ग्राउंड जीरो से संजय चौहान!
(सावन के दूसरे सोमबार विशेष)
देवभूमि के कण कण में भोले बिराजमान हैं। यहाँ स्थित पंचकेदारो और शिवालयों में सावन के महीने भोले की पूजा-अर्चना और जल चढ़ाने के लिए श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है। आज आपको भोलेनाथ की ऐसी ही गुफा के बारें में बताते हैं जहां सावन के महीने शिवलिंग के दर्शन और जल चढ़ाने के लिए भक्तों का सैलाब उमड पडता है। इसे उत्तराखंड का अमरनाथ गुफा और बाबा बर्फानी भी कहा जाता है। लीजिए जानिए रोंग्पा घाटी के सोंसा महादेव या टिम्मरसैंण महादेव के बारे में..।
सीमांत जनपद चमोली के जोशीमठ ब्लाॅक की प्रसिद्ध नीती घाटी के अंतिम गांव नीती से एक किमी पहले टिम्मरसैंण में पहाड़ी पर स्थित गुफा के अंदर एक शिवलिंग विराजमान है। इस पर पहाड़ी से टपकने वाले जल से हमेशा अभिषेक होता रहता है। इसी शिवलिंग के पास बर्फ पिघलने के दौरान प्रतिवर्ष बर्फ का एक शिवलिंग आकार लेता है। अमरनाथ गुफा में बनने वाले शिवलिंग की तरह इस शिवलिंग की ऊंचाई ढाई से तीन फीट के बीच होती है। स्थानीय लोग इसे बर्फानी बाबा के नाम से जानते हैं और इसे छोटा अमरनाथ’ भी कहते हैं। जिस स्थान पर बर्फ का शिवलिंग दिखाई देता है, उसे स्थानीय लोग बबूक उडियार के नाम से भी जानते हैं। अपर आयुक्त गढ़वाल मंडल हरक सिंह रावत के प्रयासों से इस साल यहाँ पर सर्दियों में बर्फ से ढके शिवलिंग के दर्शन करने को लेकर यात्रा शुरू की गयी। इस साल हुयी भारी बर्फबारी से जरूर कुछ परेशानी लोगों को उठानी पडी थी।
दिसंबर से मार्च के मध्य होते हैं बर्फ के शिवलिंग के दर्शन!
टिम्मरसैंण में पहाड़ी पर स्थित गुफा के अंदर एक शिवलिंग विराजमान है। सर्दियों में इसपर बर्फ जमने से करीब 10 फुट ऊंचा शिवलिंग बन जाता है। इस शिवलिंग पर पहाड़ी से टपकने वाले जल से हमेशा अभिषेक होता रहता है। दिसम्बर से जनवरी तक बर्फ के शिवलिंग के दर्शन होते हैं जबकि गर्मियों में जब बर्फ पिघलती है, तो यह शिवलिंग मूल आकार में आ जाता है। गुफा में प्रवेश से पहले पहाड़ी से गिरने वाली जल धारा से भक्तों को स्वत: स्नान होता है। बर्फवारी के दौरान गुफा में पांच से अधिक शिवलिंग आकर लिए हुए होते हैं। बाबा बर्फानी की गुफा के आस-पास बर्फ नहीं होती लेकिन ये बाबा जी की कृपा ही है कि गुफा के अंदर बर्फ का इतना विशाल शिवलिंग बन जाता है। इसलिए इसे उत्तराखंड की अमरनाथ गुफा और बर्फानी बाबा कहते हैं।
दूर दूर से भक्त यहां पहुंचते हैं भोले के दर्शनार्थ, कोरोना की वजह से इस साल नहीं पहुंच पा रहे हैं श्रद्धालु!
टिम्मरसैंण महादेव के प्रति लोगों की अगाढ आस्था है। सीमांत घाटी के नीती, गमशाली, बांपा, फरकिया, झेलम, कैलाशपुर, महरगांव, कोषा, मलारी, द्रोणागिरी, गरपक, सुराईंठोटा, लाता, तपोवन, जोशीमठ सहित जनपद चमोली ही नहीं बल्कि अन्य जनपदों के दूर दूर के लोग यहाँ भोले की पूजा-अर्चना और जल चढ़ाने के लिए पहुंचते हैं। खासतौर पर इन दिनों सावन के महीने में। जोशीमठ- नीती मार्ग पर नीती गांव से पहले सड़क से 700 मीटर की चढ़ाई चढ़कर यहाँ पहुंचा जा सकता है। इस साल सावन के महीने कोरोना की वजह से यहाँ श्रद्धालु नहीं पहुंच पा रहे हैं, जिससे रोंग्पा घाटी के लोग बेहद मायूस है।
हिमवीर भी करते हैं दर्शन!
गुफा में हर साल 15 दिसंबर से 15 मार्च के बीच बर्फानी बाबा के दर्शन होते हैं। चीन सीमा पर तैनात आइटीबीपी (भारत-तिब्बत सीमा पुलिस बल) के जवान भी यहां दर्शन के लिए आते हैं। हिमवीर यहाँ भोले के दर्शन करने के बाद ही आगे जाते हैं।
यहाँ पर है ठहरने की व्यवस्था!
टिम्मरसैंण महादेव पहुंचने के बाद श्रद्धालुओं को रूकने के लिए नीती, गमशाली, बांपा समेत आसपास के गांवों में श्रद्धालु रात्रि विश्राम की उचित व्यवस्था हैं। जहां न्यूनतम मूल्य पर रहने खाने की व्यवस्था स्थानीय लोगों द्वारा की जाती है।
ऐसे पहुंचा जा सकता है यहाँ!
ऋषिकेश से जोशीमठ 255 किमी बस या छोटी गाड़ी में और जोशीमठ से नीती गांव 83 किमी तक निजी वाहन से पहुंचा जा सकता है। जबकि नीती गांव से पहले सड़क से 700 मीटर की चढ़ाई चढ़कर टिम्मरसैंण महादेव के दर्शन होते हैं।
देश के अंतिम गांव नीती में टिम्मरसैंण महादेव में जो शांति और शुकुन आपको यहाँ आकर मिलेगा वो अन्यत्र कहीं नहीं…जय भोले, सबकी मनोकामना जरूर पूरी करना..।