ऋषिकेश (हि. डिस्कवर)।
बीमारी के चलते पौड़ी गढ़वाल के वरिष्ठ भाजपा नेता व पूर्व केंद्रीय मंत्री मोहन सिंह रावत को उनकी श्रीमति मुन्नी देवी रावत आल इंडिया आयुर्विज्ञान संस्थान ऋषिकेश में इलाज के लिए लाई लेकिन माकूल इलाज न मिलने व एम्स के डॉक्टर्स व स्टाफ के अभद्र व्यवहार से खिन्न पूर्व कैबिनेट मंत्री मोहन सिंह रावत गांववासी को बिना इलाज के ही अस्पताल छोड़ना पड़ा।
एम्स अस्पताल की स्वास्थ्य जांच व समय पर इलाज न मिलने के कारण अपनी फजीहत झेल रहे गांववासी को आखिर चन्द घण्टों में ही एम्स छोड़ने को मजबूर होना पड़ा।
मोहन सिंह रावत ने बताया कि उन्होंने इस पर आपत्ति जताई थी कि इमरजेंसी में तो मरीज को तत्काल रिपोर्ट मिलनी चाहिए। उन्होंने बताया कि उन्हें सुबह करीब नौ बजे इमरजेंसी में लाया गया। उनकी एमआरआई कंट्रास्ट जांच में करीब एक से डेढ़ घंटे का समय लगना था। लेकिन उन्हें रिपोर्ट मिलने का 07 घण्टे तक इंतजार करना पड़ा। बमुशिकल शाम चार बजे आग्रह करने पर चिकित्सकों ने उनको सामान्य वार्ड में शिफ्ट कर दिया, लेकिन हैैरानी की बात थी कि 32 बेड के सामान्य चिकित्सा वार्ड में एक भी शौचालय नहीं था। यहां तक कि वार्ड में मरीज के तीमारदार के बैठने की व्यवस्था तक नहीं थी।
ऐसी स्थिति में उनके परिजनों ने अस्पताल प्रशासन से निजी वार्ड उपलब्ध कराने की मांग की थी, लेकिन तब ऑफिस रिकॉर्ड के अनुसार कोई वार्ड का खाली नहीं था। वह लंबे समय तक इस बात का इंतजार करते रहे कि उन्हें पूर्व कैबिनेट मंत्री के आधार पर जल्दी ही प्राइवेट वार्ड में शिफ्ट कर दिया जाएगा। आखिर खिन्न होकर जब उन्होंने उन्हें डिस्चार्ज करने की बात कही तो करीब नौ बजे वार्ड खाली हुआ तो उनसे शिफ्ट होने का अनुरोध किया गया, लेकिन उन्होंने तब तक मन बना लिया था कि वह अब यहां इलाज नहीं करवाएंगे इसलिए वह लामा (लीव अगेंस्ट मेडिकल एडवाइस) लेकर अस्पताल से चले गए।
पूर्व मंत्री मोहन सिंह रावत और उनकी पत्नी ने चिकित्सकों और कर्मचारियों से उन्हें निजी वार्ड में शिफ्ट करने मांग को जिस तरह दरकिनार किया गया यह सचमुच इतने बड़े स्वास्थ्य संस्थान पर प्रश्नचिह्न लगाता है। उनका आरोप है कि जब उन्होंने प्राइवेट कमरे की मांग डॉक्टर व सम्बन्धित स्टाफ से की तब वार्ड में मौजूद चिकित्सक और स्टाफ भड़क गए और अभद्रता करने लगे। उन्होंने बताया कि वार्ड की व्यवस्था इतनी खराब थी कि कई बार मांगने पर भी उनको ओढ़ने के लिए कंबल नहीं दिया गया। पूर्व कैबिनेट मंत्री का आरोप है कि जब उन्होंने जिम्मेदार अधिकारियों से बात करनी चाही तो उन्होंने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। मजबूरी में उनको रात 10 बजे अस्पताल छोड़ना पड़ा।
मोहन सिंह रावत गांववासी ने कहा कि एम्स की बदहाल व्यवस्थाओं का खमियाजा मरीजों को भुगतना पड़ रहा है। बेलगाम अधिकारी, चिकित्सक और कर्मचारी मरीजों की सुनने के लिए तैयार ही नहीं हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि एम्स में बेड उपलब्ध होने के बाद भी मरीजों को वापस लौटाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि एम्स के निर्माण के बाद प्रदेशवासियों ने सोचा था कि अब उनको बेहतर इलाज मिलेगा, लेकिन उनकी सभी अकांक्षाएं चकनाचूर हो रही हैं। इस दौरान भाजपा के पूर्व जिला अध्यक्ष ज्योति सजवाण और पार्षद राजेंद्र प्रेम सिंह बिष्ट उपस्थित थे।