Wednesday, March 12, 2025
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उत्तराखंड का सरकारी प्राइमरी अध्यापक जिसने रच डाला एक नया इतिहास..अपने स्कूल को जोड़ा आधुनिक सूचना और संचार प्रौद्योगिकी से..!

उत्तराखंड का सरकारी प्राइमरी अध्यापक जिसने रच डाला एक नया इतिहास..अपने स्कूल को जोड़ा आधुनिक सूचना और संचार प्रौद्योगिकी से..!

(मनोज इष्टवाल 09/09/2015)

इसे कहते हैं हौसलों की उड़ान..हम कल्पना भी नहीं कर सकते कि जो सरकारी स्कूल अभी पाटी पर घोटा लगवाने का काम करते हैं वहीँ के बच्चों की अंगुलियाँ लैपटॉप और डेस्कटॉप कंप्यूटर के की-बोर्ड पर थिरकती हैं। ऐसा ही कारनामा कर दिखाया पौड़ी गढ़वाल के विकासखंड कल्जीखाल के प्राथमिक विद्यालय के अध्यापक मनोधर नैनवाल ने।


नन्हे-नन्हे ग्रामीण बच्चों को शिक्षा देने हेतु आधुनिक सूचना और संचार प्रौद्योगिकी का प्रयोग किया जा रहा है। इसके अतिरिक्त इस विद्यालय के बच्चे पिछले तीन वर्षों से विभिन्न शिक्षणेत्तर क्रियाकलापों में निरंतर अग्रणी स्थान प्राप्त कर रहेे हैं। आज जबकि अन्य सरकारी विद्यालयों की स्थिति दिन प्रतिदिन दयनीय होती जा रही है, तो आखिर इस एक विद्यालय में इतना परिवर्तन कैसे आया?

दरअसल इस परिवर्तन का को लाने का श्रेय इस विद्यालय में कार्यरत सहायक शिक्षक मनोधर नैनवाल को जाता है जिन्होंने अपनी मेहनत और व्यक्तिगत प्रयासों से एक सरकारी विद्यालय को इंग्लिश मीडियम के प्राइवेट स्कूलों के समकक्ष लाकर खड़ा कर दिया और स्थानीय स्तर पर चल रहे प्राइवेट स्कूूलों को बन्द होने को मजबूर कर दिया।

इस अध्यापक ने दृढ़ संकल्प लिया कि चाहे कुछ हो जाए मैं जिस विभाग का वेतन भोगी हूँ उस विभाग को यह साबित करके दिखाऊंगा कि बुद्धिजीवी व हुनरमंद छात्र हर स्थान पर पैदा किये जा सकते हैं, उसके लिए महानगरों में भागने की आवश्यकता नहीं है।  मनोधर नैनवाल का कंम्प्यूटर और तकनीकी से प्रेम काफी पुराना है, वर्ष 1989 में बी एड करने के बाद उन्होंने बंबई जाकर कंम्प्यूटर कोर्स किया, गढ़वाल क्षेत्र में तब तक लोग कंम्प्यूटर के नाम से भी कम ही परिचित थे। इसके बावजूद एक गरीब प्राइमरी शिक्षक केे पुत्र ने पार्ट टाईम नौकरी कर किसी तरह कंम्यूटर मैनेजमेंट में डिप्लोमा हासिल किया, कुछ वर्षों तक कम्प्यूटर प्रोग्रामर एवं निजी व्यवसाय में कार्यरत रहने के पश्चात वर्ष 2005 में विशिष्ट बीटीसी कर शिक्षण के क्षेत्र में पदार्पण किया।  किन्तु तकनीकी के प्रति लगाव कम न हुआ और तय किया कि वे अपने शौक के साथ विद्यालय के बच्चों को भी लाभान्वित करेंगें। बस फिर क्या था, पहले कुछ वर्षों तो स्कूल के बच्चों को अपने कमरे पर बुलाकर निजी कंम्प्यूटर की सहायता से पढ़ाते रहे फिर ठान लिया कि स्कूल में ही कंम्प्यूटर सुविधा जुटायेंगे।

