Thursday, November 21, 2024
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दशोली की नंदा डोली जातरा के बेहद भावुक पल

* बालपाटा में मां नंदा को कैलाश विदा करते समय भावुक हो जातें हैं श्रद्धालु, बहती हैं आंखों से अवरिल अश्रुओं की धारा..।

ग्राउंड जीरो से संजय चौहान!

मां नंदा की वार्षिक लोकजात यात्रा नंदा के सिद्धपीठ कुरुड मंदिर से शुरू होती है। यहाँ से प्रस्थान कर राजराजेश्वरी बधाण की नंदा डोली बेदनी बुग्याल में, कुरुड बंड की नंदा की छ्न्तोली नरेला बुग्याल में और कुरुड दशोली की नंदा डोली बालपाटा बुग्याल में नंदा सप्तमी के दिन पूजा अर्चना कर, नंदा को समौण भेंट कर, कैलाश को विदा करतें हैं और लोकजात संपन्न होती है।

लोकजात में रामणी गांव में उमड़ता है आस्था का जन-सैलाब..

नंदा की वार्षिक लोकजात में कुरुड से चली नंदा दशोली की डोली, दशोली और नंदानगर के विभिन्न गांवों से होते हुए अपने अंतिम रात्रि विश्राम पड़ाव में रामनी गांव पहुंचता है, जहां नंदा के चौक पर नंदा दशोली की डोली और अन्य गांवों से लोकजात के लिए पहुंची देव डोली और रिंगाल की छतोली जब आप में एक दूसरे से मिलती हैं तो ऐसा लगता है कि साक्षात देवता धरती पर उतर आए हैं, लोकजात और 12 बरस में आयोजित होने वाली नंदा राजजात में रामणी गांव में सांस्कृतिक विरासत के दीदार होते हैं। रामणी गांव में अंतिम रात्रि विश्राम के बाद नंदा सप्तमी के दिन दशोली की डोली बालपाटा बुग्याल में पहुंचती है जहां पर पूजा अर्चना कर, नंदा को समौण भेंट कर, कैलाश को विदा करतें हैं और लोकजात संपन्न होती है। इस दौरान बालपाटा बुग्याल में मां नंदा के जयकारों की गूंज सुनाई देती है।

गौरतलब है कि सीमांत जनपद चमोली मे प्रत्येक वर्ष भादों के महीनें नंदा सप्तमी की यात्रा अर्थात नंदा की वार्षिक लोकजात आयोजित होती है। जनपद चमोली के 7 विकासखंडों के 800 से अधिक गांवों व अलकनंदा, बिरही, कल्प गंगा, नंदाकिनी, पिंडर घाटी की सीमा से लगे गांवों के लोग इस लोकोत्सव में शामिल होते हैं। नंदा की ये वार्षिक लोकजात 12 वर्ष में आयोजित होने वाली नंदा देवी राजजात से कई मायनों में बेहद बृहद और भब्य होती है। वार्षिक लोकजात यात्रा के दौरान गांवो से लेकर डांडी-कांठी माँ नंदा के जागरों से गुंजयमान हो जाती है।

ये है कुरुड दशोली की नंदा डोली का कार्यक्रम:-
कुरुड दशोली की नंदा डोली 23 अगस्त से शुरू होगी और 10 सितंबर को बालपाटा बुग्याल में संपन्न होगी।
23 अगस्त कुरूड़ से कुण्डबगड़
24 अगस्त कुण्डबगड़ से कुमजुग
25 अगस्त कुमजुग से फरखेत
26 अगस्त फरखेत से जाखणी
27 अगस्त जाखणी से कांडा मल्ला
28 अगस्त कांडा मल्ला से लामसौड़ा
29 अगस्त–लामसौडा से चरी
30 अगस्त – चरी से कांडई
31 अगस्त कांडई से मोठा
1 सितंबर मोठा से सेमा
2 सितंबर सेमा से बैरासकुंड
3 सितंबर बैरासकुंड से इतमोली
4 सितंबर इतमोली से मटई मल्ला
5 सितंबर मटई मल्ला से पगना
6 सितंबर पगना से लुंतरा
7 लुंतरा से स्यालपाती कार्यक्रम लुंतरा
8 लुंतरा से सुंग
9 सुंग से रामणी
10 सितंबर रामणी से बालपाटा बुग्याल में नंदा सप्तमी के दिन माँ नंदा की पूजा अर्चना कर हिमालय को विदा कर वापस रामणी गांव लौट आती है।
11 सितंबर रामणी से वापस सिद्धपीठ कुरुड

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35 बर्षों से पत्रकारिता के प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक व सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर सामाजिक, आर्थिक, राजनैतिक, धार्मिक, पर्यटन, धर्म-संस्कृति सहित तमाम उन मुद्दों को बेबाकी से उठाना जो विश्व भर में लोक समाज, लोक संस्कृति व आम जनमानस के लिए लाभप्रद हो व हर उस सकारात्मक पहलु की बात करना जो सर्व जन सुखाय: सर्व जन हिताय हो.
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