सरकार द्वारा इस जटिल प्रक्रिया के तहत गांव में एक गौशाला बनाने तक भी जिला पंचायत से नक्शा पास करना होगा……..।
(डॉ लीला चौहान)
कुछ वर्ष पहले उत्तराखंड सरकार द्वारा हर जिले में जिला विकास प्राधिकरण बनाये गए, यूं तो ये जिला विकास प्राधिकरण , जिले के अंदर निर्माण के नियमन के लिए बनाए गए, लेकिन जैसे ही ये धरातल पर उतरे, ये लोगों के लिए जी का जंजाल बन गए। आम आदमी के लिए जिला विकास प्राधिकरण से नक्शा पास कराना लगभग असंभव कार्य हो गया. बागेश्वर, अल्मोड़ा, देहरादून ल आदि जगहों पर जिला विकास प्राधिकरण का कानून वापस लेने के लिए आंदोलन हुए. कुछ जगहों पर नक्शा पास कराने की जटिल प्रक्रिया से परेशान हो कर लोगों ने आत्महत्या तक कर ली,मजबूरन राज्य सरकार को जिला विकास प्राधिकरण के मामले में कदम पीछे खींचने पड़े।
जिला विकास प्राधिकरण से सरकार ने कदम बेशक पीछे खींच लिए हों, लेकिन ऐसा लगता है कि आम लोगों और विशेष तौर पर दुर्गम पहाड़ी क्षेत्र के लोगों को भी वह नक्शा पास कराने के जंजाल से मुक्त नहीं रहने देना चाहती है।
इसलिए जिला विकास प्राधिकरण का काम अब जिला पंचायत के जरिये करवाने का दांव सरकार द्वारा चल दिया गया है। जिला पंचायत देहरादून द्वारा 14 दिसंबर 2020 की नियोजन समिति की बैठक और 19 दिसंबर 2020 की जिला पंचायत की बैठक का हवाला देते हुए 09 जून 2021 को एक राजाज्ञा(गज़ट) जारी कर दी गयी है, जिसमें व्यवसायिक भवनों, तीन sitara, पांच सितारा होटलों, सिनेमाघर, मॉल के अलावा ग्रामीणों इलाकों में बनने वाले आवासीय भवनों के लिए भी जिला पंचायत से नक्शा पास कराने की शर्त लाद दी गयी है
सरकार द्वारा इस बेहूदा नियम को लागू करने से पहाड़ी, और ग्रामीण क्षेत्र के प्रति सरकार की अज्ञानता और उदासीनता का पता चलता है, गांव में घर बनाने की अनुमति भी जिला पंचायत से लेना पड़ेगी तो इस नक़्शे के अतिरिक्त आर्थिक बोझ के तले व्यक्ति दब जायेगा। हम सब जानते है कि जिलापंचायत की कार्यप्रणाली कैसी है, वहां स्टाफ की उपलब्धता कितनी है। फिर भी ऐसा नियम लागू किया गया। दुर्गम क्षेत्र से मीलों दूर चलकर एक आम आदमी अपने घर बनाने के लिए जिला पंचायत के चक्कर काटेगा, अगर हम जानवरों के लिए गोशाला भी बनाते है तो पहले इनसे अनुमति लेनी होगी जो सिर्फ और सिर्फ भ्रष्टाचार के नये दरवाजे खोलेगा।
पहले मकान बनाने की अनुमति देना प्रधान के कार्यक्षेत्र था जो सही था।
ग्रामीणों इलाकों में बड़े धनपतियों द्वारा होटल, रिज़ॉर्ट आदि व्यवसायिक गतिविधियों बनाये जाने के नियमन और नियंत्रण की जरूरत है, लेकिन कानून बनाने के नाम पर पहाड़ी क्षेत्र के आम गांव वालों को भी इन धनपतियों की ही कतार में खड़ा करना, पहाड़ी गांव के लोगों के साथ अन्याय है। पहाड़ी ग्रामीण इलाकों में मकान बनाना वैसे ही बहुत मुश्किल और खर्चीला काम है, जिला पंचायत से नक्शा पास करवाने की अनिवार्यता उसे और असंभव बना देगी, गांव के लोगों को नक्शा पास कराने के इस जंजाल से तत्काल मुक्त कराया जाना चाहता है।