(अजय रावत “अजेय”)
कहते थे कि उत्तर प्रदेश के जिस मुख्यमंत्री ने आगरा के सर्किट हाउस में रात्रि विश्राम कर लिया अथवा नोएडा के दौरा कर लिया वह कभी लौट के मुख्यमंत्री नहीं बन पाता, वहीं उत्तराखंड में यह मिथक पुख्ता होने लगा था कि जो मुख्यमंत्री आधिकारिक सीएम आवास में रहने लगा वह पुनः इस पद पर आरूढ़ नहीं हो सकता। लेकिन 2022 में यह सारे मिथक पूरी तरह से खण्डित हो गए।
1972 में पौड़ी गढ़वाल के पंचूर गांव में जन्मे अजय मोहन सिंह बिष्ट और 1975 में पिथौरागढ़ के टुंडी में जन्मे पुष्कर सिंह धामी ने ऐसे अंधविश्वासों को चकनाचूर कर दिया जिन्हें लेकर बड़े बड़े सियासी सूरमा बेहद संजीदा हो गए थे।
अजय मोहन से योगी आदित्यनाथ बने और यूपी में इस चुनाव में बुलडोजर बाबा नाम से पुकारे जाने वाले एवम उत्तराखंड में “फ्लावर नहीं फायर है मैं..” के डायलॉग के साथ चर्चित रहे पुष्कर धामी ने सत्ता में वापस न होने के मिथकों को भी खण्डित कर डाला। हालांकि, पुष्कर धामी अपना चुनाव हार गए किन्तु सभी विधायकों पर भारी साबित होकर उन्होंने भी इस मिथक को धता बता ही दिया।
योगी आदित्यनाथ ने अपनी क्षमता, संकल्प व कौशलता का परिचय तकरीबन दे दिया है उम्मीद है पुष्कर भी उन्ही के पदचिन्हों पर चलकर यूपी व उत्तराखंड की पहचान के साथ जुड़े पिछड़ेपन, अव्यवस्था, भ्रष्टाचार व पलायन जैसे मिथकों को भी धराशाही कर अपने “पहाड़पुत्र” होने का परिचय देंगे।
ज्ञात हो कि उत्तराखंड में पुष्कर धामी व उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ ने लगातार दूसरी बार मुख्यमंत्री बन नया इतिहास रच दिया है।