उन्होंने अपने खुद के वेतन से एक लैपटॉप और सार्वजनिक दान से एक प्रोजेक्टर और मल्टीमीडिया उपकरणों की व्यवस्था की। इस कार्य में श्री एसएस चौहान, प्रो. चौहान स्टोन क्रेशर सतपुली से रुपये 35000 की आर्थिक सहायता जुटाकर अपने स्कूल को सूचना और संचार प्रौद्योगिकी से युक्त किया। आईसीटी की सुविधा युक्त यह पहला ऐसा सरकारी स्कूल बन गया जो उत्तराखंड में किसी भी सरकारी सहायता के बिना मल्टीमीडिया कक्षाकक्ष संचालित करने वाला सरकारी प्राइमरी स्कूल है। यहाँ के अध्यापक मनोधर नैनवाल को उनके शैैक्षिक प्रोजेक्ट “उत्तराखंड के लोकगीत एवं लोकनृत्य “ के लिए “राष्ट्रीय आईसीटी अवार्ड 2014 ‘ से 5 सितंबर 2015 को शिक्षक दिवस पर राष्ट्रपति द्वारा सम्मानित किया गया। उनकी यह परियोजना शिक्षा और शिक्षा के माध्यम से लोक संस्कृति के संरक्षण एवं संवर्द्धन में सूूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी का उपयोग करने पर आधारित है।

यह उत्तराखंड के किसी भी प्राथमिक शिक्षक के लिए पहला आइ सी टी पुरस्कार है। देशभर से आये 68 में से केवल 9 शिक्षकों को वर्ष 2014 के इस पुरस्कार के लिए चुना गया है। उत्तराखंड केे दो शिक्षक श्री परमवीर सिंह कठैत, राजीव गांधी नवोदय विद्यालय देहरादून और मनोधर नैनवाल जीपीएस कल्जीखाल यह पुरष्कार हासिल कर सके हैं। जबकि अन्य बड़े- बड़े राज्य अपनी मौजूदगी भी दर्ज नहीं करा सके।

अध्यापक मनोधर नैनवाल के स्कूल को सरकार द्वारा कोई भी कम्प्यूटर उपलब्ध नहीं करवाया गया है फिर भी वे स्वयं व डोनेशन के माध्यम से कोष जुटाकर ऐसे क्षेत्र में आईसीटी प्रौद्योगिकी लागू करते आ रहे हैं जो महानगरों की चकाचौंध से कोसों दूर है। वर्ष 2013 से स्कूली बच्चों को उनकी शिक्षा के साथ-साथ पाठ्येत्तर गतिविधियों को भी बेहद अच्छे ढंग से संचालित करने वाले इस अध्यापक के छात्र पिछले 2-3 वर्षों से मल्टीमीडिया प्रौद्योगिकी का उपयोग कर रहे हैं। यही नहीं विगत तीन वर्षों में उनके विद्यालय नेे बाल मेलों, लोकनृत्य एवं प्रोजेक्ट कार्यों में अनेकों पुरष्कार जीते हैं| यह वास्तव में मनोधर नैनवाल की मेहनत का प्रतिफल है जिसके कारण कल्जीखाल विकासक्षेत्र को शिक्षा के क्षेत्र में पहली बार राष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिली है।

मनोधर नैनवाल द्वारा वि०क्षे० के समान विचारधारा वाले 10 शिक्षकों का एक समूह सृजन समूह गठित किया गया है जो विगत 7 वर्षों से क्षेत्र के प्राथमिक विद्यालयों में शैक्षिक स्तर में सुधार, तकनीकी के प्रयोग एवं नवाचारों को बढ़ावा देने में लगा है, इस समूह के प्रयासों से क्षेत्र के 8 बच्चों का नवोदय विद्यालयों में चयन हो पाया है| यह समूह, स्थानीय शिक्षकों की क्षमता संवर्द्धन हेतु अजीम प्रेमजी फाउंडेशन के साथ मिलकर कार्य कर रहा है, तथा छात्रों केे लिये व्यक्तित्व विकास के कार्यक्रम, बाल मेले, साँस्कृतिक कार्यशालायें एवं शैक्षिक भ्रमण जैसे कार्यक्रम भी बिना किसी सरकारी मदद के समय- समय पर आयोजित करता है, साथ ही क्षेत्रीय जनता से भी संवाद स्थापित करता है।

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35 बर्षों से पत्रकारिता के प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक व सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर सामाजिक, आर्थिक, राजनैतिक, धार्मिक, पर्यटन, धर्म-संस्कृति सहित तमाम उन मुद्दों को बेबाकी से उठाना जो विश्व भर में लोक समाज, लोक संस्कृति व आम जनमानस के लिए लाभप्रद हो व हर उस सकारात्मक पहलु की बात करना जो सर्व जन सुखाय: सर्व जन हिताय हो.
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