयास से प्रदेश एवं देश का समन्वित विकास होगा। पर्वतीय जनपद में समेकित परियोजना फॉरमूलेशन की अवधारणा से कार्य करने की आवश्यकता है। उन्होंने रूद्रप्रयाग तथा अल्मोड़ा के जिलाधिकारियों के प्रयासों की सराहना करते हुए अन्य अधिकारियों से उनका अनुश्रवण करने की अपेक्षा की। उन्होंने कहा कि कृषि के साथ-साथ उससे सम्बद्ध कुटीर एवं सूक्ष्म उद्योग प्रोत्साहन की आवश्यकता है। इससे ग्रामीणों की आर्थिकी में सुधार होगा।

उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना में शासन तथा जनपद स्तर पर बाहर से आए बेरोजगार लोगों को स्थापित करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि स्किल डेवलपमेंट की भी ग्रामीण क्षेत्र में उपयोग की आवश्यकता हैं। उनका कहना है कि यह एक सीमान्त राज्य है। यहां सीमान्त क्षेत्र में अवस्थापना विकास कार्य में और तेजी लाने की अपील की। उन्होंने कहा कि वर्तमान में चारधाम, पेयजल, रेलवे लाइन, निर्माण परियोजना में जो कठिनाईयां आ रही है उनको व्यक्तिगत प्रयास से भी हल करने की भी आवश्यकता है। उन्होंने भूतपूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के ‘जय जवान, जय किसान’ के नारे को प्रासंगिक बताते हुए सभी अधिकारियों एवं कर्मियों से आत्मप्रेरणा, स्वप्रेरणा से कार्य करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि टीम भावना से कार्य करेंगे तो लक्ष्य हासिल हो जाएगा और आत्मप्रेरणा एवं स्वप्रेरणा से नए-नए आयाम खुलेंगे। उन्होंने महाकवि जयशंकर प्रसाद की पंक्तियों ‘‘ हिमाद्री तुंग शृंग से प्रबुद्ध शुद्ध भारती, स्वयं प्रभा समुज्जवला स्वतंत्रता पुकारती, अमर्त्य वीर पुत्र हो, दृढ़ प्रतिज्ञ सोच लो, प्रशस्त पुण्य पंथ है, बढ़े चलो, बढ़े चलो, असंख्य कीर्ति-रशिमयाँ विकीर्ण दिव्य दाह-सी, सपूत मातृभूमि के-रूको न शूर साहसी, अराति सैन्य सिंधु में, सुवाडवाग्नि से जलो, प्रवीर हो जयी बनो-बढ़े चाले, बढ़े चलो’’ का उल्लेख करते हुए समस्त कर्मियों से इसका अनुश्रवण करने का आह्वान किया।

समारोह में अपर मुख्य सचिव श्रीमती राधा रतूड़ी एवं श्रीमती मनीषा पंवार, प्रमुख सचिव आनन्द वर्द्धन, सचिव न्याय प्रेम सिंह खिमाल, सचिव अमित सिंह नेगी, आर. मीनाक्षी सुन्दरम, शैलेश बगोली, आर.के.सुधांशु, नितेश कुमार झा, हरबंस सिंह चुघ, डी. सेन्थिल पाण्डियन, एल.फैनई, प्रभारी सचिव डॉ पंकज पाण्डेय, विनोद रतूड़ी, सहित समस्त सचिव, अपर सचिव एवं अन्य अधिकारी उपस्थित थे।

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